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allahabad high court : सेकंड डिवीजन से कम अंक वाले भी कर सकेंगे सहायक प्रोफेसर के लिए आवेदन

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 07 Oct 2021 09:04 PM IST

सार

लोक सेवा आयोग को यूजीसी के रेगुलेशन के अनुसार विज्ञापन संशोधन करने का निर्देश, 2018 में यूजीसी हटा चुका है सेकंड डिवीजन पास होने की अनिवार्यता।

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राजकीय डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए ऐसे अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकेंगे, जिनके स्नातक में 45 प्रतिशत से कम अंक हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन में उचित संशोधन करने का निर्देश दिया है।

विज्ञापन में यह शर्त थी कि आवेदन करने वाले अभ्यर्थी का स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होना चाहिए। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती देकर कहा गया कि यूजीसी ने 2018 में ही यह अनिवार्यता समाप्त कर दी है। गोपाल सिंह व अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुनवाई की। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग व राज्य सरकार से इस मामले में जानकारी मांगी थी।

हाईकोर्ट को बताया गया कि लोक सेवा आयोग ने 24 नवंबर 2020 को राजकीय डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। जिसमें शर्त है कि आवेदन करने वाले अभ्यर्थी का स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होना चाहिए। याची का कहना था कि यूजीसी ने अपने रेगुलेशन में संशोधन करते हुए 18 जुलाई 18 को स्नातक में 45 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी। अब कोई भी अभ्यर्थी जिसके पास स्नातक और परास्नातक की डिग्री है तथा नेट क्वालीफाई है, सहायक प्रोफेसर के लिए आवेदन कर सकता है। 

अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि यूजीसी के संशोधन को राज्य सरकार ने 28 जून 2019 को स्वीकार कर लिया है। मगर लोक सेवा आयोग को इस बारे में समय से सूचना न हो पाने के कारण गलत विज्ञापन जारी किया गया। आयोग जल्द ही खंडन प्रकाशित कर संशोधित विज्ञापन जारी करेगा ताकि सभी अभ्यर्थी आवेदन कर सकें। अपर महाधिवक्ता के इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।

विस्तार

राजकीय डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए ऐसे अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकेंगे, जिनके स्नातक में 45 प्रतिशत से कम अंक हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन में उचित संशोधन करने का निर्देश दिया है।

विज्ञापन में यह शर्त थी कि आवेदन करने वाले अभ्यर्थी का स्नातक में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होना चाहिए। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती देकर कहा गया कि यूजीसी ने 2018 में ही यह अनिवार्यता समाप्त कर दी है। गोपाल सिंह व अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुनवाई की। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग व राज्य सरकार से इस मामले में जानकारी मांगी थी।

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