Home उत्तर प्रदेश बंगाली के झाड़ फूक में टिकी जिन्दगी की आस

बंगाली के झाड़ फूक में टिकी जिन्दगी की आस

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सीतापुर(एजेसी)। क्या मृतक मासूमों को बंगाली या कोई तांत्रिक अपनी तंत्र विद्या से जीवित कर सकता हैं? सकरन में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। मृतकों के परिजनों की आस्था को देखकर कुछ देर के दिये पोस्टमार्टम को भी रूकवा दिया गया है क्योंकि मृतक के परिजनों का कहना है कि बंगाली में वह विद्याएं है जो सर्पदंश से मरे हुए को फिर से जीवत कर देती है। इस बात पर पूरे गांव की उम्मीदे बंगाली पर टिकी है तो मृतको की मां से सपना भी देखना शुरू कर दिया है कि बंगाली उनके मासूमों को फिर से जीवित कर देगा। गौरतलब हो कि जनपद के सकरन थाना क्षेत्र के एक गांव में अपने घर के कमरे में सो रहे तीन मासूम बच्चों को सांप ने काट लिया। हालात बिगड़ने पर तीनों को पहले सीएचसी बिसवां, फिर महमूदाबाद के एक निजी अस्पताल ले जाया गया। इस बीच एक के बाद एक तीनों बच्चों की मौत हो गई। तीनों बच्चे सगे भाई थे। घटना की खबर पाकर पुलिस, एसडीएम ने मौके पर पहुंच कर जांच पड़ताल की है। पुलिस ने तीनों शवों का पोस्टमार्टम कराने के लिए कहा है, लेकिन परिवार के लोग किसी तांत्रिक से इलाज कराने की जिद पर अभी शवों को रोके हुए हैं। सदरपुर इलाके के पिपरी मजरा पिपरा कलां गांव निवासी सुनील कुमार अपनी पत्नी व बच्चों के साथ गुरुवार की रात घर के कमरे में सोया हुआ था। पति-पत्नी ने अपने तीनों बेटों बारह वर्षीय शालू, दस वर्षीय पवन व सात वर्षीय अंश को बीच में सुलाया था। आधी रात को बड़े बेटे शालू ने जाग कर मां-बाप को बताया कि उसे किसी ने काट लिया है। जब इन लोगों ने अपने दो अन्य बच्चों पवन व अंश को देखा तो पवन ने भी किसी के काटने की बात कही। अंश बेहोश था। इसके बाद कमरे में सांप भी दिखाई दिया। तीनों बच्चों की हालत बिगड़ने लगी। सांप काटने की बात जानने के बाद परिवार के लोग फौरन तीनों बच्चों को लेकर बिसवां सीएचसी गए। जहां चिकित्सकों ने अंश को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शालू व पवन को चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया, लेकिन परिवार के लोग शाूल व पवन को जिला अस्पताल के बजाय महमूदाबाद किसी चिकित्सक के यहां ले गए। जहां उन दोनों की भी मौत हो गई। मौत के बाद तीनों बच्चों के शव गांव ले जाए गए। खबर पाकर पुलिस मौके पर पहुंची। इसकी सूचना होने पर डीएम अखिलेश तिवारी ने एसडीएम बिसवां सुरेश कुमार को जांच के लिए गांव भेजा। एसडीएम, लेखपाल व पुलिस ने जांच पड़ताल की। बाद में तीनों के शवों का पोस्टमार्टम कराने को कहा गया, लेकिन परिवार के लोगों ने यह कहते हुए बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने से रोक दिया है, कि उन लोगों ने झाड़-फूंक करने के लिए किसी बंगाली को बुलाया है। उसने बच्चों को ठीक करने का दावा किया है। उसके आने के बाद ही पोस्टमार्टम कराने भेजा जाएगा।

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