Home उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट : रिश्तेदार महिला से दुष्कर्म के आरोपी की जमानत नामंजूर

हाईकोर्ट : रिश्तेदार महिला से दुष्कर्म के आरोपी की जमानत नामंजूर

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संवाद न्यूज एजेंसी, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 29 Nov 2021 08:55 PM IST

सार

आरोपी का कहना था कि उसने दुराचार नहीं किया है। अदालत ने सबूतों का सही परिशीलन नहीं किया है। चश्मदीद गवाहों के बयान कानून की नजर में स्वीकार करने योग्य नहीं हैं।

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नजदीकी रिश्ते की महिला से दुष्कर्म करने के आरोपी की जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। पीलीभीत का देवेश इस अपराध में सजायाफ्ता है। सजा के खिलाफ अपील दाखिल कर जमानत की मांग की थी। कोर्ट ने कहा दुराचार का आरोपी व पीड़िता दोनों नजदीकी रिश्तेदार हैं। ऐसा अपराध सामाजिक बुनावट को ध्वस्त करने वाला है।  

पीड़िता ने बच्चे को जन्म दिया है। जिसका डीएनए आरोपी अपीलार्थी से मैच करता है। कोर्ट ने कहा कि मेरी राय में आरोपी जमानत पाने का हकदार नहीं हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति एके ओझा ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए दिया है।

आरोपी का कहना था कि उसने दुराचार नहीं किया है। अदालत ने सबूतों का सही परिशीलन नहीं किया है। चश्मदीद गवाहों के बयान कानून की नजर में स्वीकार करने योग्य नहीं हैं। पीड़िता घटना के समय बालिग थी। रिश्तेदार होने के कारण दोनों का डीएनए समान है। इसलिए डीएनए रिपोर्ट के आधार पर दोषी मान लेना सही नहीं है। सरकारी वकील का कहना था कि अपराध गंभीर है। ऐसे आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए। 

विस्तार

नजदीकी रिश्ते की महिला से दुष्कर्म करने के आरोपी की जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। पीलीभीत का देवेश इस अपराध में सजायाफ्ता है। सजा के खिलाफ अपील दाखिल कर जमानत की मांग की थी। कोर्ट ने कहा दुराचार का आरोपी व पीड़िता दोनों नजदीकी रिश्तेदार हैं। ऐसा अपराध सामाजिक बुनावट को ध्वस्त करने वाला है।  

पीड़िता ने बच्चे को जन्म दिया है। जिसका डीएनए आरोपी अपीलार्थी से मैच करता है। कोर्ट ने कहा कि मेरी राय में आरोपी जमानत पाने का हकदार नहीं हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति एके ओझा ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए दिया है।

आरोपी का कहना था कि उसने दुराचार नहीं किया है। अदालत ने सबूतों का सही परिशीलन नहीं किया है। चश्मदीद गवाहों के बयान कानून की नजर में स्वीकार करने योग्य नहीं हैं। पीड़िता घटना के समय बालिग थी। रिश्तेदार होने के कारण दोनों का डीएनए समान है। इसलिए डीएनए रिपोर्ट के आधार पर दोषी मान लेना सही नहीं है। सरकारी वकील का कहना था कि अपराध गंभीर है। ऐसे आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए। 

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