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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में चुनाव अभियान की शुरुआत से ही “बाहरी गुंडों” का जिक्र करती रही हैं। हाल ही में, उसने फिर से नंदीग्राम में कहा कि “बिहार और यूपी के गुंडे” बंगाल में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
उनके ऐसे बयानों को बंगाली मतदाताओं को सत्ता में बने रहने के लिए ध्रुवीकरण करने की कोशिश माना जा रहा है। इस चुनावी सीजन में पश्चिम बंगाल में तृणमूल और भाजपा के बीच ‘बंगाली बनाम बाहरी’ के मुद्दे पर तीखी नोकझोंक देखी जा रही है। पश्चिम बंगाल की राजनीति की गर्मी बिहार में महसूस की जा रही है। कई भाजपा नेता इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं। तेजस्वी का राजद बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी का समर्थन करता रहा है।
ममता द्वारा दिए गए बयान पर तेजस्वी पर कटाक्ष करते हुए, भाजपा के बिहार उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि राजद नेता सत्ता के लिए इतने बेचैन हो गए हैं कि उन्हें अब बिहार को बदनाम करने वाले नेताओं की आलोचना करने में शर्म आती है। राजीव रंजन ने कहा, “ममता बनर्जी बिहार और यूपी के लोगों को बुला रही हैं और अगर उन्होंने कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी, तो समझा जा सकता है कि बिहार की प्रतिष्ठा विपक्ष के नेता के लिए मायने नहीं रखती।”
तेजस्वी यादव बाहरी लोगों के साथ भेदभाव पर मुखर हैं। वर्ष 2016 में, उन्होंने महाराष्ट्र में गैर-मराठियों से संबंधित ऑटो-रिक्शा को जलाने का कड़ा विरोध किया।
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