लॉरी-गल्ला और पथरान अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी रखने का आदेश, 47 मार्गों को दबाव मुक्त करने का दावा
नानपुरा महावीर हॉस्पिटल के पास सड़क पर नए सिरे से दबाव बढ़ गया
शहर के 119 शून्य दबाव मार्गों से लॉरी-गल्ला और पाथरना को हटाने के लिए 30 नवंबर से अभियान शुरू किया गया था, जिसमें 47 मार्गों को दबाव मुक्त करने का दावा किया गया है। हालाँकि, गांधी स्मृति के साथ नानपुरा में अभी भी दबाव देखा जा रहा है।
अब रोजाना शाम 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक पेट्रोलिंग टीम की जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि दोबारा सडक पर दबाव न बने। नगर आयुक्त ने यह भी निर्देश दिया कि अभियान जारी रखने से कोई समझौता नहीं किया जायेगा। नगर निगम आयुक्त ने जोन अधिकारियों को रोजाना कामकाज की रिपोर्ट देने का आदेश देकर दौड़ाया था। उन्होंने कहा कि अब तक 47 शून्य दबाव मार्गों को पूरी तरह से दबाव मुक्त कर दिया गया है। दबाव बढ़ने से रोकने के लिए अलग से गश्ती (पेट्रोलिंग टीम) दल का गठन किया गया है।
शहर में 17 दिसंबर को प्रधानमंत्री का कार्यक्रम होने से नगर निगम द्वारा 30 नवंबर से शहर के मुख्य सडकों पर से दबाव हटाने का अभियान शुरू किया था। शुरूआत में लग रहा था की प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर नगर निगम द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। मगर 17 दिसंबर के बाद भी नगर निगम में दबाव हटाओ अभियान जारी रखा है। जिसके चलते जिन सडकों पर से दबाव हटता गया वहा पर दबाव करने वाले अब आंतरीक गलीयों में या अन्य स्थान पर लॉरी गल्ला चला रहे है। शुन्य दबाव मार्ग पर से दबाव हटता हुआ स्पष्ट नजर आ रहा है। नगर निगम द्वारा 119 सडकों पर से दबाव हटाने का अभियान जारी रखा है।
नगर निगम आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि दबाव मुक्ति टीम शुन्य दबाव सडकों पर से दबाव हटाने का काम करेगी। जबकि गश्त दल शाम 4 बजे से रात 12 बजे तक जिस सडक से दबाव हटाया गया है उसके आसपास के मार्ग पर लगातार राउंडअप करेगी। दोनों टीमें 119 शून्य दबाव मार्गों पर काम कर रही हैं। दोनों टीमों के वाहनों में जीपीएस लगा हुआ है, जिसकी निगरानी आईसीसीसी द्वारा की जाती है। साथ ही मैनुअल रजिस्टर में भी अनिवार्य रूप से इंट्री करने का आदेश दिया गया है। गश्ती दल को निर्धारित रूट पर हररोज 10 चक्र लगाने का निर्देश दिया गया है। आयुक्त ने कहा कि परफॉर्मेंस शीट पर नजर रखकर शहर को शून्य दबाव वाले शहर के रूप में पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर दोबारा रूट पर दबाव बनता है तो इसकी पूरी जिम्मेवारी गश्ती दल की होगी।