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मध्याह्न भोजन में रोज मिल रहीं गड़बड़ियां: वाराणसी में बच्चों की थाली से दाल, रोटी और दूध गायब, महकमा बना मौन

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Published by: हरि User
Updated Thu, 16 Sep 2021 12:48 AM IST

सार

बुधवार को कई विद्यालयों में तहरी तो पहुंची, लेकिन दूध बच्चों तक नही पहुंचा। शिक्षक के पूछने पर बताया गया कि आज सिर्फ तहरी ही आई है, हम अभी दूध नहीं दे सकते हैं। 
 

मध्याह्न भोजन (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला

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वाराणसी में परिषदीय, प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के लिए संचालित मध्याह्न भोजन योजना में खानापूर्ति जारी है। आलम यह है कि अधिकतर विद्यालयों में बच्चों की थाली से दाल, रोटी और दूध गायब है। उधर, महकमे की ओर से ध्यान नहीं देने पर एमडीएम तैयार कराने वाली सामाजिक संस्था की मनमानी नहीं थम रही है।

सिर्फ तहरी परोसी, दूध डकार गए
परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे मील योजना के तहत स्वयंसेवी संगठन को पका भोजन विद्यालय तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रत्येक दिन के लिए अलग-अलग मेन्यू तय किया गया है। हर बुधवार को तहरी व 200 एमएल दूध देने का प्रावधान है। बुधवार को कई विद्यालयों में तहरी तो पहुंची, लेकिन दूध बच्चों तक नही पहुंचा। महकमा के गैरजिम्मेदाराना रवैए से दूध कौन डकार गया, इसका पता नहीं चल सका। 

भोजन से आ रही थी बदबू 
मध्याह्न भोजन में रोज गड़बड़ियां मिल रही हैं। बात सिर्फ एक दिन की नहीं है, शनिवार को विद्यालय में रोटी की जगह बच्चों को दाल के साथ नान परोसा गया था। जिसमें बदबू आने के कारण बच्चों ने उसे खाने से मना कर दिया था। वहीं, मंगलवार को मेन्यू के हिसाब से दाल और चावल देना है, लेकिन प्राथमिक विद्यालय मदरवां व अन्य स्कूलाें में सिर्फ चावल भेजा गया। दाल दो से ढाई घंटे बाद भेजी गई।

अमर उजाला की पड़ताल में पता चला कि प्राथमिक विद्यालय मंडुवाडीह में सुबह दस बजे मध्याह्न भोजन आया। उसमें दूध नहीं था। हेडमास्टर सरिता राय ने बताया कि तीन सितंबर से स्वयंसेवी संगठन द्वारा पका हुआ भोजन भेजा रहा है, लेकिन हर बुधवार को सिर्फ तहरी ही दी जाती है। जब संस्था से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप अपनी तरफ से बच्चों को उपलब्ध करा दीजिए। जो वित्तीय खर्च होंगे वो संस्था वहन करेगी। बुधवार को जब हेडमास्टर ने अपनी तरफ से बच्चों को दूध उपलब्ध करा दिया तो संस्था ने कहा कि हम अभी दूध नहीं दे पाएंगे। आप मध्याह्न भोजन की डायरी में दूध के आगे शून्य कर दीजिए।

कंपोजिट विद्यालय महेशपुर में जब मध्याह्न भोजन की गाड़ी पहुंची तो उसमें दूध नहीं था। हेडमास्टर नगीना सिंह ने पूछा तो बताया गया कि मैडम आज सिर्फ तहरी ही आई है, हम अभी दूध नहीं दे सकते हैं। कुछ ऐसा ही हाल प्राथमिक विद्यालय ककरमत्ता और कंपोजिट विद्यालय अर्दली बाजार में भी रहा। 

मध्याह्न भोजन को लेकर लगातार विद्यालयों से शिकायतें आ रही हैं। स्वयंसेवी संगठनों की शनिवार को बैठक बुलाई गई है। बैठक के बाद जो भी समस्याएं होगी उसका समाधान किया जाएगा। – राकेश सिंह, बीएसए।

विस्तार

वाराणसी में परिषदीय, प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के लिए संचालित मध्याह्न भोजन योजना में खानापूर्ति जारी है। आलम यह है कि अधिकतर विद्यालयों में बच्चों की थाली से दाल, रोटी और दूध गायब है। उधर, महकमे की ओर से ध्यान नहीं देने पर एमडीएम तैयार कराने वाली सामाजिक संस्था की मनमानी नहीं थम रही है।

सिर्फ तहरी परोसी, दूध डकार गए

परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे मील योजना के तहत स्वयंसेवी संगठन को पका भोजन विद्यालय तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रत्येक दिन के लिए अलग-अलग मेन्यू तय किया गया है। हर बुधवार को तहरी व 200 एमएल दूध देने का प्रावधान है। बुधवार को कई विद्यालयों में तहरी तो पहुंची, लेकिन दूध बच्चों तक नही पहुंचा। महकमा के गैरजिम्मेदाराना रवैए से दूध कौन डकार गया, इसका पता नहीं चल सका। 

भोजन से आ रही थी बदबू 

मध्याह्न भोजन में रोज गड़बड़ियां मिल रही हैं। बात सिर्फ एक दिन की नहीं है, शनिवार को विद्यालय में रोटी की जगह बच्चों को दाल के साथ नान परोसा गया था। जिसमें बदबू आने के कारण बच्चों ने उसे खाने से मना कर दिया था। वहीं, मंगलवार को मेन्यू के हिसाब से दाल और चावल देना है, लेकिन प्राथमिक विद्यालय मदरवां व अन्य स्कूलाें में सिर्फ चावल भेजा गया। दाल दो से ढाई घंटे बाद भेजी गई।


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