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उत्तर प्रदेश चुनाव: योगी आदित्यनाथ के एक हाथ में विकास है तो दूसरे में कैराना, कितनी कारगर होगी ये रणनीति

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सार

उत्तर प्रदेश भाजपा नेता शैलेंद्र शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि मुख्यमंत्री की कैराना पीड़ितों से मुलाकात को सांप्रदायिक नजरिए से देखना विपक्ष की संकीर्ण राजनीति का नमूना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर प्रशासक की रही है। कैराना से कुछ असामाजिक तत्वों के डर के कारण हो रहा पलायन एक गंभीर मुद्दा था…

कैराना पीड़ितों के साथ योगी आदित्यनाथ
– फोटो : ANI

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समय पूरी तरह से चुनावी रंग ढंग में हैं। वे लगातार उत्तर प्रदेश में विकास की नई-नई योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर रहे हैं। कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों वाराणसी में विभिन्न योजनाओं को शुरू करने का कार्यक्रम किया जा रहा है, तो कभी गृहमंत्री अमित शाह के जरिए लखनऊ में विभिन्न योजनाओं को जनता के लिए खोला जा रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री केवल विकास की योजनाओं के ही भरोसे नहीं हैं। वे साथ-साथ अपनी कट्टर हिंदुत्व वाली छवि को भी मजबूत करने में जुटे हैं। इसके लिए अयोध्या, प्रयागराज और काशी तक का सहारा लिया जा रहा है। सोमवार को जब उन्होंने कैराना के विस्थापित हिंदू परिवारों से मुलाकात की, तो उनकी इस मुलाकात को भी उनके सियासी दांव के तौर पर ही देखा गया। विपक्ष ने इसे चुनाव के समय खेला गया सांप्रदायिक कार्ड बताया है।

कट्टर प्रशासक की छवि

उत्तर प्रदेश भाजपा नेता शैलेंद्र शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि मुख्यमंत्री की कैराना पीड़ितों से मुलाकात को सांप्रदायिक नजरिए से देखना विपक्ष की संकीर्ण राजनीति का नमूना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर प्रशासक की रही है। कैराना से कुछ असामाजिक तत्वों के डर के कारण हो रहा पलायन एक गंभीर मुद्दा था। इस कारण अनेक परिवारों को अपना घर-बार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ गया था।

लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने पूरे कार्यकाल में असामाजिक तत्वों पर कठोर कार्रवाई की और इसी का परिणाम है कि आज लोग शांति-सुरक्षा पाने के बाद अब अपने घरों को वापसी करने लगे हैं। यह जनता के हितों की जीत है और विपक्ष को भी इसका स्वागत करना चाहिए। कैराना की जनता ने जिस तरह खुले दिल से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्वागत किया है, विपक्ष को उसी से सच्चाई समझ आनी चाहिए।

विकास पर मांगेंगे वोट

उन्होंने कहा कि भाजपा अपने विकास के किए गए कार्यों के आधार पर जनता से वोट मांगेगी। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक ने पूरे पांच साल जनता के लिए काम किए हैं। प्रदेश के हर कोने में इस बदलाव को महसूस किया जा सकता है। हर जिले में अस्पताल, मेडिकल-इंजीनियरिंग संस्थान, सड़कें, अयोध्या में निर्माण, काशी-प्रयागराज का विकास जैसे हजारों कामकाज हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को श्रेय दिया जा सकता है। विपक्ष को मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ के इन कामों पर सकारात्मक बहस करनी चाहिए।  

सांप्रदायिक राजनीति की शुरुआत   

राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव तारिक मुस्तफा ने अमर उजाला से कहा कि कैराना का विवाद हिंदू-मुस्लिम का नहीं, बल्कि प्रशासनिक मामला था। भाजपा नेता हुकुम सिंह ने सबसे पहले इस विवाद को हवा दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने भी स्वीकार किया था कि यह क्षेत्र के बदमाशों के कारण फैले आतंक का मामला था और इसका हिंदू-मुस्लिम विवाद से कोई लेना-देना नहीं था। हुकुमसिंह की जीत में यहां की हिंदू-मुस्लिम जनता मिलकर वोट देती थी, क्योंकि स्थानीय स्तर पर वे काफी लोकप्रिय नेता हुआ करते थे। उनकी बेटी मृगांका सिंह ने भी बाद में उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाया था। लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव के समय इस विवाद को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं।  

आरएलडी नेता के मुताबिक, इस क्षेत्र के जाट-मुसलमान पारंपरिक रूप से चौधरी अजित सिंह के वोटर हुआ करते थे। आरएलडी केवल किसानों की राजनीति करती है। हिंदू हों या मुसलमान सबके बीच पार्टी की एक समान पैठ हुआ करती थी। लेकिन 2012-13 के विवाद के बाद यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो गया था, जिससे कुछ वोटर भाजपा के पक्ष में चले गए थे। लेकिन अब हिंदूओं और मुसलमानों को अपनी भूल का अहसास हो चुका है।

