सूरत। भारत सरकार की तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना 2019 के तहत, गुजरात सरकार द्वारा तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना के मसौदे के कच्चे नक्शे तैयार किए गए हैं। इन नक्शों के आधार पर इन नक्शों के संबंध में सुझाव/प्रतिवेदन देने के लिए दिनांक 29/12/2023 को वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय सूरत में एक जनसुनवाई का आयोजन किया गया, जिसमें सूरत जिले और शहर के नेताओं के साथ-साथ जागरूक नागरिकों द्वारा कई अभ्यावेदन दिए गए।
दर्शनकुमार ए. नायक (महासचिव, गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी) ने जनसुनवाई के दौरान कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जल स्तर दिन-ब-दिन भूमि की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में सीआरजेड क्षेत्र बढ़ना चाहिए और समुद्र की ओर निर्माण और अतिक्रमण कम होना चाहिए। इसकी जगह फिलहाल समुद्र की ओर अतिक्रमण बढ़ रहा है। यह पर्यावरण नियमों और अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के खिलाफ है। 50 से अधिक तटीय देशों में सुनामी जैसी घटनाएं होने पर कई विनाशकारी दृश्य निर्मित होते हैं।
2011 सीआरजेड मानचित्र के अनुसार तापी नदी तटबंध में कॉजवे से डुमस तक 100 मीटर एनडीजेड था। जिसमें हजारों निर्माण हो चुके हैं। अब यदि 2019 में 50 मीटर एनडीजेड स्वीकृत होता है तो इन सभी दबावों को कलेक्टर द्वाराअथवा सिंचाई विभाग दूर किया जाना चाहिए। तापी नदी की जल वहन क्षमता 8 से 10 लाख क्यूसेक थी। वर्तमान में तापी नदी की जल वहन क्षमता केवल 2 से 3 लाख क्यूसेक रह गई है। इस मानचित्र में तापी नदी की जल वहन क्षमता बढ़ाने की कोई योजना नहीं है, ऐसे मुद्दे प्रस्तुत किये गये।
इसके अलावा अन्य नेताओं ने निम्नलिखित मुद्दे उठाए हैं। मोजे कुवाड में ब्लॉक नंबर 495 जो एनडीजेड है। कलेक्टर द्वारा विकास कार्यों की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। ओलपाड तालुका के बारबोधन में एक बिल्डर के स्वामित्व वाले 1056/बी/2 में 1991 की स्थिति के अनुसार खाड़ी और मैंग्रोव नहीं दिखाए गए हैं और एक किसान के ब्लॉक संख्या 1061 में खाड़ी और मैग्ग्रोव नहीं होने के बावजूद खाड़ी और मैग्ग्रोव दिखाए गए हैं जिसकीआपत्तियां भी प्रस्तुत की गईं।
सूरत में इतना बड़ा समुद्र तट और तापी नदी होने के बावजूद भी बाहर से मछली सूरत में लाई जाती है। यदि सीआरजेड क्षेत्र अधिक है और इसे लागू किया जाता है, तो बाहर से मछली आयात करने की आवश्यकता नहीं है। यदि सीआरजेड क्षेत्र कम हो जाता है, तो मछुआरों की आजीविका कम हो जाती है। सार्वजनिक सुनवाई में याचिकाकर्ता द्वारा दी गई दलीलों का कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया जाता है।
सूरत जिले के तटीय क्षेत्र विशेष रूप से डुमस, हाजीरा या किसी अन्य आरक्षित वन को सीआरझेड 1ए-ईएसए के रूप में चिह्नित नहीं किया गया है। जिसे करना हमारी मांग है। इंटरटाइडल एरिया में डभारी मंदिर से उत्तर दिशा में 500 मीटर और दक्षिण दिशा में 1000 मीटर लंबाई में बीटीए बनाने की मांग की जा रही है। ताकि ओलपाड तालुक में एक अच्छे समुद्र तट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सके। पिंजरत गांव के पश्चिम में घास के मैदान – साल्ट मार्श को सीआरजेड 1ए के रूप में चित्रित किया गया है, जिसे गलत तरीके से सीआरजेड 1बी के रूप में चित्रित किया गया है और खाड़ी को उस क्षेत्र में दिखाया गया है जहां कोई खाड़ी नहीं दिखाया गया है।
इस जनसुनवाई में पर्यावरणविद एम.एस.एच.शेख, परिवर्तन ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रकाशभाई पटेल, एडवोकेट सी.पी.नाईक, दीपक पटेल, महेंद्रभाई पटेल, हसमुखभाई देसाई, कृष्णकांत चौहान, असलम साईकलवाला, रिजवान मिर्जा, रोशनी पटेल, रमेश पटेल, विवेक पटेल और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि, सरपंचश्री उपस्थित थे और लगभग 59 से अधिक लिखित प्रस्तुतियाँ की गईं और कई आवेदकों द्वारा मौखिक प्रस्तुतियाँ भी की गईं।