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चैंबर ऑफ कॉमर्स ने गाय आधारित प्राकृतिक खेती करने वाले गुजरात के 40 किसानों को धरतीपुत्र पुरस्कार से सम्मानित किया

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कठिनाइयों के बावजुद लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाले किसानों को सम्मानित करने का उदेश्य: चैंबर अध्यक्ष रमेश वाघासिया

गाय, गांव और खेती पर्यायवाची हैं, इन्हें मजबूत कर गांव में रोजगार पैदा करने और धान से सीधे निर्यात करने के प्रयास होने चाहिए: किसान रमेशभाई

कृषि को जब तक उद्योग से नहीं जोड़ा जाएगा, किसानों की प्रगति नहीं होगी, प्राकृतिक खेती होगी तो लोग बीमार नहीं होंगे: कुलपति डॉ. सी.के. टिंबडिया

सूरत। रविवार 11 फरवरी 2024 को दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा कन्वेंशन सेंटर, सरसाणा, सूरत में ‘धरतीपुत्र पुरस्कार प्रस्तुति समारोह’ का आयोजन किया गया। विश्व गुजराती समाज के उपाध्यक्ष सवजीभाई वेकारिया मुख्य अतिथि थे। वहीं गुजरात नेचुरल फार्मिंग साइंस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. सी.के. टिम्बाडिया विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित थे। इस समारोह में अमेरिका के चतुरभाई छाभाया भी विशेष रूप से उपस्थित थे।

चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश वघासिया ने कहा कि भारत की कुल अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 15 प्रतिशत है। भारत में कृषि की विकास दर 4 प्रतिशत है, जो वैश्विक विकास दर से अधिक है। भारत की 140 करोड़ की आबादी में से 60 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं। जब भारत स्वतंत्र हुआ तो भारत में कृषि उत्पादन बहुत कम था और हमें खाद्यान्न आयात करना पड़ता था। 1950 में भारत का कृषि उत्पादन 135 मिलियन टन था, जो आज 1300 मिलियन टन है। भारत की कृषि उपज की आपूर्ति श्रृंखला बहुत लंबी है। कृषि उपज को कई कार्यों से गुजरना पड़ता है। जैसे, कटाई, मड़ाई, परिवहन, भंडारण, प्रसंस्करण जिसके बाद उत्पाद बाजार तक पहुंचता है। एक अनुमान के मुताबिक भारत की कुल कृषि उपज का 10 प्रतिशत बाजार तक पहुंचते-पहुंचते नष्ट हो जाता है।

आज भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी कृषि योग्य भूमि है। गुजरात की अर्थव्यवस्था में कृषि, कृषि उत्पादन और कृषि इनपुट का योगदान 20 प्रतिशत है। पिछले चार वर्षों में गुजरात में खाद्यान्न उत्पादन डेढ़ गुना बढ़ गया है। खाद्यान्न का उत्पादन जो 37 लाख टन था वह बढ़कर 105 लाख टन हो गया है। पिछले 4 साल में तिलहन का उत्पादन 3.7 लाख टन से बढ़कर 7.7 लाख टन हो गया है। पिछले दो वर्षों में ही खाद्यान्न की बुआई 4800 हेक्टेयर से बढ़कर 10,514 हेक्टेयर हो गई है। चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आज के धरतीपुत्र पुरस्कार वितरण समारोह का मुख्य उद्देश्य उन किसानों को सम्मानित करना है जो कई कठिनाइयों से गुजरकर देश के नागरिकों की प्रमुख खाद्यान्न जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

गुजरात प्राकृतिक खेती विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सी.के. टिंबडिया ने कहा, जब तक कृषि को उद्योग से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक किसानों की प्रगति नहीं होगी। अगर हमारे देश में प्राकृतिक खेती की जाए तो कोई बीमार नहीं पड़ेगा। गाय, गाँव और नीम की कहावत प्रसिद्ध है, यदि हम प्राकृतिक खेती करके समाज को सात्विक भोजन उपलब्ध कराएँ तो लोगों को 100 वर्ष तक शत-प्रतिशत स्वस्थ जीवन मिलेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दो विश्वविद्यालयों ने निष्कर्ष निकाला कि रासायनिक खेती से धान और गेहूं जैसी प्रमुख फसलों का पोषण 45 प्रतिशत कम हो गया है। गेहूं, चावल और फलों में पहले जैसे पोषण तत्व नहीं रह गए हैं, इसलिए जैविक खेती के बिना कोई रास्ता नहीं है।

पुरस्कार स्वीकार करने वाले राजकोट के किसान रमेशभाई ने कहा कि गाय, गांव और कृषि एक दूसरे के पर्याय हैं। इन्हें मजबूत करने के लिए गांव में रोजगार सृजन और धान से सीधे निर्यात के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने एसजीसीसीआई ग्लोबल कनेक्ट मिशन 84 की सराहना करते हुए कहा कि चैंबर ऑफ कॉमर्स ने देश के लिए अनुकरणीय कार्य किया है।

चैंबर के उपाध्यक्ष विजय मेवावाला ने धरती पुत्रों के सम्मान को गौरव की बात बताते हुए समारोह में उपस्थित सभी को धन्यवाद दिया। समारोह का संचालन मानद मंत्री निखिल मद्रासी ने किया। चैंबर की कृषि, उद्यानिकी, उर्वरक एवं खाद्य प्रसंस्करण समिति के अध्यक्ष के.बी. पिपलिया ने धरती पुत्र पुरस्कार के बारे में जानकारी दी। सूरत बागवानी विभाग के उप निदेशक दिनेश पडालिया ने पुरस्कार प्रस्तुति का संचालन किया। चैंबर के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला, ऑल एक्जीबिशन के अध्यक्ष बिजल जरीवाला, समूह के अध्यक्ष कमलेश गजेरा, पूर्व अध्यक्ष बी.एस. अग्रवाल एवं प्रफुल्ल शाह एवं किसान उपस्थित थे।

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