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यूपी का रण : देवीपाटन मंडल की रिपोर्ट, प्रत्याशियों का कद होगा निर्णायक, सरकार पर भारी कई माननीयों की कार्यप्रणाली

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सार

यह मंडल सामंतशाही, परिवारवाद, जातिवाद से लेकर अवैध खनन, खाद्यान्न घोटाला और मनरेगा घोटाला तक का बड़ा भुक्तभोगी रहा है। मंडल अब भी इन रोगों से मुक्त नहीं हो पाया है। सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जों के किस्से लोगों की जुबान पर हैं।

सरयू नहर परियोजना…
– फोटो : अमर उजाला

प्रदेश के 75 जिलों में से जो आठ सबसे पिछड़े हैं, उनमें देवीपाटन मंडल के बलरामपुर, बहराइच व श्रावस्ती शामिल हैं। तीनों ही पिछड़े जिले अंतरराष्ट्रीय नेपाल सीमा से सटे होने की वजह से कई दृष्टि से संवेदनशील भी हैं। 20 विधानसभा सीटों वाले इस मंडल में 18 सीटों पर भाजपा और एक-एक पर सपा ब बसपा के विधायक हैं। 2017 में सत्ताबदल के कुछ समय बाद से शुरू हुआ दलबदल नए चुनाव की गहमागहमी पहुंचने तक भी जारी है। किसानों को लेकर तमाम चुनौतियों से रूबरू सत्तादल यहां सरयू नहर व राप्ती नहर का शुभारंभ कर राहत महसूस कर सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी 11 दिसंबर को इनका उद्घाटन करने वाले हैं। यह नदी जोड़ो प्रोजेक्ट की पहली परियोजना है। तो दूसरी तरफ गाजी-सुहेलदेव के जरिये ध्रुवीकरण की पटकथा भी लिखी जा रही है।

जानकार बताते हैं कि यह मंडल सामंतशाही, परिवारवाद, जातिवाद से लेकर अवैध खनन, खाद्यान्न घोटाला और मनरेगा घोटाला तक का बड़ा भुक्तभोगी रहा है। मंडल अब भी इन रोगों से मुक्त नहीं हो पाया है। सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जों के किस्से लोगों की जुबान पर हैं। एंटी भू-माफिया के तहत कार्रवाई हुई तो एक पूर्व विधायक जेल पहुंच गए। लोग बड़े गुस्से के साथ बताते हैं कि मनमाफिक अफसर लाकर नेताओं ने करोड़ों की संपत्ति कब्जा ली है। ताल, पोखर, नाले कब्जा हो रहे हैं। कई जगह तो माननीयों से ज्यादा उनके प्रतिनिधियों की लूट-खसोट, दलाली से गुस्सा है।

समाजशास्त्र से परास्नातक कर रहे महेश कुमार गौतम की बात से यह आवाज कुछ ज्यादा स्पष्ट हो जाती है। महेश कहते हैं,आप किसी चौराहे पर जाकर पूछ लीजिए लोग फर्राटे से बता देंगे कि पिछले 10 सालों में किस विधायक, पूर्व विधायक, नेता और प्रमुख ने कितनी नई गाड़ियां खरीदीं, कितने नए प्लॉट और कितने हेक्टेयर खेत खरीदे। कितना कारोबार का विस्तार किया। कई नेता स्कूल, कॉलेज खोलकर वहां पढ़ने वाले युवाओं को किस तरह चुनाव में प्रचार करने वाली एक फौज की तरह इस्तेमाल करते हैं, यह सब भी लोग आपको बता देंगे। 

