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हवाई अड्डे पर तुरंत एक नई सेवा शुरू की गई ताकि प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा बोइंग 777 विमान मोड़ ले सके

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टर्निंग पैड को बड़ा किया गया ताकि प्रधानमंत्री का विमान वेसु एंड से आसानी से मुड़ सके

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विमान डुमस एंड से रनवे पर उतरेगा

डीजीसीए ने वेसु की ओर तैयार विस्तारित टर्निंग पैड को मंजूरी दे दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 17 दिसंबर को सूरत एयरपोर्ट पर उतरने से पहले एक नई सुविधा मिल गई है। प्रधानमंत्री का वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट (एयर इंडिया वन-बोइंग-777) 17 दिसंबर को सूरत हवाई अड्डे के डुमस छोर से रनवे पर उतरेगा। उनका विमान वेसु छोर से मुड़ेगा और फिर से डुमस एंड की ओर उड़ान भरेगा।

प्रधानमंत्री के दौरे से पहले सूरत हवाई अड्डे का दौरा करने वाले विमानन मंत्रालय के अधिकारीओं ने बड़े विमान के उतरने के बाद एक मोड़ लेंगे और समानांतर टैक्सी ट्रैक पर जाएंगे और यहां से फिर डुमस की ओर उड़ान भरेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, डायमंड बुर्स के उद्घाटन के लिए आनेवाले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को सूरत हवाई अड्डे के विस्तारित आधुनिक टर्मिनल भवन, एयरो ब्रिज, पार्किंग, समानांतर टैक्सी ट्रैक का हिस्सा और वेसु छोर पर एक विस्तारित टर्निंग पैड का भी उद्घाटन करेंगे।

वेसू के लिए तैयार नए टर्निंग पैड को सोमवार को डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने भी तत्काल मंजूरी दे दी है। टर्निंग पैड को बड़ा किया गया है ताकि डुमस से उतरने वाला प्रधानमंत्री का विमान वेसु एंड से आसानी से टर्न ले सके।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ने वेसु की ओर रनवे के टर्निंग पैड को संशोधित और बड़ा किया है ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एयर इंडिया वन – बोइंग-777 विमान सूरत हवाई अड्डे पर आसानी से उतर सके। डीजीसीए ने ट्रायल रन के बाद नए संशोधित टर्निंग पेड का उपयोग करने की अनुमति भी दे दी है।

सूरत एयरपोर्ट का मौजूदा रनवे 2,905 मीटर लंबा है। लेकिन वेसू की ओर सटी संपत्तियों के कारण वेसू से विमान उतारने के लिए 615 मीटर के रनवे को काट दिया जाता है। यानी पायलट को 615 मीटर रनवे के आगे 2290 मीटर रनवे का ही इस्तेमाल करना पडता है।

विमानन उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि सूरत हवाई अड्डे पर टर्निंग पैड को बड़ा करने से डुमस से उतरने वाले वाइड बॉडी विमानों को एक निश्चित अवधि के भीतर लाभ मिल सकता है, यह सुविधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सूरत की सुरक्षित यात्रा के लिए बनाई गई है।

चूंकि डुमस 04 रनवे में आईएलएस और कैट लाइट की सुविधा नहीं है, जिससे रात में इसका उपयोग करना मुश्किल हो जाता है, इसलिए किसी भी हवाई अड्डे पर विमान के उतरने और उड़ान भरने के लिए पिछले 15-20 वर्षों का चार्ट होता है। डुमस एंड से लैंडिंग साल में केवल 20 प्रतिशत समय ही आसान मानी जाती है। बाकी समय हवा की गति तेज़ होती है।

प्रधानमंत्री का विमान भले ही बड़ा हो, लेकिन उसमें पर्याप्त यात्री और सामान नहीं होता। ईंधन भी मैनुअल है। जबकि निजी वाइड बॉडी विमान में यात्री और सामान भार के अलावा ईंधन भार पर भी विचार किया जाता है। ऐसे में जब हवा तेज गति से चल रही हो तो उसके हवा के दबाव और विमान के दबाव से आगे बढ़ने का खतरा रहता है।

इसी लिए वेसू की ओर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम सहित सुविधाएं विकसित की गई हैं। हालांकि, कुछ लोगों का मानना ​​है कि डुमस एंड से 2905 मीटर रनवे पर वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट को उतारना मुश्किल नहीं है। हवा की गति जैसे बड़े मुद्दे पर भी सूरत में लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई में डीजीसीए के अधिकारी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।

केंद्र के नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को सरकारी विमान से सूरत हवाई अड्डे पर सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया। उन्होंने इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम और रनवे का भी निरीक्षण किया। इसके अलावा, हवा में विमानों की सुरक्षित आवाजाही के लिए एयर नेविगेशन बहुत महत्वपूर्ण है। जो स्थानिक जानकारी प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एएआई की एफआईयू ने ग्राउंड सीएनएस टीम के साथ समन्वय में सूरत हवाई अड्डे पर सफल अंशांकन पूरा किया

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