Home गुजरात जैनाचार्य विजय रत्नसूंदरसूरीश्वरजी म.सा. द्वारा लिखित अदभुत पुस्तक पासवर्ड का विमोचन

जैनाचार्य विजय रत्नसूंदरसूरीश्वरजी म.सा. द्वारा लिखित अदभुत पुस्तक पासवर्ड का विमोचन

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सूरत। वेसू में शनिवार 2 दिसंबर 2023 को पद्मभुषण से सम्मानित जैनाचार्य विजय रत्नसूंदरसूरीश्वरजी म.सा. की 21 दिवसीय सूरिमंत्र पंच प्रस्थान साधना संपन्न हुई। साथ ही महाविधेह धाम में उनक सुवर्ण साधनाकक्ष सूरत के भक्तों के लिए खुला रखा गया जिसमें हजारो भक्तों ने लाभ लिया। सूरीमंत्र पूजन पश्चात पूज्य जैनाचार्य के मुख से मांगलिक श्रवण करने सेंकडो भक्त पधारे थे इस अवसर पर पूज्य गुरूजी द्वारा लिखित 450वां अदभुत पुस्तक पासवर्ड का लोकार्पण ‌किया गया।

450वां पुस्तक पासवर्ड का लोकार्पण हुआ इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जैनाचार्य विजय रत्नसूंदरसूरीश्वरजी म.सा. ने कहा कि मेरे द्वारा लिखित पुस्तक के लिए क्या मै तो क्या कहु। मगर यह एक नए व्युह से पुस्तक लिखा गया है। जैसे दो दो मिनिट की क्लिप सुनने में लोगों को बहुत रस होता है। इसी प्रकार कम से कम लिखा पढने में लोगों को अधिक रस होता है। ऐसा लंबे समय से साहित्य के सर्जनों का अनुभव है।
इस लिए ऐसा पुस्ताक प्रकाशित किया गया है जो साहित्य जगत में यह पहला पुस्तक होगा। जिसका प्रश्न एकज लाईन में और उत्तर भी एक ही लाईन में। ऐसे 700 प्रश्न और उसके 700 उत्तर कोई चाहे तो आधे घंटे में पुरा पुस्तक पढ़ ले। और चिंतन करे तो 6 महिने लेगेंगे ऐसा शोर्ट एन्ड स्वीट पुस्तक छोटे बच्चों से वृद्धो सहित सभी के लिए आकर्षिन का केन्द्र बने ऐसा पुस्ताक है। जिवनलक्षी, धर्मलक्षी व्यवहारलक्षी, संस्कृतिलक्षी, बिजनेसलक्षी, शांति और प्रसन्नता लक्षी और जितने भी जिवन के प्रश्न है उनका समाधान करनेवाला पुस्तक कल से जैसे जैसे लोगों के हाथों में जायेगा उसकी प्रतिसाद, प्रतिक्रिया, प्रतिभाव अच्छी मिलेगी। लोग उसे पढने से अपने जिवन और मन को संस्कृत करेंगे ऐसी पुरी आशा है।

डॉ.संजय बिपिनचंद्र शाह आज परम पुज्य पद्मभुषण विपुषित राजप्रतिबोधक आचार्य भगवंत रत्नसुंदरसूरीश्वरजी महाराज द्वारा प्रकाशित 450वां पुस्तक पासवर्ड के विमोचन का लाभ हमारे परिवार को मिला जिसके लिए हम आचार्य भगवंत के बहुत ऋणी है। एक अदभुत पुस्तक लिखा गया है जो बरसो तक सील संस्कृति सदाचार के लिए पुज्य श्री के प्रयत्न रहे है उसमें और एक वृध्दि की गई है। यह पुस्तक द्वारा अगर एक व्यक्ति अपने जिवन में परिवर्तन करेगा तो चोक्कस उसके परिवार में परिवर्तन होगा। एक परिवार में परिवर्तन होगा तो समाज सुधरेगा और समाज सुधरेगा तो समग्र देश और पुरे विश्व में परिवर्तन होगा। यह मुल सिध्दांत के आधार पर लिखा गया यह पुस्तक आज सूरत कि जनाता के बिच विमोचन किया गया और उसका लाभ हमारे परिवार को मिला जिसका हमें बहुत हर्ष है।

इस पुस्तक की विशेषता के बारे में बताते हुए कहा कि यह पुस्तक हाथ में लो तो उसमें जो पात्र के नाम है उनको पढते वक्त ऐसा लगता है वह पात्र स्वंय वाचक ही है ऐसा महसूस करता है। फिर वाचक बच्चा हो, युवा हो, महिला हो या बुजुर्ग हो उन सभी वांचको को अपने मन की समस्या का समाधान इस पुस्तक में मिलता है। सुंदर सीधी भाषा में लोगों के प्रश्नों का उत्तर पुस्तक में दिया गया है। अब तक 450 पुस्तकों में 45 हजार पेजिस लिखे गए है। अब तक 40 से 45 लाख पुस्तक की नकल विश्व में पहुंची है।
सूरत शहर की जनता के लिए मेसेज देते हुए कहा कि इस पुस्तक में एक लाईन में सवाला और एक लाईन में उत्तर दिया गया है। सूरत में अब तक 28 पुस्तकों का विमोचन पिछले 6 महिनो के दौरान सूरत में किया गया है। यह पुस्तक वेबसाईट पर रत्नवर्ल्ड पर रत्नचेरिटेबल ट्रस्ट की वेबसाईट पर उपबल्ध है जिस किसी की भावना हो तो वह पुस्तक मंगा सकते है। पुस्तक विमोचन का लाभ लेनेवाले श्रेष्ठीवर्य मनिलाल डाह्याभाई , बिपिनचंद्र चिमनलाल शाह, द्वार कृतज्ञता अभिव्यक्त कि गई।

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