नाराजगी है…लेकिन काम भी खूब हो रहा है
एमएलके पीजी कॉलेज बलरामपुर से पढ़ाई करने के बाद डीएलएड कर रहीं मानसी सिंह 2022 के विधानसभा चुनाव के मिजाज की ओर इशारा करते हुए दिलचस्प टिप्पणी करती हैं। वह कहती हैं, महंगाई, बेरोजगारी बढ़ी है। आय प्रमाण पत्र जो दो-तीन दिन में बन सकता है, 15 दिन लग जाते हैं। इन सबको लेकर लोगों में नाराजगी है। टीईटी का पेपर आउट होने से भी नाराजगी है, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता। पर, नाराजगी इस स्तर की नजर नहीं आ रही कि सरकार बदल जाए। राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। गुंडागर्दी कम हुई है। वहीं, बलरामपुर को केजीएमयू का सेटेलाइट कैम्पस मिला है तो गोंडा में एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फैक्टरी लग रही है। बहराइच का मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया है तो दशकों पुरानी सरयू नहर व राप्ती नहर परियोजना इसी सरकार ने पूरी कराई है। शिक्षक और सिपाही भर्ती में मंडल के तमाम युवाओं का चयन हुआ है। सड़कें बन रही हैं, बिजली 16 से 18 घंटे रहती ही है। आवास के साथ मुफ्त राशन, मुफ्त वैक्सीन भी इसी सरकार ने दी है। यह भी लोग देख रहे हैं।

सोशल मीडिया के जमाने में किसी का अच्छा-बुरा छिपा नहीं
मानसी से मिलती-जुलती बातें किसान पीजी कॉलेज बहराइच में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हयात खान भी करती हैं। कहती हैं, महंगाई से मध्य वर्ग बहुत परेशान है। इस सबके बावजूद जो विधायक पांच साल क्षेत्र में रहे, जनता के सुख-दुख में शामिल हुए, वे फिर जीतेंगे। पर, जिन्होंने विधायक बनने के बाद ज्यादा ध्यान खुद की संपत्ति बनाने और अपनों को मालामाल करने में किया, उनके लिए चुनौती ज्यादा है। ऐसे में चुनाव की असली तस्वीर प्रत्याशी फाइनल होने के बाद ही सामने आएगी। श्रावस्ती के पवन तिवारी कहते हैं कि चुनाव कभी मुद्दों पर हो ही नहीं पाता है। चुनाव आते-आते सुहेलदेव-गाजी, जिन्ना-सावरकर, हिन्दू-मुस्लिम, तुष्टीकरण, …इन्हीं सब पर घसीट कर लोगों को पहुंचा दिया जाता है। वही सब इस बार भी हो रहा है। अभी तो जगह-जगह टिकट कटने या सीट बदलने की चर्चा आम है। पहले ये सब हो जाए, तब पता चलेगा कि कौन भारी रहेगा।

