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चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सरसाणा में तीन दिवसीय फूड एंड एग्रीटेक एक्सपो-2024 का उद्घाटन किया

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भारत सरकार द्वारा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को देश की अर्थव्यवस्था में 20 प्रतिशत योगदान देने का लक्ष्य : चैंबर अध्यक्ष रमेश वघासिया

चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित तीन दिवसीय फूड एंड एग्रीटेक एक्सपो का उध्घाटन

सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और दक्षिण गुजरात चैंबर व्यापार और उद्योग विकास केंद्र द्वारा 10 से 12 फरवरी 2024 तक तीन दिवसीय ‘फूड एंड एग्रीटेक-2024’ प्रदर्शनी की आज से भव्य शुरुआत हो गई। सूरत जिला सहकारी बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष बलवंत पटेल उद्घाटनकर्ता के रूप में आये और प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के क्षेत्रीय निदेशक संजय कुमार, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड के निदेशक भावेश रादडिया, यूरो इंडिया फ्रेश फूड्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मनहर सासपरा, बारडोली प्रदेश चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल विशेष अतिथि के रूप में समारोह में उपस्थित थे।

समारोह में चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश वघासिया ने सभी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत है, जो वर्ष 1990-91 में 35 प्रतिशत थी। पिछले कई वर्षों से भारत के कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर लगभग 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष रही है, जबकि वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर माइनस 4 प्रतिशत है। अनेक कृषि उत्पादों में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है। उदाहरण के लिए केला, चना, अदरक, नींबू, आम जैसे उत्पादों में भारत पहले स्थान पर है। जहाँ सब्जियों और फलों के उत्पादन और प्याज, लहसुन, टमाटर, चावल और गन्ने के उत्पादन में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। वहीं उर्वरकों के उपयोग में भी भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। इस संदर्भ में एक आश्चर्यजनक आँकड़ा यह है कि भारत में प्रति हेक्टेयर उपज दुनिया में प्रति हेक्टेयर उपज से बहुत कम है। यदि भारत की कृषि पद्धतियों को बदल दिया जाए तो उत्पादन बढ़ सकता है। जैसे-जैसे आय बढ़ेगी, भारतीयों की खपत भी बढ़ेगी। एक अनुमान के मुताबिक अगले 20 साल में मौजूदा खपत की तुलना में खपत चार गुना बढ़ जाएगी। इसी लिए भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था में 20 प्रतिशत योगदान देने का लक्ष्य रखा है, फिलहाल यह 8 फीसदी है।

समारोह का उद्घाटन करने वाले सूरत जिला सहकारी बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष बलवंत पटेल ने कहा कि गन्ना दक्षिण गुजरात में किसानों के लिए आर्थिक विकास की नींव बन गया है। भारत अब ‘विकसित भारत @2047’ के सपने को साकार करने के लिए कृषि क्षेत्र में एक नई पहचान बनाने जा रहा है, वहीं प्रधानमंत्री किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। कृषि एवं कृषकों ने देश के विकास में अद्वितीय योगदान दिया है।

भारत सरकार कृषि उपज के भंडारण की योजना पर काम कर रही है: संजय कुमार, क्षेत्रीय निदेशक, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के क्षेत्रीय निदेशक संजय कुमार ने कहा कि गुजरात में दक्षिण गुजरात क्षेत्र औद्योगिक, प्रसंस्करण और कृषि जैसी सभी चीजों में समृद्ध है। हम ट्रिपल सी, सहकारी, कॉर्पोरेट और सहयोग के माध्यम से देश के सतत विकास में योगदान दे सकते हैं। भारत सरकार द्वारा कृषि उपज के भण्डारण हेतु योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।

हमें पारंपरिक खेती, पशुपालन और सहकारी समितियों के माध्यम से कृषि का विकास करना होगा: भावेश रादडिया, निदेशक, इफ्फको
इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड के निदेशक भावेश रादडिया ने कहा कि भारतीय समाज ने आधुनिकता को स्वीकार करने के साथ-साथ अपनी सामाजिक व्यवस्था में भी कई बदलाव किये हैं। भारत ने नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से यूरिया पर शोध करके ड्रोन के माध्यम से खेतों में तरल रूप में यूरिया डालने का एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया है। एक दशक पहले 65 प्रतिशत यूरिया आयात किया जाता था, जबकि वर्तमान में 20 प्रतिशत यूरिया भारत से निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हमें पारंपरिक खेती, पशुपालन और सहकारिता के माध्यम से कृषि क्षेत्र में विकास हासिल करना है।

अपनी कंपनी ब्रांड बनाएं, ब्रांड का मूल्य होता है: मनहर सस्परा, अध्यक्ष, यूरो इंडिया फूड्स
यूरो इंडिया फूड्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मनहर सासपरा ने कहा, ‘सूरत पहले ही सिल्क सिटी, डायमंड सिटी और क्लीन सिटी बन चुका है, लेकिन यह तय है कि निकट भविष्य में सूरत फूड सिटी बन जाएगा। उन्होंने उद्यमियों को सलाह देते हुए कहा, अपनी कंपनी को एक ब्रांड बनाएं, ब्रांड की वैल्यू होती है।

दक्षिण गुजरात में भी दलहन की खेती पर जोर दिया जाए तो उपज को अच्छी कीमत मिल सकती है: प्रदीप अग्रवाल
बारडोली रीजन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि 10 फरवरी को ‘विश्व दलहन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। भारत में जरूरत का 40 फीसदी दालें हम आयात करते हैं। जिससे दालों की कीमत बढ़ जाती है। यदि दक्षिण गुजरात में भी दालों की खेती पर जोर दिया जाए तो उपज की अच्छी कीमत मिल सकती है।

चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष विजय मेवावाला ने समारोह में उपस्थित सभी को धन्यवाद दिया। समारोह का संचालन मानद मंत्री निखिल मद्रासी ने किया। फूड एंड एग्रीटेक एक्सपो के चेयरमैन के.बी. पिपलिया ने प्रदर्शनी की जानकारी दी। चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष और सर इंफ्राकॉन के चेयरमैन भरत गांधी ने मुख्य भाषण दिया। इस समारोह में चैंबर के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला, मानद कोषाध्यक्ष किरण थुम्मर, ऑल एक्जीबिशन के अध्यक्ष बिजल जरीवाला, पूर्व अध्यक्ष, उद्योगपति और व्यापारी उपस्थित थे।

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