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गुजरात हाईकोर्ट को राज्य सरकार से क्यों कहना पड़ा – ‘भय बिन होय न प्रीत’

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गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य की सभी प्राथमिक स्कूलों में गुजरात विषय अनिवार्य रूप से पढ़ाने की मांग करती याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से कहा कि अगर यह उसका निर्णय है तो इसे लागू करने में वह लाचारी ना बताए और इसे सख्ती लागू करे| हाईकोर्ट ने कहा ‘भय बिन होय न प्रीत’| गुजरात हाईकोर्ट में ‘मातृभाषा अभियान’ नामक संस्था ने जनहित याचिका दाखिल कर राज्य की सभी स्कूलों में गुजराती भाषा को पढ़ाए जाने की मांग की है| याचिका में बताया गया कि राज्य की 14 स्कूलें ऐसी हैं जहां गुजराती भाषा नहीं पढ़ाई जाती| इसके अलावा अन्य कई स्कूलों में भी ऐसी स्थिति है| याचिका में सरकार के 13 अप्रैल 2018 के परिपत्र का अमल करने की मांग की गई है| जिसमें राज्य की प्रत्येक प्राथमिक स्कूलों में गुजराती विषय अनिवार्य रूप से सिलसिलेवार अलग अलग कक्षाओं में पढ़ाए जाने का उल्लेख है| सरकार के इस परिपत्र की अमलवारी राज्य में नहीं होने की हाईकोर्ट से शिकायत की गई है| इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि गुजरात बोर्ड समेत सभी बोर्ड पर राज्य सरकार की नीति लागू होती है| जो बोर्ड गुजराती भाषा अपने पाठ्यक्रम में शामिल नहीं करते उनके खिलाफ राज्य सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए| मातृभाषा की पढ़ाई बच्चों का अधिकार है और जो बोर्ड बच्चों की मातृभाषा को अपने पाठ्यक्रम में शामिल नहीं करते उनके खिलाफ राज्य सरकार को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए| हाईकोर्ट ने कहा ‘भय बिन न होय प्रीत’| हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार इसे लागू करने में लाचार है तो कोर्ट जरूरी आदेश देगी| सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दलील दी गई कि राज्य की सभी स्कूलों में गुजराती भाषा पढ़ाई जाती है| जल्द ही संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों से जानकारी एकत्र कर कोर्ट में पेश करेंगे| गुजरात हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 22 दिसंबर को करेगी|

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