सूरत नगर निगम के वार्ड नंबर 30 में बनी कृत्रिम तालाब में श्रीजी विसर्जन के नाम पर लोगों का विश्वास और आस्था का ही विसर्जन किया.
सूरत नगर निगम के कर्मचारियों को मूर्तियों में पानी छिड़कते और मूर्ति को उस स्थान पर डापर ट्रकों में रखते हुए देखा गया,जहां गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया गया था। जबकि पहले तालाब विसर्जन करना था.
क्या इसके लिए मीडिया को पुलिस ने एंट्री नहीं दी थी?
अगर मूर्ति को इस तरह विसर्जित करना था तो कृत्रिम तालाब बनाने पर लाखों रुपये क्यों खर्च किए गए।
क्या स्थानीय पार्षद और पुलिस को क्या इस बात का संज्ञान है की नही ?