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‘जब भी एक औरंगजेब उठ गया, एक शिवाजी भी उभरा’: काशी विश्वनाथ धाम लॉन्च पर पीएम मोदी ने क्या कहा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यहां काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का उद्घाटन करने के बाद कहा कि जब भी भारत में कोई औरंगजेब पैदा हुआ है, एक शिवाजी भी उभरा है क्योंकि इस देश की धरती बाकी दुनिया से अलग है। सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने वाराणसी की सभ्यतागत विरासत की सराहना की और कहा कि कई सल्तनतें उठीं और ढह गईं लेकिन बनारस बना रहा।

मोदी ने पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने और काल भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद गलियारे का शुभारंभ किया। लॉन्च से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महात्मा गांधी के नाम पर बहुत राजनीति की गई है, लेकिन केवल वर्तमान सरकार ने काशी को बदलने के उनके सपने को पूरा किया है।

लॉन्च से पीएम मोदी के शीर्ष उद्धरण:

• “आक्रमणकारियों ने इस शहर पर हमला किया, इसे नष्ट करने की कोशिश की। इतिहास औरंगजेब के अत्याचारों, उसके आतंक का गवाह है। उसने तलवार से सभ्यता को बदलने की कोशिश की। उन्होंने कट्टरता से संस्कृति को कुचलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से अलग है। यहाँ यदि कोई (मुगल सम्राट) औरंगजेब आता है, तो एक (मराठा योद्धा) शिवाजी भी उठ खड़ा होता है। अगर कोई सालार मसूद आगे बढ़ता है, तो राजा सुहलदेव जैसे योद्धा उसे हमारी एकता की शक्ति का एहसास कराते हैं।”

• मोदी ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम का पूरा नया परिसर सिर्फ एक भव्य इमारत नहीं है, बल्कि भारत की “सनातन संस्कृति”, हमारी आध्यात्मिक आत्मा और भारत की पुरातनता और परंपराओं का प्रतीक है। यहां का मंदिर क्षेत्र, जो केवल 3000 वर्ग था मोदी ने कहा कि यह अब लगभग पांच लाख वर्ग फुट में फैल गया है और अब 50,000-75,000 श्रद्धालु मंदिर परिसर में आ सकते हैं।

• उन्होंने कहा कि “नया इतिहास” बनाया जा रहा था और “हम इसे देखने के लिए भाग्यशाली हैं”।

• आज मैं इस भव्य परिसर के निर्माण के लिए काम करने वाले हर मजदूर के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं। COVID-19 के दौरान भी काम यहीं नहीं थमा।

• “मैं अपने कारीगरों, हमारे सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े लोगों, प्रशासन के लोगों, उन परिवारों को बधाई देता हूं जिनके यहां अपने घर थे। इन सबके साथ मैं यूपी सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को भी बधाई देता हूं, जिन्होंने काशी विश्वनाथ धाम परियोजना को पूरा करने के लिए दिन-रात एक किया।

• “काशी में एक ही सरकार है, जिसके हाथ में डमरू है। जहां गंगा बहती है वहां काशी को अपनी धारा बदलकर कौन रोक सकता है?”

• “जब आप यहां आएंगे तो आपको केवल विश्वास ही नहीं दिखेगा। यहां आपको अपने अतीत की महिमा भी महसूस होगी। पुरातनता और नवीनता एक साथ कैसे जीवंत हो उठती है। प्राचीन हवाएं जिस तरह भविष्य को दिशा दे रही हैं, हम विश्वनाथ धाम परिसर में उसका सीधा दर्शन कर रहे हैं।”

• “मैं आपसे तीन संकल्प चाहता हूं, अपने लिए नहीं, बल्कि हमारे देश के लिए- स्वच्छता, सृजन और नवाचार और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए निरंतर प्रयास”।

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