चार साल तक चले संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप
यूपीएससी में चयनित अधिकारी के खिलाफ दर्ज प्रकरण को हाईकोर्ट खारिज कर दिया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि आपसी सहमति से चार साल तक चले प्रेम संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप अनुचित हैं। अनावेदिका आर्थिक रूप से सक्षम थी, इसके बावजूद भी लंबे समय तक एफआईआर दर्ज करवाने में अतिशत विलंब को तार्किक नहीं माना जा सकता। एकलपीठ ने आदेश के साथ यूपीएससी उत्तीर्ण अधिकारी को राहत प्रदान करते हुए उसके खिलाफ दर्ज प्रकरण को खारिज कर दिया है।
अनावेदिका का आरोप है कि याचिकाकर्ता ने प्रथम बार सितंबर 2020 में यौन संबंध स्थापित किए थे। याचिकाकर्ता ने शादी का आश्वासन दिया तो उसे उसने माफ कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने उसके साथ 20 से 30 बार यौन संबंध स्थािपत किया। इस दौरान उसने वीडियो व फोटो बना लिए थे और रुपये की मांग करते हुए उसे ब्लैकमेल करता था। याचिकाकर्ता के खिलाफ उसने अगस्त 2023 में एफआईआर दर्ज करवाई है। याचिकाकर्ता 31 साल की महिला है और आर्थिक रूप से सक्षम है। आपसी सहमति से चार साल तक चले प्रेम संबंध के बाद दुष्कर्म के आरोप अनुचित है। एकलपीठ ने दायर एफआईआर को खारिज करने के आदेश जारी किए हैं।
नरसिंहपुर निवासी वीर सिंह राजपूत ने याचिका दायर कर उसके विरुद्ध दर्ज दुष्कर्म की एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। इस दौरान दोनों के बीच कई बार स्वेच्छा से यौन संबंध भी स्थापित हुए। याचिकाकर्ता का दूसरी युवती से विवाह तय हो गया तो उसने एफआईआर दर्ज करा दी।पीड़िता ने कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने न केवल शादी का झांसा देकर लंबे समय तक संबंध बनाए। बल्कि उसे ब्लैकमेल करते हुए लाखों रुपये भी ठगे। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश किए गए दस्तावेज को फर्जी बताते हुए कहा गया कि पिछले दो वर्षाें की सूची में वीर सिंह राजपूत नाम का कोई अधिकारी चयनित नहीं हुआ है। न्यायालय की सहानुभूति पाने याचिकाकर्ता की तरफ से ऐसा किया गया है। एकलपीठ ने सरकार को 15 दिनों में दस्तावेजों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए थे।