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वाराणसीः  लौटेगा काशी विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन वैभव, बिखरेगी स्वर्णशिखर की आभा, मंदिर की दीवारों से हटाया जा रहा एनामेल पेंट

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सार

श्री काशी विश्वनाथ कारिडोर के लोकार्पण के बाद धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को बाबा के मंदिर के प्राचीन स्वरूप के साथ ही चमकते हुए स्वर्णशिखर के दर्शन होंगे।  

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में चल रहा निर्माण।
– फोटो : अमर उजाला

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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पुरातन वैभव वापस लौटेगा और मंदिर की दीवारों को एनामेल पेंट से मुक्ति मिलेगी। लोकार्पण के बाद धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को बाबा के मंदिर के प्राचीन स्वरूप के साथ ही चमकते हुए स्वर्णशिखर के दर्शन होंगे। टाटा के सहयोग से बाबा विश्वनाथ के स्वर्णशिखर की सफाई करवाई जा रही है।

धाम के लोकार्पण से पहले दीवारों के संरक्षण और स्वर्ण शिखर की सफाई काम पूरा हो जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारों से एनामेल पेंट हटाने के साथ ही उनके संरक्षण का काम शुरू हो गया है। इसके बाद मंदिर के स्वर्ण शिखर की सफाई का काम किया जाएगा।

12 साल के लंबे इंतजार और कवायद के बाद बाबा के मंदिर की दीवारों को संरक्षित करने की कवायद शुरू हो चुकी है। धाम में निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर सहित 17 मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू की गई है। दो चरणों में मंदिरों के जीर्णोद्धार व संरक्षण का काम कराया जा रहा है।

पहले चरण में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत क्षेत्र के 17 मंदिर शामिल हैं और दूसरे चरण में धाम के शेष आठ मंदिरों के संरक्षण का काम बाद में किया जाएगा।  मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि बाबा विश्वनाथ के मंदिर के जीर्णोद्धार और संरक्षण का काम कराया जा रहा है।

मंदिर की दीवारों से एनामेल पेंट की परत हटाने के साथ ही संरक्षण का काम होगा। स्वर्ण शिखर की सफाई का काम भी जल्द शुरू होगा। इस काम के लिए टाटा को लगाया गया है। लोकार्पण से पहले स्वर्ण शिखर की सफाई के साथ दीवारों के संरक्षण का काम पूरा हो जाएगा। 

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार व संरक्षण के लिए मंदिर को तीन दिनों के लिए बंद किया जाएगा। 29 और 30 नवंबर को 12-12 घंटे और 1 दिसंबर को 24 घंटे के लिए मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद रहेगा। मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि मंदिर के फर्श की सफाई तथा संरक्षण कार्य को पूर्ण करने के लिए मंदिर को बंद करने का निर्णय लिया गया है। श्रद्धालुओं के आने-जाने से काम में परेशानी होगी। 

बाबा विश्वनाथ के मंदिर की दीवारों पर 2008 में तत्कालीन मंडलायुक्त सीएन दुबे ने मनमाने ढंग से एनामेल पेंट चढ़वा दिया था। उस दौरान इसका काफी विरोध हुआ था। कुछ दिनों बाद ही पता लगा कि एनामेल पेंट की वजह से मंदिर के गर्भ गृह में लगे पत्थरों का क्षरण शुरू हो गया था। दीवारों में लगे चुनार के पत्थरों पर एनामेल पेंट के कारण नमी लॉक होने से पत्थर खराब होने लगे। 

काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारों से एनामेल पेंट हटाने के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला और आईआईटी रुड़की की मदद ली थी, लेकिन उनकी रिपोर्ट के आधार पर काम शुरू नहीं हो सका।

 साल 2010 में राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला ने पत्थर की दीवारों से एनामेल पेंट को हटाने के लिए 2.19 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया था। 2013-14 में इसी काम के लिए अनुसंधानशाला ने 1.22 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था।

दिसंबर 2014 में मंदिर की दीवारों के अध्ययन के लिए रुड़की के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान को 57 लाख रुपये का भुगतान किया था। 2015 में  अध्ययन के बाद अनुसंधान संस्थान ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। 2019 में आईआईटी रुड़की ने मंदिर की दीवारों के संरक्षण के लिए काम शुरू किया लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से काम पूरा नहीं हो सका।

विस्तार

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पुरातन वैभव वापस लौटेगा और मंदिर की दीवारों को एनामेल पेंट से मुक्ति मिलेगी। लोकार्पण के बाद धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को बाबा के मंदिर के प्राचीन स्वरूप के साथ ही चमकते हुए स्वर्णशिखर के दर्शन होंगे। टाटा के सहयोग से बाबा विश्वनाथ के स्वर्णशिखर की सफाई करवाई जा रही है।

धाम के लोकार्पण से पहले दीवारों के संरक्षण और स्वर्ण शिखर की सफाई काम पूरा हो जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारों से एनामेल पेंट हटाने के साथ ही उनके संरक्षण का काम शुरू हो गया है। इसके बाद मंदिर के स्वर्ण शिखर की सफाई का काम किया जाएगा।

12 साल के लंबे इंतजार और कवायद के बाद बाबा के मंदिर की दीवारों को संरक्षित करने की कवायद शुरू हो चुकी है। धाम में निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर सहित 17 मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू की गई है। दो चरणों में मंदिरों के जीर्णोद्धार व संरक्षण का काम कराया जा रहा है।

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