कैसरगंज से सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा विधायक और कद्दावर कुर्मी नेता हैं। वह 75 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके हैं। ऐसे में उनकी सीट पर नए चेहरे की चर्चा चरम पर है।
समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री गोंडा की मनकापुर सीट से विधायक हैं। बसपा नेता रहे प्रमोद चंचल भी भाजपा से टिकट मांग रहे हैं।
पूर्व कृषि मंत्री व सपा नेता विनोद कुमार सिंह उर्फ  पंडित सिंह की कोरोना महामारी के दौरान मृत्यु हो गई। उनके परिवार के सदस्यों के गोंडा सदर और तरबगंज से टिकट मांगने की चर्चा है।
सपा से भाजपा में आकर नानपारा से विधायक बनीं माधुरी वर्मा के पति पूर्व विधायक दिलीप वर्मा सपा में शामिल हो चुके हैं। चुनाव पूर्व माधुरी के सपा में जाने की चर्चा तेज है।
बलरामपुर की तुलसीपुर सीट पर सपा ने पूर्व विधायक अब्दुल मशहूद खां को टिकट दिया था। इसके बावजूद बलरामपुर के पूर्व सांसद रिजवान जहीर की बेटी जेबा रिजवान कांग्रेस से टिकट लाकर चुनाव लड़ी थीं। जेबा और मशहूद की लड़ाई में भाजपा यह सीट जीत गई। जेबा नंबर दो पर रहीं। अब रिजवान और जेबा सपा में शामिल हो गए हैं।
करनैलगंज से भाजपा विधायक अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भइया अस्वस्थ चल रहे हैं। यहां से लल्ला के बेटे कुंवर वेंकटेश मोहन प्रताप सिंह और कुंवर शारदेन मोहन काफी सक्रिय हो गए हैं। सपा से पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह और लल्ला भइया का परिवार परंपरागत रूप से आमने-सामने रहता है। इस परिवार के फिर आमने-सामने होने की चर्चा सरगर्म है।
श्रावस्ती के भिनगा से बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने असलम राइनी सपा का दामन थाम चुके हैं। गोंडा में बसपा के पूर्व विधायक रमेश कुमार गौतम और बलरामपुर से बसपा के पूर्व विधायक राम सागर अकेला ने भी साइकिल की सवारी कर ली है। इन दोनों नेताओं ने पिछला चुनाव बसपा से लड़ा था।
सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के बेटे व गोंडा सदर से मौजूदा विधायक प्रतीक भूषण सिंह के सामने बगावत कर शिवसेना से चुनाव लड़े महेश नारायण तिवारी की भाजपा में फिर एंट्री हो गई है। इस सीट पर रनरअप रहे पूर्व विधायक जलील खां की मृत्यु हो चुकी है। सपा के सूरज सिंह फिर मैदान में नजर आ रहे हैं।
कटरा बाजार से बावन सिंह चार बार के विधायक हैं। उनके सामने बसपा प्रत्याशी रहे मसूद खां सपा में चले गए हैं और सपा के पूर्व विधायक बैजनाथ दुबे के साथ चल रहे हैं। मसूद खुद कैसरगंज से टिकट मांगने लगे हैं।
प्रदेश के पूर्व मंत्री और श्रावस्ती के पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। भाजपा के टिकट के समीकरण में उनकी सियासत की भी चर्चा खूब है।

सरयू नहर परियोजना जो बदलेगी क्षेत्र की तकदीर
1978 में लेफ्ट बैंक घाघरा कैनाल के नाम से परियोजना शुरू हुई थी। तब लागत स्वीकृत हुई थी 78.68 करोड़ रुपये। बहराइच-गोंडा के 3.12 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित करने का तय हुआ था लक्ष्य।
1982-83 में परियोजना में हुआ बदलाव। नाम दिया गया सरयू नहर परियोजना। बहराइच-गोंडा के साथ ही श्रावस्ती, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर, गोरखपुर व महराजगंज तक योजना का हो गया विस्तार। 
सरयू नहर परियोजना के लिए घाघरा, राप्ती, बाणगंगा, सरयू व रोहिणी नदी को आपस में जोड़ा गया है। मार्च 2021 तक 9562.68 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। योजना के तहत 14.04 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी। 

गोंडा
बजाज की कुंदुरखी चीनी मिल का बकाया भुगतान बड़ी समस्या है।
जरवल से करनैलगंज मार्ग के  बीच 1965 में बना सरयू पुल जर्जर है। इटियाथोक ब्लॉक के कुआनो नदी पर विजयगढ़वा के पास पुल की जरूरत है। इसी ब्लॉक में लक्षमानपुर लालनगर में कुआनो नदी पर और भोलाजोत के पास बिसुही नदी पर भी पुल की बेहद जरूरत है।
गोंडा में विश्वविद्यालय की मांग पर प्रशासनिक कार्यवाही बढ़ी है। इसे मूर्त रूप दिए जाने की जरूरत है।

बहराइच
शहर में जाम सबसे बड़ी समस्या है। बहराइच व अयोध्या मार्ग फोरलेन किए जाने की जरूरत है।
छात्राओं के लिए एक और महाविद्यालय की आवश्यकता है।
मेडिकल कॉलेज बन गया लेकिन गंभीर बीमारियों की जांच के लिए ठोस व्यवस्था नहीं।

