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38 वां राष्ट्रीय वेबीनार सूचना आयुक्त के कर्तव्य विषय पर आयोजित हुआ

38 वां राष्ट्रीय वेबीनार सूचना आयुक्त के कर्तव्य विषय पर आयोजित हुआ

सूचना के अधिकार कानून को जन जन तक पहुंचाने के लिए मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह की अध्यक्षता में प्रत्येक रविवार को जूम वेबीनार ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक भास्कर प्रभु प्रमुख रूप से सम्मिलित होते हैं। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रदेशों मध्य प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, उत्तराखंड, नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, असम, झारखंड, बिहार आदि प्रदेशों से आरटीआई कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, सिविल राइट्स एक्टिविस्ट और सामान्य आरटीआई उपयोगकर्ता सम्मिलित होते हैं।

कार्यक्रम का संयोजन प्रबंधन का कार्य सामाजिक एवं आरटीआई कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी, छत्तीसगढ़ से आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र अग्रवाल, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा एवं अंबुज पांडे के द्वारा किया जाता है।

सूचना आयुक्त के कर्तव्य विषय पर आयोजित हुआ 38 वां राष्ट्रीय वेबीनार इस बीच रविवार 14 मार्च 2021 को सूचना के अधिकार कानून के प्रचार प्रसार में सूचना आयुक्त के दायित्व और भूमिका विषय पर सेशन का 38 वां वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने मध्यप्रदेश में वर्तमान सूचना आयुक्त राहुल सिंह की कार्यशैली को लेकर चर्चा आगे बढ़ाई जिसमें उनके द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, फेसबुक, ट्विटर, फेसबुक लाइव, व्हाट्सएप आदि माध्यमों से आवेदनों को स्वीकार कर सुनवाई की जा रही है। अभी हाल ही में शिवपुरी में जाकर लोक सूचना अधिकारियों एवं आम जनमानस के साथ इंटरेक्शन करते हुए आरटीआई कानून की बारीकियों के विषय में राहुल सिंह के द्वारा की गई चर्चा की भी बात की गई। जिसके बारे में अपना विचार रखते हुए पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में मध्यप्रदेश और राजस्थान में कुल मिलाकर 70 से अधिक ऐसी मीटिंग में अपनी सहभागिता निभाई है और सूचना के अधिकार कानून के विषय में जनमानस को अवगत कराया है।

आरटीआई कानून में सूचना आयुक्त की शक्तियों की चर्चा करते हुए आत्मदीप ने कहा की सूचना आयुक्त के पास अपने प्रदेश में कहीं भी जाकर बिना किसी पूर्व अनुमति के आरटीआई के विषय में जन जागरूकता फैलाना और लोक सूचना अधिकारियों, प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं साथ में आरटीआई उपयोगकर्ताओं के बीच में इंटरेक्शन करना सम्मिलित है। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने बताया कि सूचना आयुक्त आरटीआई कानून का मां बाप है। यदि सूचना आयुक्त को ऐसा लगता है की आरटीआई कानून को मजबूत बनाने के लिए उन्हें मीटिंग लेने और कॉन्फ्रेंस अटेंड करने एवं ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है तो वह सब कुछ कर सकते हैं जिससे आरटीआई कानून को मजबूती मिले। जहां तक सवाल सूचना आयुक्त के कार्य पर प्रश्न खड़ा करने का है और साथ में नोटिफिकेशन/समस्या देने का है तो यह उचित नहीं है। सूचना आयुक्त के कार्य को न तो राजनीतिक तौर पर और न ही प्रशासमिक तौर पर गलत ढंग से प्रभावित किया जाना चाहिए।

पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने बताया की उन्होंने इसी तारतम्य में वर्ष 2018 से फेसबुक में अपना पेज बनाया हुआ है जिसमें आरटीआई कानून से जुड़े हुए प्रश्नों का जवाब देते रहते हैं। सूचना आयुक्त के कर्तव्यों के विषय में आत्मदीप ने कहा कि आयुक्त जिलों में जाकर, वेबीनार के माध्यम से, सोशल मीडिया के माध्यम से कानून का प्रचार प्रसार कर सकते हैं। आत्मदीप ने कहा कि यदि किसी कार्यक्रम में जाकर आरटीआई कानून का प्रचार प्रसार करना उचित लगे तो सूचना आयुक्त बिना किसी पूर्व अनुमति और रोक-टोक के वहां भी जा सकता है। मात्र यह बात अवश्य ध्यान रखने योग्य होती है कि किसी राजनीतिक संगठन से जुड़ा हुआ न हो बल्कि सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठनों एवं सामाजिक व्यक्तियों से जुड़कर इसका प्रचार प्रसार किया जाए।

पार्टिसिपेंट्स ने पूछें प्रश्न और सूचना आयुक्तों ने दिए जवाब

इस बीच छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल ने कहा कि जब कोई सूचना आयुक्त बनता है तो वह अचानक अपने आपको समाज से दूर कर लेता है। इस पर शैलेश गांधी ने कहा की यह उचित नहीं है और समाज के बीच में रहकर ही कार्य किया जा सकता है। अपने टाइटल को लेकर शैलेश गांधी ने कहा कि आप सब हमें माननीय शब्द से संबोधित करते हैं जिसे मैं बिल्कुल पसंद नहीं करता। श्री गांधी का कहना था कि यदि आप हमें माननीय कहें तो फिर सभी जनता जनार्दन भी माननीय है। पंकज पटेल ने कहा कि उन्होंने कुछ इन्वेस्टिगेशन से संबंधित जानकारी चाहि थी तो लोक सूचना अधिकारी ने गिरीशचंद्र देशपांडे का निर्णय बताते हुए जानकारी देने से मना कर दिया। इस पर शैलेश गांधी ने कहा कि लोक सूचना अधिकारियों की भी कुछ बाध्यताएँ होती हैं जो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अलग नहीं जा सकते लेकिन इस विषय पर आयोग अपने बुद्धि विवेक से निर्णय दे सकता है जो आवश्यक नहीं कि गिरीश चंद्र देशपांडे का ही हवाला दिया जाए। श्री गांधी ने कहा कि ऐसे मामलों में अपील कैसे करना है इसके विषय में उन्हें ईमेल किया जा सकता है और वह जानकारी उपलब्ध करवाएंगे।

