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मैनपुरी में छात्रा की मौत का मामला : हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को लगाई फटकार, लौटाई आधी अधूरी रिपोर्ट, कहा- पूरी पुलिस फोर्स ही अक्षम

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सार

मैनपुरी की छात्रा के मौत के मामले में महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने पूछा कि छात्रा की मौत की सूचना परिजनों को क्यों नहीं दी गई। इस पर राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि मां को फोन किया गया था, किंतु उसने नहीं उठाया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी की छात्रा की स्कूल में मौत के मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश की गई आधी अधूरी डीएनए रिपोर्ट स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पूरी रिपोर्ट पेश की जाए। इस पर सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि अब तक की गई जांच में अपराधी का पता नहीं चला है। अभी तक हत्या के साक्ष्य नहीं मिले हैं। एसआईटी ने हर संभव पहलू पर विचार किया। छात्रा ने आत्महत्या की है, जिसकी पारिवारिक वजह हो सकती है।

साक्ष्य नष्ट होने दिया गया, पूरी पुलिस फोर्स ही अक्षम
सरकार की तरफ से बताया गया कि 277 संदिग्धों की डीएनए जांच में अपराधी का पता नहीं चल सका है। रिपोर्ट को दोबारा चेक किया जा रहा है। कोर्ट ने 2020 में मृत छात्रा की मां की तरफ से सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका की जानकारी अदालत को नहीं देने पर नाराजगी जाहिर की और दोनों याचिकाओं को सुनवाई के लिए दो दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य नष्ट होने दिया गया। क्या कहें, पूरी पुलिस फोर्स ही अक्षम है।

कोर्ट ने पूछा- छात्रा की मौत की सूचना क्यों नहीं दी गई परिजनों को

महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने पूछा कि छात्रा की मौत की सूचना परिजनों को क्यों नहीं दी गई। इस पर राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि मां को फोन किया गया था, किंतु उसने नहीं उठाया। छात्रा को फंदे से उतार कर सुबह सवा छह बजे अस्पताल में भर्ती कराया गया, किंतु तब तक मौत हो चुकी थी।

पुलिस को 11 बजे के बाद सूचना दी गई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को सूचना देने में 5 घंटे क्यों लगे। इस पर कहा गया कि लोकल पुलिस ने लापरवाही बरती। इस पर कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता चतुर्वेदी से पूछा वह किसकी तरफ से वकील हैं। जवाब में बताया कि पहले एसआईटी की तरफ से थे, अब राज्य सरकार की तरफ से हैं।

आरोपी को बिना गिरफ्तार किए कैसे शुरू कर दी गई विवेचना

कोर्ट ने कहा कि दो साल बीत गए, नामजद आरोपी गिरफ्तार नहीं किए गए। क्या सरकार ऐसा डेटा दे सकती है कि जिसमें नामजद हत्या का मुकदमा हो, उनको बिना गिरफ्तार किए अन्वेषण किया जा रहा हो। इसपर  चतुर्वेदी ने कहा कि यदि कोर्ट कहे तो छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह पुलिस का काम है। वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि घटना से पहले छात्रा ने मां से शिकायत की थी। मां प्रधानाचार्य से मिलने गई, मगर उन्होंने मां से मिलने से इनकार कर दिया।

बेटी ने मां को पिता के साथ आने को कहा। मृतका के कपड़े पर सीमेन मिला है। पंचनामा में शरीर पर चोट है। लाश भी परिवार को नहीं दी गई। दोबारा पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। सरकारी वकील ने कहा कि मां से पूछताछ की तो उन्होंने चक्कर आने का बहाना बनाया। तीन डॉक्टरों की टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया, जिसका परीक्षण एम्स के डॉक्टरों से कराया गया है। लाश मां को सौंपी गई। याची ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने लाश गंगा में बहा दी। अंतिम संस्कार नहीं किया गया। मामले की सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी की छात्रा की स्कूल में मौत के मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश की गई आधी अधूरी डीएनए रिपोर्ट स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पूरी रिपोर्ट पेश की जाए। इस पर सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि अब तक की गई जांच में अपराधी का पता नहीं चला है। अभी तक हत्या के साक्ष्य नहीं मिले हैं। एसआईटी ने हर संभव पहलू पर विचार किया। छात्रा ने आत्महत्या की है, जिसकी पारिवारिक वजह हो सकती है।

साक्ष्य नष्ट होने दिया गया, पूरी पुलिस फोर्स ही अक्षम

सरकार की तरफ से बताया गया कि 277 संदिग्धों की डीएनए जांच में अपराधी का पता नहीं चल सका है। रिपोर्ट को दोबारा चेक किया जा रहा है। कोर्ट ने 2020 में मृत छात्रा की मां की तरफ से सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका की जानकारी अदालत को नहीं देने पर नाराजगी जाहिर की और दोनों याचिकाओं को सुनवाई के लिए दो दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य नष्ट होने दिया गया। क्या कहें, पूरी पुलिस फोर्स ही अक्षम है।

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