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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Published by: गीतार्जुन गौतम
Updated Thu, 25 Nov 2021 09:31 PM IST
सार
बीएचयू में शिक्षकों की शिकायतों के निस्तारण के लिए बनी टीचिंग ग्रीवांस कमेटी में दो साल पहले मृत प्रोफेसर डीके शर्मा, विधि संकाय को चेयरमैन बना दिया गया।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू)
– फोटो : अमर उजाला
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जानकारी मिलते ही आननफानन विश्वविद्यालय प्रशासन को बृहस्पतिवार को दूसरा आदेश जारी करना पड़ा। जिसके बाद विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी को अध्यक्ष बनाया गया है। कुलसचिव कार्यालय में सहायक कुलसचिव सामान्य प्रशासन के हस्ताक्षर से 23/24 नवंबर को सात सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश जारी होने के बाद लोग हतप्रभ रह गए।
लोग समझ नहीं पाए कि जब प्रो. डीके शर्मा जीवित ही नहीं है तो उन्हें चेयरमैन कैसे बना दिया गया। कोई भी कमेटी बनाने से पहले उसमें रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी जरूरी होती है। मृत प्रोफेसर को जिम्मेदारी सौंपने मामले में यही लगता है कि अगर इस बारे में पूछताछ या फिर जानकारी ली गई होती तो इस तरह की गड़बड़ी नहीं होती।
यहीं नहीं कमेटी में शामिल एक सदस्य के तो डिपार्टमेंट का नाम भी गलत अंकित है। एक ने तो खुद को कमेटी में बतौर सदस्य होने की जानकारी से भी इनकार किया है। इस बारे में पूछे जाने पर विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह ने कहा कि यह एक मानवीय भूल हो सकती है। बाद में इसकी जानकारी होने पर दूसरा आदेश जारी कर दिया गया।
विस्तार
जानकारी मिलते ही आननफानन विश्वविद्यालय प्रशासन को बृहस्पतिवार को दूसरा आदेश जारी करना पड़ा। जिसके बाद विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी को अध्यक्ष बनाया गया है। कुलसचिव कार्यालय में सहायक कुलसचिव सामान्य प्रशासन के हस्ताक्षर से 23/24 नवंबर को सात सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश जारी होने के बाद लोग हतप्रभ रह गए।
लोग समझ नहीं पाए कि जब प्रो. डीके शर्मा जीवित ही नहीं है तो उन्हें चेयरमैन कैसे बना दिया गया। कोई भी कमेटी बनाने से पहले उसमें रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी जरूरी होती है। मृत प्रोफेसर को जिम्मेदारी सौंपने मामले में यही लगता है कि अगर इस बारे में पूछताछ या फिर जानकारी ली गई होती तो इस तरह की गड़बड़ी नहीं होती।
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