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उन नायकों से मिलिए जिन्होंने सपना धरती पर देखा और चांद पर सच किया

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क्रांति समय

चंद्रयान-3 को पूरा करने के लिए फीमेल साइंटिस्ट और इंजीनियर्स ने भी अहम किरदार निभाया. चंद्रयान-3 को सफल बनाने में एस सोमनाथ के अलावा प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल, मिशन डायरेक्टर मोहना कुमार,  विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के निदेशक एम शंकरन और लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड (LAB) प्रमुख ए राजराजन ने भी अहम किरदार निभाया. 

एयरोस्पेस इंजीनियर एस सोमनाथ ने ही चंद्रयान के व्हीकल मार्क-3 या बाहुबली रॉकेट के डिजाइन में मदद की थी. वह बेंग्लुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के छात्र रहे हैं.

चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक वीरमुथुवेल ने चेन्नई से मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी की पढ़ाई की है. रमुथुवेल ने अपने अनुभव से चंद्रयान-3 मिशन को मजबूत बनाने में मदद की.

एस मोहना कुमार चंद्रयान-3 के मिशन निदेशक हैं. वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं. चंद्रयान-3 से पहले वह LVM3-M3 मिशन पर वन वेब इंडिया 2 सैटेलाइट के निदेशक थे.

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम चंद्रयान -3 के हर महत्वपूर्ण पहलु पर नजर रखती है.नायर  ने ही जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (JSLV) मार्क-III विकसित किया है. वह एक एयरोस्पेस इंजीनियर है. उन्होंने अपनी पढ़ाई भारतीय विज्ञान संस्थान की थी.

एम शंकरन को इसरो का पावरहाउस माना जाता है. वह नोवल पावर सिस्टम और पावर सैटेलाइट तक जाने वाले सोलर आरेस बनाने में मुहारत रखते हैं. एम शंकरन चंद्रयान-1, मंगलयान और चंद्रयान-2 सैटेलाइट का भी हिस्सा थे.

ए राजराजन एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं और वर्तमान में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र SHAR के निदेशक हैं. उन्होंने चंद्रयान-3 को कक्षा में स्थापित किया.

कल्पना ने कोविड एक इंजीनियर के रूप में अपना जीवन भारत के सैटेलाइट बनाने के लिए समर्पित कर दिया है. वह चंद्रयान -2 और मंगलयान दोनों मिशनों में शामिल थीं.

रितु करिधल श्रीवास्तव इसरो में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं और भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन उप संचालन निदेशक रही हैं. उन्होंने बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग से एमटेक भी किया. 

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