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चमकी’ की दहशत, मुजफ्फरपुर के चिकित्सक बोले- मात्र दो घंटे ही देता है उपचार के लिए

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पटना (ईएमएस)। बिहार के शहर मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के कहर से चारों और दहशत का माहौल है। इस दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चा जब उपचार के लिए अस्पताल आता है तब तक काफी विलंब हो चुका होता है ऐसा कहना है यहां के चिकित्सकों का और तब उसकी जान बचाने को सिर्फ 120 मिनट होते हैं। इस दौरान हमें इलाज और चमत्कार दोनों पर भरोसा रखना होता है। सबसे पहले बच्चों को तेज बुखार होता है और फिर वह अवचेतन की स्थिति में जाता है। फिर चंद मिनटों में उसकी जान चली जाती है। अधिकतर मामलों में यह सब दो घंटों में हो जाता है। ऐसे में मरीज कौन सी स्थिति में हमारे पास आता है, उससे तय होता है कि उसकी जान बचेगी या नहीं।’

यह बात मुजफ्फरपुर में इस महामारी का इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने कही। वह पिछले 10 दिनों से लगातार अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उधर, मुजफ्फरपुर में हालात से निपटने के लिए लेकर केंद्र सरकार ने डॉक्टरों की 5 टीम भेजने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि इस बीमारी से बिहार में अब 115 बच्चों की जान चुकी है। जान बचाने के लिए जब इतना कम वक्त मिल रहा है तो फिर जान कैसे बचे? इसके लिए सरकार ने तत्काल बरसों से लंबित प्रस्ताव को लागू करने की दिशा में पहल की है। सबसे प्रभावित इलाकों मीनापुर, बोचहां, कांटी, मोतीपुर में विशेषज्ञों की टीमें एम्बुलेंस और मोबाइल मेडिकल सिस्टम के साथ कैंप करने लगी हैं और जहां भी बच्चों को बुखार की सूचना मिल रही है वहां सीधे घर जाकर उस केस की निगरानी करने लगी हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शुरुआती चरण में मरीज पकड़ में आ जाए तो ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है जिसमें बिहार में चमकी बुखार से हो रही मौतों के मामले में मेडिकल विशेषज्ञों की टीम गठित करने की गुहार लगाई गई है। कहा गया है इस बीमारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए।

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