Home गुजरात शहर में सैन्य परिवारों से अंग दान का पहला मामला

शहर में सैन्य परिवारों से अंग दान का पहला मामला

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भारतीय नौसेना में पूर्व लेफ्टिनेंट की पत्नी का सरकारी मेडिकल कॉलेज में अंगदान

पूर्व प्रतिज्ञा के बाद सफल दान ने लाखों लोगों को प्रेरित किया

धार्मिक परंपरा और सामाजिक भावना के कारण भारत में मृत्यु के बाद देहदान की प्रथा आसानी से नहीं देखी जाती। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद उचित दाह संस्कार के महत्व के कारण ज्यादातर लोग दान देने से कतराते हैं। भारतीय नौसेना में पूर्व लेफ्टिनेंट ओम प्रकाश सूद की पत्नी निर्मलाबेन सूद, जो मूल रूप से हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं । जो पिछले 10 साल से सूरत में बस गए और दूसरों के लिए प्रेरणा बने।

अंगदान का पूर्व संकल्प और परिवार की सहमत‌ि से 82 वर्षीय निर्मलाबेन की मौत के बाद मृतदेह को न्यू सिविल स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए दान दिया गया था। सूरत में अपनी बेटी के साथ रहने वाली निर्मलाबेन ने देहदान जैसा अनोखा दान देकर एक नेक मिसाल कायम की है। सूद परिवार की जीवन और मृत्यु के बाद भी समाज और देश के काम आने की सद्भावना हजारों सैन्य परिवारों की देशभक्ति और जनसेवा भावना को दर्शाती है।

यूआरसी एवं ईसीएस पॉलीक्लिनिक समन्वयक एवं पूर्व सेना अधिकारी एस.एस. चंपावत की प्रेरणा से सूद परिवार द्वारा लिए गए निर्णय के बाद सरकारी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. रागिनी वर्मा ने देहदान स्वीकार किया। इस दान के माध्यम से चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे मेडिकल छात्र चिकित्सा के क्षेत्र में ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।

समाज की रूढ़िवादी मान्यताओं को पीछे छोड़ने का देहदान का निर्णय सूरत भर में रहने वाले हजारों सैनिक परिवारों के लिए प्रेरणा है। यह कहते हुए यूआरसी और ईसीएस पॉलीक्लिनिक के समन्वयक और पूर्व सेना अधिकारी एस.एस. चंपावत ने सूद परिवार की प्रशंसा की और कहा कि पूरे सूद परिवार ने वर्षों पहले अंगदान और देहदान का सामूहिक संकल्प लिया था। यहां बता दें कि ओम प्रकाश सूद ने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।

नवी सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. गणेश गोवेकर, डॉ. मीनाक्षी बंसल, नर्सिंग काउंसिल के इकबाल कड़ीवाला एवं अन्य स्टाफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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