भाजपा का सफाया करेंगे

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा को किसानों की नाराजगी का डर सता रहा है। यही कारण है कि एक बार फिर वह पुराने विवाद को हवा देने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा की यह कोशिश कामयाब नहीं हो पाएगी क्योंकि इस क्षेत्र का मतदाता केवल किसानों के मुद्दे पर वोट करने के लिए तैयार है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पश्चिमी क्षेत्र में सपा-आरएलडी का गठबंधन बाकी दलों का सफाया कर देगा।

विस्तार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समय पूरी तरह से चुनावी रंग ढंग में हैं। वे लगातार उत्तर प्रदेश में विकास की नई-नई योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर रहे हैं। कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों वाराणसी में विभिन्न योजनाओं को शुरू करने का कार्यक्रम किया जा रहा है, तो कभी गृहमंत्री अमित शाह के जरिए लखनऊ में विभिन्न योजनाओं को जनता के लिए खोला जा रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री केवल विकास की योजनाओं के ही भरोसे नहीं हैं। वे साथ-साथ अपनी कट्टर हिंदुत्व वाली छवि को भी मजबूत करने में जुटे हैं। इसके लिए अयोध्या, प्रयागराज और काशी तक का सहारा लिया जा रहा है। सोमवार को जब उन्होंने कैराना के विस्थापित हिंदू परिवारों से मुलाकात की, तो उनकी इस मुलाकात को भी उनके सियासी दांव के तौर पर ही देखा गया। विपक्ष ने इसे चुनाव के समय खेला गया सांप्रदायिक कार्ड बताया है।

कट्टर प्रशासक की छवि

उत्तर प्रदेश भाजपा नेता शैलेंद्र शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि मुख्यमंत्री की कैराना पीड़ितों से मुलाकात को सांप्रदायिक नजरिए से देखना विपक्ष की संकीर्ण राजनीति का नमूना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर प्रशासक की रही है। कैराना से कुछ असामाजिक तत्वों के डर के कारण हो रहा पलायन एक गंभीर मुद्दा था। इस कारण अनेक परिवारों को अपना घर-बार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ गया था।

लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने पूरे कार्यकाल में असामाजिक तत्वों पर कठोर कार्रवाई की और इसी का परिणाम है कि आज लोग शांति-सुरक्षा पाने के बाद अब अपने घरों को वापसी करने लगे हैं। यह जनता के हितों की जीत है और विपक्ष को भी इसका स्वागत करना चाहिए। कैराना की जनता ने जिस तरह खुले दिल से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्वागत किया है, विपक्ष को उसी से सच्चाई समझ आनी चाहिए।

विकास पर मांगेंगे वोट

उन्होंने कहा कि भाजपा अपने विकास के किए गए कार्यों के आधार पर जनता से वोट मांगेगी। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक ने पूरे पांच साल जनता के लिए काम किए हैं। प्रदेश के हर कोने में इस बदलाव को महसूस किया जा सकता है। हर जिले में अस्पताल, मेडिकल-इंजीनियरिंग संस्थान, सड़कें, अयोध्या में निर्माण, काशी-प्रयागराज का विकास जैसे हजारों कामकाज हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को श्रेय दिया जा सकता है। विपक्ष को मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ के इन कामों पर सकारात्मक बहस करनी चाहिए।  

सांप्रदायिक राजनीति की शुरुआत   

राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव तारिक मुस्तफा ने अमर उजाला से कहा कि कैराना का विवाद हिंदू-मुस्लिम का नहीं, बल्कि प्रशासनिक मामला था। भाजपा नेता हुकुम सिंह ने सबसे पहले इस विवाद को हवा दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने भी स्वीकार किया था कि यह क्षेत्र के बदमाशों के कारण फैले आतंक का मामला था और इसका हिंदू-मुस्लिम विवाद से कोई लेना-देना नहीं था। हुकुमसिंह की जीत में यहां की हिंदू-मुस्लिम जनता मिलकर वोट देती थी, क्योंकि स्थानीय स्तर पर वे काफी लोकप्रिय नेता हुआ करते थे। उनकी बेटी मृगांका सिंह ने भी बाद में उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाया था। लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव के समय इस विवाद को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं।  

आरएलडी नेता के मुताबिक, इस क्षेत्र के जाट-मुसलमान पारंपरिक रूप से चौधरी अजित सिंह के वोटर हुआ करते थे। आरएलडी केवल किसानों की राजनीति करती है। हिंदू हों या मुसलमान सबके बीच पार्टी की एक समान पैठ हुआ करती थी। लेकिन 2012-13 के विवाद के बाद यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो गया था, जिससे कुछ वोटर भाजपा के पक्ष में चले गए थे। लेकिन अब हिंदूओं और मुसलमानों को अपनी भूल का अहसास हो चुका है।

भाजपा का सफाया करेंगे

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा को किसानों की नाराजगी का डर सता रहा है। यही कारण है कि एक बार फिर वह पुराने विवाद को हवा देने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा की यह कोशिश कामयाब नहीं हो पाएगी क्योंकि इस क्षेत्र का मतदाता केवल किसानों के मुद्दे पर वोट करने के लिए तैयार है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पश्चिमी क्षेत्र में सपा-आरएलडी का गठबंधन बाकी दलों का सफाया कर देगा।

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