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‘मुसलमानों के सम्मान को ठेस पहुंचाना ही मकसद’ मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद में सर्वे की मिली इजाजत तो बोले असदुद्दीन ओवैसी

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क्रांति समय

उत्तर प्रदेश, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष को बड़ी कामयाबी मिली है। मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराने के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने सर्वे को मंजूरी दे दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमीश्नर नियुक्त करने की भी अनुमति दे दी है। हिंदू पक्ष ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तर्ज पर मथुरा में भी सर्वे की मंजूरी देने की याचिका दायर की थी। जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए शादी ईदगाह मस्जिद के ASI सर्वे की मंजूरी दे दी।

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ”इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की इजाजत दे दी। बाबरी मस्जिद केस के फैसले के बाद मैंने कहा था कि संघ परिवार (RSS) की शरारत बढ़ेगी।” ओवैसी ने कहा कि मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद कमेटी और मंदिर ट्रस्ट ने आपसी सहमति से सुलझा लिया था। काशी, मथुरा या लखनऊ की टीले वाली मस्जिद हो। कोई भी इस समझौते को पढ़ सकता है। इन विवादों को एक नया ग्रुप उछाल रहा है। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट अभी भी है, लेकिन इस ग्रुप ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट को मामले में 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी तो ऐसी क्या जल्दी थी कि सर्वे कराने का फैसला देना पड़ा। ओवैसी ने कहा कि जब एक पक्ष मुस्लिमों को लगातार निशाना बनाने में रुचि रखता है तो कृप्या हमें गिव एंड टेक यानी देन-लेन का उपदेश ना दें। कानून मायने नहीं रखता। मुसलमानों के सम्मान को ठेस पहुंचाना ही मकसद है।

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