अमर उजाला ब्यूरो, आगरा
Published by: Abhishek Saxena
Updated Sun, 07 Nov 2021 10:21 AM IST
सार
एसएन के बाल रोग विभाग के डॉ. शिवप्रताप सिंह ने बताया कि धूल-धुआं से गले और फेफड़ों की परेशानी बच्चों में ज्यादा मिल रही है। दो दिन में इस मर्ज के 10 फीसदी मरीज बढ़े हैं।
आगरा: एसएन की ओपीडी में मरीज – फोटो : अमर उजाला
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दिवाली के बाद सांस-दमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एसएन के मेडिसिन और वक्ष एवं क्षय रोग विभाग में सांस-दमा के 166 मरीज आए। इनमें से पांच मरीजों को भर्ती किया है। इनमें 43 बच्चे और 123 वयस्क मरीज रहे।
वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के डॉ. जीवी सिंह ने बताया कि शनिवार को ओपीडी में सांस-दमा के 66 मरीज आए। 52 मरीजों की जांच कराने पर इनकी सांस नली में सूजन मिली। धूल-धुएं के कण फेफड़ों की अंतिम इकाई तक पहुंच गए, जिससे उनमें संक्रमण भी हुआ। इससे टीबी और सांस के गंभीर मरीजों की खांसी लगातार आ रही थी। बलगम में खून भी आ रहा था। तीन की हालत गंभीर मिलने पर भर्ती करा दिया है। मेडिसिन विभाग के डॉ. टीपी सिंह ने बताया कि प्रदूषण और बदले मौसम से 71 मरीजों में सांस लेने में परेशानी, सीने से घर्र-घर्र की आवाज, बेचैनी की परेशानी मिली। इनको दवा देने के साथ प्रदूषण से बचने का भी परामर्श दिया है। 10 फीसदी मरीज बढ़े एसएन के बाल रोग विभाग के डॉ. शिवप्रताप सिंह ने बताया कि धूल-धुआं से गले और फेफड़ों की परेशानी बच्चों में ज्यादा मिल रही है। दो दिन में इस मर्ज के 10 फीसदी मरीज बढ़े हैं। ओपीडी में आए 43 बच्चों में प्रदूषण से गले में खराश, बार-बार छींक आने की परेशानी बताई। दमा के रोगी बच्चों को रात में सीने में घर्र-घर्र की आवाज परिजनों ने बताई। सीने में जकड़न से बच्चा चिड़चिड़ा भी हो रहा था। – बच्चों घर से बाहर जाते वक्त मास्क लगाकर रखें। – सुबह-शाम बच्चों को बाहर खेलने से बचाएं। – धूल-धुआं वाले स्थान पर बच्चों ने खेलने दें। – दमा के रोगी बच्चों की दवाएं बंद न करें। – गर्म पानी से बच्चों को भाप दिलाएं। – गुनगुने पानी से गरारे करा सकते हैं। जैसा के डॉ. अरुण जैन, बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया
दिवाली के बाद सांस-दमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एसएन के मेडिसिन और वक्ष एवं क्षय रोग विभाग में सांस-दमा के 166 मरीज आए। इनमें से पांच मरीजों को भर्ती किया है। इनमें 43 बच्चे और 123 वयस्क मरीज रहे।
वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के डॉ. जीवी सिंह ने बताया कि शनिवार को ओपीडी में सांस-दमा के 66 मरीज आए। 52 मरीजों की जांच कराने पर इनकी सांस नली में सूजन मिली। धूल-धुएं के कण फेफड़ों की अंतिम इकाई तक पहुंच गए, जिससे उनमें संक्रमण भी हुआ। इससे टीबी और सांस के गंभीर मरीजों की खांसी लगातार आ रही थी। बलगम में खून भी आ रहा था। तीन की हालत गंभीर मिलने पर भर्ती करा दिया है। मेडिसिन विभाग के डॉ. टीपी सिंह ने बताया कि प्रदूषण और बदले मौसम से 71 मरीजों में सांस लेने में परेशानी, सीने से घर्र-घर्र की आवाज, बेचैनी की परेशानी मिली। इनको दवा देने के साथ प्रदूषण से बचने का भी परामर्श दिया है।
10 फीसदी मरीज बढ़े
एसएन के बाल रोग विभाग के डॉ. शिवप्रताप सिंह ने बताया कि धूल-धुआं से गले और फेफड़ों की परेशानी बच्चों में ज्यादा मिल रही है। दो दिन में इस मर्ज के 10 फीसदी मरीज बढ़े हैं। ओपीडी में आए 43 बच्चों में प्रदूषण से गले में खराश, बार-बार छींक आने की परेशानी बताई। दमा के रोगी बच्चों को रात में सीने में घर्र-घर्र की आवाज परिजनों ने बताई। सीने में जकड़न से बच्चा चिड़चिड़ा भी हो रहा था।