Home उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा, किसके आदेश से वकील का फोन सर्विलांस पर लगाया

हाईकोर्ट ने पूछा, किसके आदेश से वकील का फोन सर्विलांस पर लगाया

244
0

[ad_1]

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 02 Sep 2021 09:37 PM IST

सार

हाईकोर्ट ने इस मामले में एसएसपी प्रयागराज और बरेली से रिपोर्ट तलब की थी। रिपोर्ट में एसएसपी बरेली ने कहा कि विवेचना के दौरान याची से केवल पीड़िता व अभियुक्त के बारे में जानकारी प्राप्त की गई है। एसएसपी प्रयागराज का कहना था कि जांच बरेली पुलिस कर रही है।

Allahabad High Court

Allahabad High Court
– फोटो : प्रयागराज

ख़बर सुनें

विस्तार

जबरन धर्म परिवर्तन कराने व अपहरण कराने के मुकदमे की पैरवी कर रहे वकील का मोबाइल फोन सर्विलांस पर लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या अधिवक्ता का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाया गया है और यदि ऐसा है तो किसके आदेश से और किस आधार पर ऐसा किया गया। कोर्ट ने अधिवक्ता को परेशान न करने का एसएसपी बरेली को आदेश दिया है। 

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा व न्यायमूर्ति दीपक कुमार की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता चमन आरा की याचिका पर दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि याची के घर पर बरेली और प्रयागराज पुलिस दबिश देकर परेशान कर रही है । उससे मुकदमे में आरोपियों और पीड़िता के बारे में पूछताछ की जा रही है। विवेचक ने याची से पूछताछ के दौरान अपनी सीमाएं तोड़ी और याची का उत्पीड़न किया, जबकि वह जानते हैं कि याची सिर्फ अभियुक्त की वकील है। उसके पास जो जानकारियां हैं वह गोपनीय हैं और उनको जाहिर करने के लिए वह कानूनन बाध्य नहीं है। 

हाईकोर्ट ने इस मामले में एसएसपी प्रयागराज और बरेली से रिपोर्ट तलब की थी। रिपोर्ट में एसएसपी बरेली ने कहा कि विवेचना के दौरान याची से केवल पीड़िता व अभियुक्त के बारे में जानकारी प्राप्त की गई है। एसएसपी प्रयागराज का कहना था कि जांच बरेली पुलिस कर रही है। प्रयागराज की पुलिस ने सिर्फ बरेली की पुलिस टीम को सहयोग दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि याची का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाया गया है, जबकि वह इस क्रिमिनल केस मात्र एक अधिवक्ता हैं बाकी उसका मामले से कोई लेना देना नहीं है। इसके साथ ही कहा गया कि वह क्रिमिनल केस में केवल एक अधिवक्ता है इससे अधिक उसको करने का कोई मतलब नहीं है। न्यायालय ने अगली सुनवाई की तिथि तीन सितंबर नियत की है। कोर्ट ने कहा है कि उपरोक्त मामले में याची का किसी प्रकार से उत्पीड़न न किया जाए।

.

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here