बलरामपुर  
पहाड़ी नाले व राप्ती नदी की बाढ़ बड़ी समस्या है। हरैया, सतघरवा, तुलसीपुर, पचपेड़वा व गैसड़ी में सिंचाई के साधनों की कमी है।
जिले में एक भी सरकारी तकनीकी कॉलेज या पॉलीटेक्निक नहीं हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें अत्यंत जर्जर हैं। जंगली जानवरों का मानव क्षेत्रों में दखल बढ़ गया है। यह नई समस्या है।

श्रावस्ती
सिंचाई के लिए नहरों की आवश्यकता है।
जिले में बस डिपो तक नहीं है।
जिले में एक भी सरकारी पीजी कॉलेज नहीं है।
बलरामपुर (4 सीटें)
बलरामपुर (सु.) : भाजपा के पल्टूराम विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 96 हजार, अनुसूचित जातियां 75 हजार, वर्मा 40 हजार, कहार, प्रजापति गौड़ व अन्य 55 हजार, ब्राह्मण करीब 38 हजार, यादव 35 हजार, क्षत्रिय 20 हजार, सोनकर 12 हजार, वैश्य 9 हजार, कायस्थ 7 हजार।
तुलसीपुर : भाजपा के कैलाश नाथ शुक्ल विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : अनुसूचित जातियां करीब 87 हजार, मुस्लिम 87 हजार, वर्मा 52 हजार, यादव 48 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, कहार, प्रजापति व अन्य 25 हजार और क्षत्रिय व कायस्थ 15-15 हजार।
गैसड़ी : भाजपा के शैलेश कुमार सिंह शैलू विधायक हैं। वह लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष भी रहे हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 86 हजार, एससी-एसटी 85 हजार, यादव 45 हजार, वर्मा 40 हजार, ब्राह्मण 35 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, कहार, निषाद, गौड़, प्रजापति व अन्य 28 हजार, वैश्य 7 हजार और कायस्थ 5 हजार।
उतरौला : भाजपा के राम प्रताप वर्मा विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 1.24 लाख, अनुसूचित जातियां 75 हजार, वर्मा 55 हजार, यादव 45 हजार, कहार, गौड़, निषाद व अन्य 33 हजार, ब्राह्मण 30 हजार, वैश्य 25 हजार, क्षत्रिय 20 हजार, कायस्थ व अन्य 8 हजार।

गोंडा सात सीटें
गोंडा : भाजपा के प्रतीक भूषण शरण सिंह पहली बार विधायक हैं। 
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 72 हजार, मुस्लिम 55 हजार, अनुसूचित जातियां 55 हजार, क्षत्रिय 35 हजार, यादव 32 हजार और कायस्थ 27 हजार। 
मेहनौन : भाजपा के विनय कुमार द्विवेदी विधायक हैं।
जातिगत समीकरण: ब्राह्मण करीब 90 हजार, अनुसूचित जातियां 60 हजार, मुस्लिम 60 हजार, कुर्मी 45 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, यादव 25 हजार और कायस्थ 24 हजार।
करनैलगंज : भाजपा से अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया विधायक हैं। 
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 80 हजार, यादव 55 हजार, क्षत्रिय 49 हजार, मुस्लिम 45 हजार, अनुसूचित जातियां 36 हजार और कायस्थ 10 हजार।
तरबगंज : भाजपा के प्रेम नरायन पांडे विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 99 हजार, अनुसूचित जातियां 55 हजार, यादव 52 हजार, क्षत्रिय 47 हजार और मुस्लिम 45 हजार।
कटरा बाजार : भाजपा के बावन सिंह विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 1.10 लाख, अनुसूचित जातियां व मुस्लिम 65-65 हजार, यादव 30 हजार, क्षत्रिय 20 हजार, कायस्थ 11 हजार। 
गौरा : भाजपा के प्रभात वर्मा विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : कुर्मी करीब 75 हजार, मुस्लिम 70 हजार,अनुसूचित जातियां 65 हजार, ब्राह्मण 55 हजार, क्षत्रिय 32 हजार और यादव 25 हजार।
मनकापुर (सु.) : भाजपा से रमापति शास्त्री विधायक हैं और समाज कल्याण मंत्री हैं।
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 65 हजार, अनुसूचित जातियां 62 हजार, मुस्लिम 55 हजार, क्षत्रिय 40 हजार और यादव 28 हजार।

