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पांडेसरा में रहने वाली 66 वर्षीय ब्रेन-डेड महिला ने दो किडनी, एक लीवर और दो आंखों के दान से पांच लोगों को नई जिंदगी

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क्रांति समय

सुरत, सूरत के नए सिविल अस्पताल से एक ओर सफल अंगदान हुआ। पांडेसरा में रहने वाले कुशवाह परिवार की 66 वर्षीय महिला की ब्रेन डेड हो गई थी। उसकी दो किडनी, लीवर और दो आंखों के दान से पांच जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन मिलेगा और आंखों की जरूरत वाले एक मरीज की जिंदगी में रोशनी आएगी। नवी सिविल द्वारा यह 38वां सफल अंगदान हुआ है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले के महावी मीरानपुर गांव के मूल निवासी रामाधिराज कुशवाहा अपनी पत्नी और चार छोटे बच्चों के साथ सूरत के पांडेसरा इलाके में रहते हैं। रामाधिराज की 66 वर्षीय पत्नी बुचिया को 30 जुलाई को सिरदर्द हुआ। जिसके बाद सिरदर्द असहनीय होने पर उन्होंने देर रात दवा ली, परिणाम स्वरूप ठीक हो गई। लेकिन 31 तारीख को सुबह 4:30 बजे उन्हें दो बार उल्टी हुई और चक्कर आने पर उनके परिवार द्वारा 108 आपातकालीन एम्बुलेंस द्वारा सुबह 09:05 बजे न्यू सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां मरीज को एमआईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया था। उनकी तबीयत बिगड़ने पर 02 अगस्त को सुबह 04:51 बजे न्यूरो फिजिशियन डॉ. परेश ज़ांज़मेरा और न्यूरो सर्जन डॉ. केयूर प्रजापति ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। 2 अगस्त को ब्रेन डेड बुचिया की दो किडनी, लीवर और दो आंखों का दान स्वीकार कर लिया गया। किडनी और लिवर को किरण हॉस्पिटल-सूरत और आंखों (कॉर्निया) को न्यू सिविल के आई बैंक में ले जाया गया।

नवी सिविल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गणेश गोवेकर के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में आरएमओ डॉ. केतन नायक, प्लास्टिक सर्जन डॉ. नीलेश कचड़िया, न्यूरो फिजिशियन डॉ. परेश जंज़मेरा, न्यूरोसर्जन डॉ. केयूर प्रजापति, नर्सिंग काउंसिल के इकबाल कड़ीवाला, रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग और सुरक्षा कर्मचारी, सफाईकर्मी, स्वयंसेवकों ने अंगदान में प्रयास किया। इस प्रकार नये सिविल अस्पताल के सफल प्रयासों से एक और अंगदान के साथ 38वां अंगदान हुआ।

सोटो टीम के डॉ. नीलेश काचड़िया, आरएमओ डॉ. केतन नायक, टीबी विभाग के प्रमुख डॉ. पारुल वडगामा और इकबाल कड़ीवाला, काउंसलर निर्मला कठूड़ ने कुशवाह परिवार के सदस्यों को अंगदान का महत्व समझाया। दूसरों को नई जिंदगी मिले, इसके लिए परिवार के लोग दुख की घड़ी में भी अंगदान के लिए आगे बढ़ने को तैयार हो गए।

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