नई दिल्ली(एजेंसी)। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि देश के लक्ष्यों को शिक्षा नीति और व्यवस्था के जरिए ही पूरा किया जा सकता है। इसके साथ ही शिक्षा नीति में सरकार का दखल कम होना चाहिए। सोमवार को नई शिक्षा नीति पर आयोजित राज्यपालों की कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति को तैयार करने में लाखों लोगों से बात की गई, जिनमें छात्र-शिक्षक-अभिभावक सभी शामिल थे। कान्फ्रेंस को राष्ट्रपति ने भी संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हर किसी को ये नीति अपनी लग रही है, जो सुझाव लोग देखना चाहते थे वो दिख रहे हैं। अब देश में नई शिक्षा नीति को लेकर देश में उसके लागू करने के तरीके पर संवाद हो रहा है, ये इसलिए जरूरी है, क्योंकि इससे 21वें सदी के भारत का निर्माण होना है।पीएम ने कहा, ‘शिक्षा नीति देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का बहुत महत्वपूर्ण माध्यम होती है। इससे सभी जुड़े होते हैं। शिक्षा नीति में सरकार का दखल और प्रभाव कम से कम होना चाहिए। शिक्षा नीति से शिक्षक, अभिभावक छात्र जितना जुड़े होंगे, उतना ही यह प्रासंगिक होगी। 5 साल से देशभर के लोगों ने अपने सुझाव दिए।
ड्राफ्ट पर 2 लाख से अधिक लोगों ने अपने सुझाव दिए थे। सभी ने इसके निर्माण में अपना योगदान दिया है। व्यापक विविधताओं के मंथन से अमृत निकला है, इसलिए हर तरफ इसका स्वागत हो रहा है। पीएम ने कहा, ‘शिक्षा नीति क्या हो, कैसी हो, उसका मूल क्या हो, इस तरफ देश एक कदम आगे बढ़ा है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए।
गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार तो मैं होते हुए देखना चाहता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये एक बहुत बड़ी वजह है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक ज्ञान और कौशल दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी।