(Krantisamay.com)। अगर केन्द्र सरकार ने विदेशों से आने वाले हवाई यात्रियों की जांच कर उन्हें 14 दिन के आइसोलेशन में भेजा होता तो देशभर में इतना कोरोना संक्रमण नहीं फैलता। इन तथ्यों की पुष्टि करते हुए भारत सरकार के उड्डयन मंत्रालय ने भी स्वीकार कर लिया कि 15 जनवरी से 23 मार्च के बीच विदेशों से भारत आए मात्र 19 प्रतिशत यात्रियों की ही स्क्रीनिंग की गई। इस अवधि में 78 लाख 4 हजार यात्री भारत के एयरपोटर्स पर उतरे, लेकिन इनमें से 15 लाख 24 हजार 266 यात्रियों की ही एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग की गई। 62 लाख 79 हजार 734 यात्री बिना जांच के ही एयरपोर्ट से बाहर निकलकर देशभर में कोरोना फैलाने के लिए घूमते रहे।
-15 जनवरी से 23 मार्च तक 78 लाख यात्री भारत पहुंचे, सिर्फ 15 लाख की ही स्क्रीनिंग
भारत के केरल में 30 जनवरी को ही कोरोना का पहला मरीज मिल गया था। उसके बाद धीरे-धीरे संक्रमण फैलता रहा और देश में 52 दिन बाद 22 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया। इस दौरान विदेशों से विमानों में कोरोना भर-भरकर लाया गया।
-आरटीआई में सामने आया तथ्य
केन्द्र सरकार ने भी आरटीआई के जरिए दिए जवाब में यह स्वीकार किया कि 15 जनवरी से 23 मार्च, जब तक कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें चालू थीं, इस अवधि में 75 लाख 4 हजार यात्री भारत पहुंचे, लेकिन 19 प्रतिशत की ही स्क्रीनिंग शुरू की गई, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना महामारी की घोषणा कर चुका था और दुनियाभर में एयरपोर्ट पर यात्रियों की कड़ी जांच शुरू हो गई थी। लेकिन भारत में केवल चीन और हांगकांग से आने वाले यात्रियों की ही स्क्रीनिंग जनवरी में की गई और फिर थाईलैंड, सिंगापुर से आए यात्रियों को फरवरी में शामिल किया गया। 26 फरवरी से इटली से आए यात्रियों की भी स्क्रीनिंग शुरू हुई, जिसके चलते विदेशों से आए 62 लाख से ज्यादा हवाई यात्री बिना स्क्रीनिंग के ही देश के भीतर आ गए और इंदौर से लेकर देशभर में ये हवाई यात्री पहुंचे और सभी जगह कोरोना फैला दिया।
-घरेलू उड़ानें भी रखी जारी
एक तरफ केन्द्र सरकार ने समय पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को बंद नहीं किया, वहीं घरेलू उड़ानों पर भी रोक नहीं लगाते हुए जांच-पड़ताल तक नहीं की। वहीं मध्यप्रदेश में सरकार बनाने और गिराने के खेल के चलते लॉकडाउन देर से लागू किया गया।
-स्पीकर ने मास्क लगाए सांसदों को निकाला
देश में जहां 30 जनवरी को कोरोना की आमद हो गई थी, वहीं 18 मार्च को संसद में पहुंचे सांसदों को स्पीकर ने इसलिए निकाल दिया, क्योंकि वे मास्क लगाकर पहुंचे थे। दरअसल कांग्रेस सरकार बचाने के लिए कोरोना का सहारा ले रही थी, और भाजपा सरकार बनाने के लिए देश को कोरोनामुक्त बता रही थी।