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घर आनेजाने वाले व्यक्ति द्वारा नाबालिग से दुष्कर्म पूरे समाज के विरुद्ध अपराध – हाईकोर्ट

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 02 Sep 2021 07:38 PM IST

सार

अधेड़ के द्वारा नाबालिग से एक रेप के मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराध समाज के विश्वास और भरोसे पर आघात करते हैं। 

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घर में आने जाने वाले अधेड़ व्यक्ति द्वारा नाबालिग लड़की का अपहरण कर दुष्कर्म की घटना को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरे समाज के विरुद्ध अपराध करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी न सिर्फ समाज के भरोसे को तोड़ा है बल्कि पूरे परिवार की आत्मा को आघात पहुंचाया है। पीड़िता अपराध में सहभागी नहीं होती, बल्कि वासना का शिकार होती है। कोर्ट ने कहा कि यह दुराचार पीड़िता ही नहीं बल्कि पूरे समाज के विरुद्ध अपराध है। अदालत को विधिक पैरामीटर में इसका जवाब देना चाहिए।

कोर्ट परिवार में आने जाने वाले अधेड़ द्वारा नाबालिग लड़की का अपहरण कर एक माह तक जबरन साथ रखने और दुष्कर्म के आरोप की घटना को गंभीरता से लेते हुए जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने जाफरगंज फतेहपुर के भूतनाथ की अर्जी पर दिया है। पीड़िता के पिता ने एक जून 19 को  शाम 4 बजे नाबालिग लड़की के वापस न आने पर अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई। पीड़ित घर से खेत की ओर गई थी फिर वापस नहीं आई। पुलिस ने एक माह बाद गुजरात के जामनगर से आरोपी के साथ पीड़िता को बरामद किया।

आरोपी की ओर से कहा गया कि मामला प्रेम संबंध का है। लड़की के पुलिस व कोर्ट में दिए बयान में भिन्नता है। लड़की ने पुलिस से कहा उसे जबरन ले गए और दुराचार किया। जबकि मजिस्ट्रेट के सामने कहा, दवा दी बेहोशी हालत में ले गए और दुष्कर्म किया। याची का परिवार में आना जाना था। सहमति से उनका संबंध बना। मेडिकल जांच रिपोर्ट में पीड़िता को लगभग 18 साल बताया गया है। जबकि आधार कार्ड से वह नाबालिग है। इसलिए अपराध नहीं बनता। जब तक केस चल रहा है जमानत पर रिहा किया जाए। वह 5 जुलाई 19 से जेल में बंद हैं। कोर्ट ने कहा अपहरण कर दुष्कर्म किया गया। दुराचारी की आयु 50 साल के बाबा की तरह है। ऐसी घटना परिवार का भरोसा व विश्वास कम करती  है।

विस्तार

घर में आने जाने वाले अधेड़ व्यक्ति द्वारा नाबालिग लड़की का अपहरण कर दुष्कर्म की घटना को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरे समाज के विरुद्ध अपराध करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी न सिर्फ समाज के भरोसे को तोड़ा है बल्कि पूरे परिवार की आत्मा को आघात पहुंचाया है। पीड़िता अपराध में सहभागी नहीं होती, बल्कि वासना का शिकार होती है। कोर्ट ने कहा कि यह दुराचार पीड़िता ही नहीं बल्कि पूरे समाज के विरुद्ध अपराध है। अदालत को विधिक पैरामीटर में इसका जवाब देना चाहिए।

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