वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली का आयोजन किया गया, जिसमें चिता भस्म की होली और मसाननाथ बाबा की पालकी शोभायात्रा शामिल थी। आयोजकों ने बताया काशी दुनिया में ऐसी एकमात्र जगह है जहां मृत्यु और मोक्ष के प्रतीक महाश्मशान में चिता की भस्म से होली खेली जाती है।






भक्त भगवान शिव के स्वरूप मशाननाथ के विग्रह पर गुलाल और चिता की राख चढ़ाकर इस होली की शुरुआत करते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव भी उनके बीच होते हैं और वहां पर होली खेलते हैं। मणिकर्णिका घाट पर मसाननाथ बाबा की पालकी शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में नागा साधु, सन्यासी और वैरागी शामिल हुए। मसाननाथ मंदिर पहुंचने के बाद चिता भस्म की होली खेली गई। नाच- गाना न होने से युवाओं का उत्साह कम दिखा। लेकिन भक्तों की भीड़ जुटी रही। 500 से अधिक डमरूओं की ध्वनि ने माहौल को भक्तिमय बना दिया था और उसी की ध्वनि में देश-विदेश से आये पर्यटक हर-हर महादेव की जयघोष करते हुए झूमते दिखे।