बहराइच सात सीटें
बहराइच : भाजपा की अनुपमा जायसवाल विधायक हैं। 
जातिगत समीकरण : ओबीसी करीब 80 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, कायस्थ 25 हजार, ब्राह्मण व क्षत्रिया 20-20 हजार, सिख, ईसाई व बौद्ध 7 हजार।
महसी : भाजपा के सुरेश्वर सिंह विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 85 हजार, अनुसूचित जातियां 53 हजार, मुस्लिम 48 हजार, यादव 27 हजार, लोध 22 हजार, क्षत्रिय 17 हजार और कहार 15 हजार।
मटेरा : सपा के यासर शाह विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 1.80 लाख, अनुसूचित जातियां 70 हजार, यादव 60 हजार, कुर्मी 28 हजार, ब्राह्मण 24 हजार और क्षत्रिय 12 हजार।
नानपारा : भाजपा की माधुरी वर्मा विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब एक लाख, अनुसूचित जातियां 80 हजार, कुर्मी 65 हजार, यादव 25 हजार, ब्राह्मण 14 हजार और क्षत्रिय 12 हजार।
बलहा (सु.) : भाजपा से किरन भारती विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : अनुसूचित जातियां करीब डेढ़ लाख, मुस्लिम 70 हजार, यादव 20 हजार, ब्राह्मण और क्षत्रिय 15-15 हजार।
पयागपुर : भाजपा के सुभाष त्रिपाठी विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : अनुसूचित जातियां करीब 1.40 लाख, ओबीसी 1.20 लाख, मुस्लिम 45 हजार, ब्राह्मण 42 हजार और क्षत्रिय 24 हजार।
कैसरगंज : भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम 1.20 लाख, यादव 50 हजार, कुर्मी 44 हजार, अनुसूचित जातियां 40 हजार, निषाद 26 हजार, ब्राह्मण 17 हजार, लोधी 16 हजार, कायस्थ 15 हजार, क्षत्रिय 11 हजार, प्रजापति व बढ़ई 10-10 हजार।

श्रावस्ती दो सीटें
श्रावस्ती : भाजपा के रामफेरन पांडेय विधायक हैं। 
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 1.10 लाख, ब्राह्मण 97 हजार, यादव 28 हजार, कुर्मी 29 हजार, क्षत्रिय. अनुसूचित जातियां 50 हजार।
भिनगा : बसपा के मो. असलम राइनी विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 1.06 लाख, ब्राह्मण 48 हजार, अनुसूचित जातियां 47 हजार, यादव 45 हजार, कुर्मी 36 हजार, और क्षत्रिय 11 हजार।

