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 पीवीएस शर्मा ने बीजेपी से दिया इस्तीफा, उधना या लिंबायत से चुनाव लडऩे की संभावना

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गुजरात के एक वरिष्ठ मंत्री जय नारायण व्यास के इस्तीफे के बाद, भाजपा के पूर्व पार्षद, पूर्व शहर उपाध्यक्ष और सेवानिवृत्त आयकर अधिकारी पीवीएस शर्मा ने आज इस्तीफा दे दिया है। इस इस्तीफे में पहले तीन दिन पहले सोश्यल मीडिया में लिखा था की हम कब तक अन्याय सहेंगे। उसके बाद आज अचानक इस्तीफे से बीजेपी कार्यकर्ता बौखला गए हैं। पीवीएस शर्मा लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे। लेकिन पिछले दो-तीन सालों से देखने में आया है कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी से बाहर कर दिया गया है। नवंबर 2020 में वह इनकम टैक्स में कटौती के बाद शिकायत दर्ज कराने के बाद चर्चा में आए थे। बीजेपी नेता पर इनकम टैक्स रेड को लेकर माहौल गरमा गया था। अपराध दर्ज होने के बाद उन्होने आत्महत्या का भी प्रयास किया। आज पीवीएस शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है और उधना या लिंबायत सीट से चुनाव लडऩे की संभावना जताई जा रही है।

पीवीएस शर्मा ने बीजेपी के सभी पदों से दिया इस्तीफा

विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल काफी गर्म हो गया है। कौन सा पदाधिकारी कौन सा निर्णय लेगा, यह कहना संभव नहीं है। कभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण तो कभी आंतरिक शत्रुता के कारण दल-बदल हो रहे हैं। पीवीएस शर्मा पिछले ढाई साल से बीजेपी से अलग रह रहे थे। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए इस्तीफा दे दिया है। जब उन्होंने अपना इस्तीफा पोस्ट किया, तो भाजपा और शहर के सभी लोगों को इस बारे में पता चला। पीवीएस शर्मा एक पूर्व सरकारी आयकर अधिकारी हैं और उन्हें बहुत बुद्धिमान माना जाता है। उन्होंने सरकारी नौकरी छोडऩे के बाद राजनीति को अपना करियर बनाने का फैसला किया। पीवीएस शर्मा भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद से सीआर पाटिल के काफी करीबी माने जाते थे। वह शहर भाजपा संगठन में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। वे प्रवक्ता भी रह चुके हैं और सूरत शहर के उपाध्यक्ष भी रहे।

परप्रांतिय मतदाताओं के साथ पकड़

चूंकि पीवीएस शर्मा परप्रांतिय हैं, इसलिए यहां के समाज में उनकी पकड़ है। लिंबायत और उधना क्षेत्र के भीतर भी विभिन्न समाजों में उनकी अच्छी छाप है। बीजेपी में रहते हुए उन्होंने परप्रांतिय मतदाताओं को संगठित करने का बेहतरीन काम किया। उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें शहर में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी।

इस्तीफे में लिखा अपना दुख जिस पार्टी में एक अनुशासित कार्यकर्ता के रूप में 15 साल तक सेवा की है, उसे छोडना बहुत मुश्किल है। कुछ समय से मैं सोच रहा था कि भारतीय जनता पार्टी में रहूं या छोड़ दूं। अंत में मेरी अंतरात्मा की बात सुनकर आज छोडऩे का फैसला किया। मैं कुछ कारणों से पार्टी के राज्य नेतृत्व के प्रति अपने विरोध के कारण भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय सदस्यता और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। 2020 ने सूरत के भोले-भाले व्यापारी समुदाय, छोटे व्यवसायियों और कई अन्य निर्दोष लोगों पर आयकर अधिकारियों द्वारा अन्याय और जबरन वसूली के खिलाफ अभियान चलाया और इस विषय पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अधिकारियों के नाम के साथ जानकारी भेजी। इसमें शामिल अधिकारियों ने मेरे खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कर मुझे बदनाम करने और जेल भेजने की साजिश रची थी। फिर अधिकारियों के साथ क्षेत्र के कुछ नेताओं ने मुझे और मेरे परिवार को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह भी व्यवस्था की गई थी कि इस कठिन समय में कोई भी पार्टी पदाधिकारी मेरे साथ खड़ा नहीं होगा। मुझे ईश्वर और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है इसलिए मेरे खिलाफ गलत मामले जल्द ही खत्म हो जाएंगे। जब निर्दोष और सार्वजनिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले हों तो हमें पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ खड़े होकर उनकी मदद करनी चाहिए, लेकिन मुझे लगता है कि पार्टी आपके नेतृत्व में इस मामले में विफल रही है। मुझे आपको यह सूचित करते हुए खुशी हो रही है कि मैं इस तरह के अन्याय के खिलाफ लड़ता रहूंगा और अपनी अंतिम सांस तक लोगों के कल्याण के लिए काम करता रहूंगा और आप मेरा इस्तीफा सहर्ष स्वीकार करेंगे।

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