अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 02 Sep 2021 07:45 PM IST
सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों को धोखे में रखकर फर्जी तरीके से नियुक्ति प्राप्त करने वाले को वेतन लौटाने का आदेश जारी किया है। इस तरह के मामले में यदि शासन की ओर से रिकवरी की कार्रवाई की जा रही है तो इसे गलत नहीं का जा सकता।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति ने गलत या भ्रष्ट तरीके से नियुक्ति प्राप्त की है तो वह इस गलती का लाभ उठाने का हकदार नहीं है। गैरकानूनी तरीके से हासिल की गई नौकरी से प्राप्त वेतन उसे लौटाना होगा। अन्यथा यह गलत तरीके से धनवान बनना होगा।
कोर्ट ने कहा कि फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी प्राप्त करने वाला वेतन की वसूली के खिलाफ अनुच्छेद 226 में साम्या (इक्विटी) न्याय की मांग नहीं कर सकता। यदि उसके खिलाफ वसूली की गई कार्रवाई की जा रही है तो इसे गलत नहीं या मनमाना नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र से नियुक्त कौशाम्बी की सहायक अध्यापिका की नियुक्ति निरस्त कर वेतन वसूली के नोटिस पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति आरएन तिलहरी की खंडपीठ ने मालती देवी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची ने फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र से नियुक्ति प्राप्त की। पता चलने पर नियुक्ति निरस्त कर दी गई। जिसे चुनौती दी तो हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी।
उसने वेतन लिया। 10 जुलाई 20 को नोटिस जारी किया गया कि गलत तरीके से लिया गया वेतन वापस करे। इस नोटिस को भी चुनौती दी गई। याची का कहना था कि नियुक्ति निरस्त करने के आदेश पर रोक लगी है। इसलिए वसूली नहीं की जा सकती। सरकार की तरफ से बताया गया कि उप्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने प्रमाणपत्र जारी नहीं किया है। सत्यापन रिपोर्ट पर याची ने भी आपत्ति नहीं की है।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति ने गलत या भ्रष्ट तरीके से नियुक्ति प्राप्त की है तो वह इस गलती का लाभ उठाने का हकदार नहीं है। गैरकानूनी तरीके से हासिल की गई नौकरी से प्राप्त वेतन उसे लौटाना होगा। अन्यथा यह गलत तरीके से धनवान बनना होगा।
कोर्ट ने कहा कि फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी प्राप्त करने वाला वेतन की वसूली के खिलाफ अनुच्छेद 226 में साम्या (इक्विटी) न्याय की मांग नहीं कर सकता। यदि उसके खिलाफ वसूली की गई कार्रवाई की जा रही है तो इसे गलत नहीं या मनमाना नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र से नियुक्त कौशाम्बी की सहायक अध्यापिका की नियुक्ति निरस्त कर वेतन वसूली के नोटिस पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट – फोटो : demo pics
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति आरएन तिलहरी की खंडपीठ ने मालती देवी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची ने फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र से नियुक्ति प्राप्त की। पता चलने पर नियुक्ति निरस्त कर दी गई। जिसे चुनौती दी तो हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी।
उसने वेतन लिया। 10 जुलाई 20 को नोटिस जारी किया गया कि गलत तरीके से लिया गया वेतन वापस करे। इस नोटिस को भी चुनौती दी गई। याची का कहना था कि नियुक्ति निरस्त करने के आदेश पर रोक लगी है। इसलिए वसूली नहीं की जा सकती। सरकार की तरफ से बताया गया कि उप्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने प्रमाणपत्र जारी नहीं किया है। सत्यापन रिपोर्ट पर याची ने भी आपत्ति नहीं की है।