Home गुजरात 16 फरवरी को किसानो द्वारा भारत बंद का ऐलान

16 फरवरी को किसानो द्वारा भारत बंद का ऐलान

72
0

तुषार चौधरी, दर्शन नायक, संदीप मांगरोला, अनंत पटेल द्वारा गुजरात के किसानों को भारत बंद में समर्थन देने की अपील

सूरत। गुजरात के सभी किसानों को सूचित करना है कि किसानों ने अपनी विभिन्न बकाया मांगों को लेकर किसान आंदोलन शुरू कर दिया है और 16 फरवरी 2024 को किसानों द्वारा भारत बंद की घोषणा की गई है। यह किसान आंदोलन गुजरात के किसानों के भी हित में है, इसलिए गुजरात के सभी किसान भारत बंद के ऐलान को अपना समर्थन दें और एक दिन के लिए खेती के काम से दूर रहें।


किसानों द्वारा सरकार के समक्ष उठाई गई शिकायतें निम्नलिखित हैं।
1) स्वामीनाथन कमेटी की सिफ़ारिश के अनुसार C +2 की वास्तविक दर की गणना करके किसानों को तकनीकी मूल्य प्रदान करने का कानून बनाया जाए और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। 2) देशभर के किसानों का कर्ज माफ किया जाए। 3) भूमि अधिग्रहण अधिकार अधिनियम-2013 का पालन किया जाए, मोदी सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को निरस्त किया जाए। 4) भारत का विश्व-व्यापार संगठन से बाहर होना और मुक्त-व्यापार समझौतों को रद्द करना। 5) किसानों और खेतिहर मजदूरों को पेंशन प्रदान करना। 6) विद्युत अधिनियम में संशोधन वापस लिया जाये। 7) आगे के आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देना। 8) नकली बीज, खाद, दवा बनाने वाली कंपनियों पर सख्त प्रतिबंध और सजा का प्रावधान। बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए। 9) आदिवासी समुदायों को जल, जंगल और जमीन पर अधिकार दिया जाए।

तुषारभाई चौधरी (विधायक ) दर्शनभाई नायक (किसान और सहकारी नेता) संदीप सिंह मगरोला (किसान एवं सहकारी नेता) अनंत पटेल (श्री विधायक) ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि इसके अलावा भी गुजरात में कई मुद्दे हैं जिन पर किसानों के हित में फैसला लेने की जरूरत है।
गुजरात सरकार द्वारा राज्य कृषि आयोग का गठन किया जाना चाहिए और किसानोन्मुखी कृषि नीति की घोषणा की जानी चाहिए। एपीएमसी एक्ट में संशोधन रद्द किया जाए और केंद्र एपीएमसी कानून को उसके मूल स्वरूप में स्थापित किया जाना चाहिए। किसानों की सभी कृषि उपज एवं बागवानी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करने के लिए खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए तथा इससे कम कीमत पर खरीदने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की नीति बनाई जाए।
सरकार की ओर से सहकारी समितियों को दक्षिण गुजरात में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की फसल खरीदने का अधिकार दिया जाना चाहिए। सिंचाई अधिनियम-2013 को निरस्त किया जाए। विशेष निवेश क्षेत्र अधिनियम (एसआईआर) 2009 अधिनियम को निरस्त किया जाना चाहिए। गुजरात का प्रत्येक तालुका 10 कि.मी. के दायरे में गोदाम एवं कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कराया जाए


गुजरात में गौचर भूमि से संबंधित मामलों को फास्ट ट्रैक अदालतों में चलाकर अधिक से अधिक शीघ्रता से निपटाया जाना चाहिए तथा प्रत्येक गांव को मवेशियों की संख्या के अनुपात में अधिकतम गौचर भूमि आवंटित की जानी चाहिए। गौचर भूमि का प्रयोजन परिवर्तन रोका जाये। सहकारी समितियों को स्वायत्त बनाया जाए।
राज्य की विभिन्न योजनाओं या परियोजनाओं के लिए किसानों से अधिग्रहीत अप्रयुक्त भूमि उन किसानों को वापस की जाएगी। कृषि विश्वविद्यालय की भूमि को अन्य प्रयोजन के लिए हस्तांतरित न किया जाए तथा कृषि विश्वविद्यालय का निजीकरण रोका जाए। बीज निगमों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए उन्हें आवश्यक बीजों की आपूर्ति की जानी चाहिए
प्रदूषण के कारण कृषि को बहुत बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है इसलिए प्रदूषण को रोकने के लिए एक कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए और इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। कृषि में उपयोग होने वाले ट्रैक्टर, औज़ार, औज़ार और मशीनरी पर टैक्स ख़त्म करे।
खेती में सिंचाई के लिए तुरंत कनेक्शन दिया जाए और किसानों को सिंचाई के लिए 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए। 220 के.वी तक की सभी ट्रांसमिशन लाइनें केबल के माध्यम से प्रसारित की जाती हैं। सभी कृषि ऋणों पर न्यूनतम ब्याज। गहन पशु कल्याण कार्य के लिए गुजरात के हर गांव में ग्राम पशु अस्पताल शुरू किया जाना चाहिए। पशुपालकों को प्रति लीटर 05 रूपये अनुदान दिया जाये
पशु चिकित्सा अधिकारियों और पशुधन निरीक्षकों की पढ़ाई के लिए बंद पड़े कॉलेजों को तुरंत शुरू किया जाए और प्रशासनिक व्यवस्था में उनके स्वीकृत पदों को तुरंत भरा जाए। तलाटी सह मंत्री के स्वीकृत भवन को शीघ्र भरा जाये। गुजरात सरकार द्वारा गैर-कृषि किसानों के लिए किसान भरण-पोषण भत्ता शुरू किया जाना चाहिए। प्राकृतिक आपदा के दौरान तत्काल सर्वे कराकर प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता दी जाये।
किसानों को सभी कर मुक्त मूल्यों पर डीजल उपलब्ध कराया जाए। उपरोक्त सभी मांगों को देखकर ऐसा लगता है कि गुजरात के किसान इस आंदोलन में क्यों पीछे रहें?
भले ही आप किसी भी पार्टी की विचारधारा से जुड़े हों, लेकिन आपको अंदाज़ा नहीं है कि एक किसान पुत्र के रूप में आपकी एक-दो-तीन दिन की उपस्थिति आंदोलनरत किसानों का मनोबल कितना बढ़ा सकती है! गुजरात के किसानों को एक बार अपने तरीके से आंदोलन में जरूर हिस्सा लेना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here