अपीलीय अधिकारी ने धक्का मारकर आवेदक को निकाला बाहर

दिल्ली से राजकुमार कौशिक ने बताया कि उन्हें लोक सूचना अधिकारी के द्वारा जानकारी नहीं दी जा रही है और कहा जा रहा है कि जानकारी ज्यादा बड़ी है। इस पर जब उन्होंने कहा कि हमारी जानकारी बृहद नहीं है तो प्रथम अपीलीय अधिकारी ने उन्हें धक्के मार कर बाहर कर दिया। इस पर श्री गांधी ने कहा कि बिल्कुल अवैधानिक और गैरकानूनी है जिसकी शिकायत आयोग के समक्ष और पुलिस में की जानी चाहिए। सूचना आयुक्तों के कार्य को लेकर शिवानंद द्विवेदी द्वारा आत्मदीप से प्रश्न पूछा गया कि क्या उन्हें भी कभी उनके काम के लिए नोटिस मिली है। इस पर आत्मदीप ने कहा उन्होंने आम जनता के बीच में जाकर 70 से अधिक मीटिंग की है जिसमें आरटीआई कानून के विषय में जन जागरूकता फैलाई है लेकिन न तो कभी मुख्य सूचना आयुक्त ने और न ही कभी सरकार ने उन्हें ऐसी कोई नोटिस दी है। आत्मदीप ने कहा कि यह सूचना आयुक्त की शक्तियां है और इसमें वह अपने अधिकार का उपयोग कर रहे हैं। सूचना आयुक्त को आरटीआई कानून के प्रचार प्रसार के लिए किसी भी प्रकार से किसी से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है। सूचना आयोग के कार्य करने के ढंग को लेकर आत्मदीप ने कहा कि एक नोटिस तैयार की जानी चाहिए जिसमें ज्ञापन के तौर पर सूचना आयोगों को भेजा जाए और अपील की सुनवाईयों का जल्दी निराकरण किया जाए एवं साथ में न्यूनतम सुनवाई का लक्ष्य निर्धारित करने हेतु आयोगों को कहा जाए। एक और बात जोड़ते हुए आत्मदीप ने कहा कि इसी प्रकार सभी राज्यों के सूचना आयुक्तों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म में अपना आईडी बनाकर आम जनता के साथ इंटरेक्शन के लिए भी प्रेरित किया जाना चाहिए। सूचना आयोग लोक सूचना अधिकारियों की रैंकिंग भी निर्धारित करें इस विषय पर भी कार्य किया जाना चाहिए।

धारा 4 आरटीआई कानून की आत्मा लेकिन संगठनात्मक ढांचे की आवश्यकता

धारा 4 के विषय में अपनी बात रखते हुए भास्कर प्रभु ने कहा कि ज्यादातर जानकारी धारा 4 के तहत पब्लिक पोर्टल पर साझा की जानी चाहिए जिससे आम व्यक्ति को सामान्य जानकारी के लिए भटकना न पड़े। छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल ने संगठनात्मक तौर पर कार्य करने के लिए बात कही तो सभी ने कहा कि यह एक अच्छा विचार हो सकता है और इस पर सभी को मिलजुल कर काम करने की आवश्यकता है। आत्मदीप ने अंजलि भारद्वाज के सतर्क नागरिक संगठन नामक संगठन का उदाहरण देते हुए बताया कि वह भी काफी अच्छा काम कर रहा है। झारखंड से वसीम अंसारी ने कहा कि जिस प्रकार मध्यप्रदेश में राहुल सिंह के अच्छे कार्य को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है उस विषय में आम जनता क्या कर सकती है जिसका जवाब देते हुए माहिती अधिकार मंच के संयोजक भास्कर प्रभु ने कहा कि जिस प्रकार महात्मा गांधी ने अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए सच्चाई पूर्वक कठिनाइयों का मुकाबला किया ठीक वैसे ही सभी सूचना आयुक्तों को अपना काम करते रहना चाहिए। भास्कर प्रभु ने कहा की एक बार सूचना आयुक्त बनने के बाद किसी भी सूचना आयुक्त को कोई पद से नहीं हटा सकता है इसलिए कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। टी एन सेशन का उदाहरण देते हुए भास्कर प्रभु ने कहा कि उनके काम करने का अंदाज भी बिल्कुल अलग था जिससे आज लोग चुनाव आयोग को भी जानने लगे हैं। कठिनाइयां सभी को आती है लेकिन कठिनाई से नहीं घबराना चाहिए। इसी प्रकार वेबीनार के दौरान हबीब मिस्त्री, कृष्ण नारायण दुबे, शुभ आशीष तिवारी, यज्ञ भूषण आरटीआई क्लब उत्तराखंड, सिद्धांत, सोनभद्र यूपी से एमपी गांधी, उत्तर प्रदेश से मेघराज सिंह, रामजीशरण राय दतिया आदि पार्टिसिपेंट्स ने अपने-अपने प्रश्न पूछे और समस्याओं का समाधान पाया।

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