विस्तार

प्रदेश के 75 जिलों में से जो आठ सबसे पिछड़े हैं, उनमें देवीपाटन मंडल के बलरामपुर, बहराइच व श्रावस्ती शामिल हैं। तीनों ही पिछड़े जिले अंतरराष्ट्रीय नेपाल सीमा से सटे होने की वजह से कई दृष्टि से संवेदनशील भी हैं। 20 विधानसभा सीटों वाले इस मंडल में 18 सीटों पर भाजपा और एक-एक पर सपा ब बसपा के विधायक हैं। 2017 में सत्ताबदल के कुछ समय बाद से शुरू हुआ दलबदल नए चुनाव की गहमागहमी पहुंचने तक भी जारी है। किसानों को लेकर तमाम चुनौतियों से रूबरू सत्तादल यहां सरयू नहर व राप्ती नहर का शुभारंभ कर राहत महसूस कर सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी 11 दिसंबर को इनका उद्घाटन करने वाले हैं। यह नदी जोड़ो प्रोजेक्ट की पहली परियोजना है। तो दूसरी तरफ गाजी-सुहेलदेव के जरिये ध्रुवीकरण की पटकथा भी लिखी जा रही है।

जानकार बताते हैं कि यह मंडल सामंतशाही, परिवारवाद, जातिवाद से लेकर अवैध खनन, खाद्यान्न घोटाला और मनरेगा घोटाला तक का बड़ा भुक्तभोगी रहा है। मंडल अब भी इन रोगों से मुक्त नहीं हो पाया है। सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जों के किस्से लोगों की जुबान पर हैं। एंटी भू-माफिया के तहत कार्रवाई हुई तो एक पूर्व विधायक जेल पहुंच गए। लोग बड़े गुस्से के साथ बताते हैं कि मनमाफिक अफसर लाकर नेताओं ने करोड़ों की संपत्ति कब्जा ली है। ताल, पोखर, नाले कब्जा हो रहे हैं। कई जगह तो माननीयों से ज्यादा उनके प्रतिनिधियों की लूट-खसोट, दलाली से गुस्सा है।


समाजशास्त्र से परास्नातक कर रहे महेश कुमार गौतम की बात से यह आवाज कुछ ज्यादा स्पष्ट हो जाती है। महेश कहते हैं,आप किसी चौराहे पर जाकर पूछ लीजिए लोग फर्राटे से बता देंगे कि पिछले 10 सालों में किस विधायक, पूर्व विधायक, नेता और प्रमुख ने कितनी नई गाड़ियां खरीदीं, कितने नए प्लॉट और कितने हेक्टेयर खेत खरीदे। कितना कारोबार का विस्तार किया। कई नेता स्कूल, कॉलेज खोलकर वहां पढ़ने वाले युवाओं को किस तरह चुनाव में प्रचार करने वाली एक फौज की तरह इस्तेमाल करते हैं, यह सब भी लोग आपको बता देंगे। 

नाराजगी है…लेकिन काम भी खूब हो रहा है

एमएलके पीजी कॉलेज बलरामपुर से पढ़ाई करने के बाद डीएलएड कर रहीं मानसी सिंह 2022 के विधानसभा चुनाव के मिजाज की ओर इशारा करते हुए दिलचस्प टिप्पणी करती हैं। वह कहती हैं, महंगाई, बेरोजगारी बढ़ी है। आय प्रमाण पत्र जो दो-तीन दिन में बन सकता है, 15 दिन लग जाते हैं। इन सबको लेकर लोगों में नाराजगी है। टीईटी का पेपर आउट होने से भी नाराजगी है, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता। पर, नाराजगी इस स्तर की नजर नहीं आ रही कि सरकार बदल जाए। राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। गुंडागर्दी कम हुई है। वहीं, बलरामपुर को केजीएमयू का सेटेलाइट कैम्पस मिला है तो गोंडा में एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फैक्टरी लग रही है। बहराइच का मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया है तो दशकों पुरानी सरयू नहर व राप्ती नहर परियोजना इसी सरकार ने पूरी कराई है। शिक्षक और सिपाही भर्ती में मंडल के तमाम युवाओं का चयन हुआ है। सड़कें बन रही हैं, बिजली 16 से 18 घंटे रहती ही है। आवास के साथ मुफ्त राशन, मुफ्त वैक्सीन भी इसी सरकार ने दी है। यह भी लोग देख रहे हैं।

सोशल मीडिया के जमाने में किसी का अच्छा-बुरा छिपा नहीं

मानसी से मिलती-जुलती बातें किसान पीजी कॉलेज बहराइच में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हयात खान भी करती हैं। कहती हैं, महंगाई से मध्य वर्ग बहुत परेशान है। इस सबके बावजूद जो विधायक पांच साल क्षेत्र में रहे, जनता के सुख-दुख में शामिल हुए, वे फिर जीतेंगे। पर, जिन्होंने विधायक बनने के बाद ज्यादा ध्यान खुद की संपत्ति बनाने और अपनों को मालामाल करने में किया, उनके लिए चुनौती ज्यादा है। ऐसे में चुनाव की असली तस्वीर प्रत्याशी फाइनल होने के बाद ही सामने आएगी। श्रावस्ती के पवन तिवारी कहते हैं कि चुनाव कभी मुद्दों पर हो ही नहीं पाता है। चुनाव आते-आते सुहेलदेव-गाजी, जिन्ना-सावरकर, हिन्दू-मुस्लिम, तुष्टीकरण, …इन्हीं सब पर घसीट कर लोगों को पहुंचा दिया जाता है। वही सब इस बार भी हो रहा है। अभी तो जगह-जगह टिकट कटने या सीट बदलने की चर्चा आम है। पहले ये सब हो जाए, तब पता चलेगा कि कौन भारी रहेगा।

सीटों का गणित 

बलरामपुर (4 सीटें)
बलरामपुर (सु.) : भाजपा के पल्टूराम विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 96 हजार, अनुसूचित जातियां 75 हजार, वर्मा 40 हजार, कहार, प्रजापति गौड़ व अन्य 55 हजार, ब्राह्मण करीब 38 हजार, यादव 35 हजार, क्षत्रिय 20 हजार, सोनकर 12 हजार, वैश्य 9 हजार, कायस्थ 7 हजार।
तुलसीपुर : भाजपा के कैलाश नाथ शुक्ल विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : अनुसूचित जातियां करीब 87 हजार, मुस्लिम 87 हजार, वर्मा 52 हजार, यादव 48 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, कहार, प्रजापति व अन्य 25 हजार और क्षत्रिय व कायस्थ 15-15 हजार।
गैसड़ी : भाजपा के शैलेश कुमार सिंह शैलू विधायक हैं। वह लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष भी रहे हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 86 हजार, एससी-एसटी 85 हजार, यादव 45 हजार, वर्मा 40 हजार, ब्राह्मण 35 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, कहार, निषाद, गौड़, प्रजापति व अन्य 28 हजार, वैश्य 7 हजार और कायस्थ 5 हजार।
उतरौला : भाजपा के राम प्रताप वर्मा विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 1.24 लाख, अनुसूचित जातियां 75 हजार, वर्मा 55 हजार, यादव 45 हजार, कहार, गौड़, निषाद व अन्य 33 हजार, ब्राह्मण 30 हजार, वैश्य 25 हजार, क्षत्रिय 20 हजार, कायस्थ व अन्य 8 हजार।

गोंडा सात सीटें
गोंडा : भाजपा के प्रतीक भूषण शरण सिंह पहली बार विधायक हैं। 
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 72 हजार, मुस्लिम 55 हजार, अनुसूचित जातियां 55 हजार, क्षत्रिय 35 हजार, यादव 32 हजार और कायस्थ 27 हजार। 
मेहनौन : भाजपा के विनय कुमार द्विवेदी विधायक हैं।
जातिगत समीकरण: ब्राह्मण करीब 90 हजार, अनुसूचित जातियां 60 हजार, मुस्लिम 60 हजार, कुर्मी 45 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, यादव 25 हजार और कायस्थ 24 हजार।
करनैलगंज : भाजपा से अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया विधायक हैं। 
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 80 हजार, यादव 55 हजार, क्षत्रिय 49 हजार, मुस्लिम 45 हजार, अनुसूचित जातियां 36 हजार और कायस्थ 10 हजार।
तरबगंज : भाजपा के प्रेम नरायन पांडे विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 99 हजार, अनुसूचित जातियां 55 हजार, यादव 52 हजार, क्षत्रिय 47 हजार और मुस्लिम 45 हजार।
कटरा बाजार : भाजपा के बावन सिंह विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 1.10 लाख, अनुसूचित जातियां व मुस्लिम 65-65 हजार, यादव 30 हजार, क्षत्रिय 20 हजार, कायस्थ 11 हजार। 
गौरा : भाजपा के प्रभात वर्मा विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : कुर्मी करीब 75 हजार, मुस्लिम 70 हजार,अनुसूचित जातियां 65 हजार, ब्राह्मण 55 हजार, क्षत्रिय 32 हजार और यादव 25 हजार।
मनकापुर (सु.) : भाजपा से रमापति शास्त्री विधायक हैं और समाज कल्याण मंत्री हैं।
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 65 हजार, अनुसूचित जातियां 62 हजार, मुस्लिम 55 हजार, क्षत्रिय 40 हजार और यादव 28 हजार।

बहराइच सात सीटें
बहराइच : भाजपा की अनुपमा जायसवाल विधायक हैं। 
जातिगत समीकरण : ओबीसी करीब 80 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, कायस्थ 25 हजार, ब्राह्मण व क्षत्रिया 20-20 हजार, सिख, ईसाई व बौद्ध 7 हजार।
महसी : भाजपा के सुरेश्वर सिंह विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : ब्राह्मण करीब 85 हजार, अनुसूचित जातियां 53 हजार, मुस्लिम 48 हजार, यादव 27 हजार, लोध 22 हजार, क्षत्रिय 17 हजार और कहार 15 हजार।
मटेरा : सपा के यासर शाह विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 1.80 लाख, अनुसूचित जातियां 70 हजार, यादव 60 हजार, कुर्मी 28 हजार, ब्राह्मण 24 हजार और क्षत्रिय 12 हजार।
नानपारा : भाजपा की माधुरी वर्मा विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब एक लाख, अनुसूचित जातियां 80 हजार, कुर्मी 65 हजार, यादव 25 हजार, ब्राह्मण 14 हजार और क्षत्रिय 12 हजार।
बलहा (सु.) : भाजपा से किरन भारती विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : अनुसूचित जातियां करीब डेढ़ लाख, मुस्लिम 70 हजार, यादव 20 हजार, ब्राह्मण और क्षत्रिय 15-15 हजार।
पयागपुर : भाजपा के सुभाष त्रिपाठी विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : अनुसूचित जातियां करीब 1.40 लाख, ओबीसी 1.20 लाख, मुस्लिम 45 हजार, ब्राह्मण 42 हजार और क्षत्रिय 24 हजार।
कैसरगंज : भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम 1.20 लाख, यादव 50 हजार, कुर्मी 44 हजार, अनुसूचित जातियां 40 हजार, निषाद 26 हजार, ब्राह्मण 17 हजार, लोधी 16 हजार, कायस्थ 15 हजार, क्षत्रिय 11 हजार, प्रजापति व बढ़ई 10-10 हजार।

श्रावस्ती दो सीटें
श्रावस्ती : भाजपा के रामफेरन पांडेय विधायक हैं। 
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 1.10 लाख, ब्राह्मण 97 हजार, यादव 28 हजार, कुर्मी 29 हजार, क्षत्रिय. अनुसूचित जातियां 50 हजार।
भिनगा : बसपा के मो. असलम राइनी विधायक हैं।
जातिगत समीकरण : मुस्लिम करीब 1.06 लाख, ब्राह्मण 48 हजार, अनुसूचित जातियां 47 हजार, यादव 45 हजार, कुर्मी 36 हजार, और क्षत्रिय 11 हजार।

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