न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: पंकज श्रीवास्तव
Updated Tue, 16 Nov 2021 09:20 PM IST
सार
सपा ने चुनाव आयोग के ज्ञापन देकर मांग की थी कि पहले की तरह राजनीतिक दलों को मतदाता सूची में काटे गए और जोड़ेगए नामों की सूची उपलब्ध कराई जाए। आयोग ने सूची देने से इनकार कर दिया था। इस पर अखिलेश यादव ने 10 नवंबर को प्रेस कांफ्रेस कर चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर कार्य करने का आरोप लगाया।
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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा चुनाव आयोग के खिलाफ धरना देने की धमकी देने के बाद आयोग ने कटे एवं जुड़े नाम की सूची उपलब्ध कराने का आदेश जारी कर दिया है। इससे सपा कार्यकर्ताओं में खुशी है। वे इसे अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग के ज्ञापन देकर मांग की थी कि पहले की तरह राजनीतिक दलों को मतदाता सूची में काटे गए और जोड़ेगए नामों की सूची उपलब्ध कराई जाए। आयोग ने सूची देने से इनकार कर दिया था। इस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 10 नवंबर को प्रेस कांफ्रेस कर चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर कार्य करने का आरोप लगाया। चेतावनी दी कि वह आोयग के खिलाफ पूरे प्रदेश में धरना- प्रदर्शन शुरू करेंगे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हर विधान सभा के प्रत्येक बूथ पर 16 जनवरी से 31 अक्टूबर तक मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम चला। इस दौरान सूची में 2156267 नाम जोड़े गये और 1642756 नाम काटे गए। इन नामों का सत्यापन कराने के लिए राजनीतिक दलों को सूची उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जबकि पहले हर चुनाव में यह सूची उपलब्ध कराई जाती थी। इस धमकी के बाद आयोग ने समाजवादी पार्टी सहित अन्य दलों को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया हैकि जोड़े गए और काटे गए नामों की सूची सभी जिला निर्वाचन अधिकारी उपलब्ध कराएंगे।
आखिर क्यों गुस्सा थे सपाई समाजवादी पार्टी का कहना है कि विभिन्न बूथों पर सर्वे किया तो पता चला कि सपा के परंपरागत वोट बैंक में शामिल जातियों के मतदाताओँ का नाम कट गया है। एक के बाद एक जिले से यह सूचना प्रदेश मुख्यालय पहुंची तो यहां हलचल मच गई। सपा के प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग को पत्र सौंपा। इसके बाद भी सूची नहीं उपलब्ध कराई गई तो सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद मोर्चा संभाला। फिलहाल आयोग की ओर से सूची उपलब्ध कराने के आदेश से सपाइयों में खुशी हैं। वे मतदाता पुनरीक्षण अभियान के दौरान नए सिरे से कटे नामों को जोड़वा सकेंगे। साथ ही जोड़े गए नामों पर आपत्ति कर सकेंगे।
केंद्रीय चुनाव आयोग के उप निर्वाचन आयुक्त डॉ. चंद्र भूषण कुमार ने यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में लिंग अनुपात सुधारने पर विशेष फोकस करने को कहा है। इसके लिए उन्होंने महिलाओं को जागरूक करने और जिनके नाम सूची में नहीं हैं, उनके नाम जोड़ने के निर्देश दिए हैं। वे मंगलवार को राजधानी में जनपथ स्थित निर्वाचन कार्यालय में चुनाव तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि चुनाव को स्वतंत्र व निष्पक्ष ढंग से कराने के लिए अभी से पूरी तैयारी करें। मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि लिंग अनुपात सुधारने के लिए महिलाओं की संख्या बढ़ाने और 18 से 19 वर्ष के मतदाताओं की संख्या को बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। इसके लिए उन्होंने प्रभावी रणनीति बनाकर काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने दिव्यांग व बुजुर्ग मतदाताओं को मतदान के लिए बूथों पर जरूरी सुविधाएं सुनिश्चित कराने के भी निर्देश दिए। साथ ही मतदान केंद्रों पर वेबकॉस्टिंग की व्यवस्था को 50 फीसदी से ज्यादा करने को कहा। निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी डाटाबेस भी जल्द तैयार करने के निर्देश दिए। कहा, प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी के प्रचार प्रसार निगरानी संबंधी व्यवस्था की निगरानी भी करें।
विस्तार
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा चुनाव आयोग के खिलाफ धरना देने की धमकी देने के बाद आयोग ने कटे एवं जुड़े नाम की सूची उपलब्ध कराने का आदेश जारी कर दिया है। इससे सपा कार्यकर्ताओं में खुशी है। वे इसे अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग के ज्ञापन देकर मांग की थी कि पहले की तरह राजनीतिक दलों को मतदाता सूची में काटे गए और जोड़ेगए नामों की सूची उपलब्ध कराई जाए। आयोग ने सूची देने से इनकार कर दिया था। इस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 10 नवंबर को प्रेस कांफ्रेस कर चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर कार्य करने का आरोप लगाया। चेतावनी दी कि वह आोयग के खिलाफ पूरे प्रदेश में धरना- प्रदर्शन शुरू करेंगे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि
हर विधान सभा के प्रत्येक बूथ पर 16 जनवरी से 31 अक्टूबर तक मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम चला। इस दौरान सूची में 2156267 नाम जोड़े गये और 1642756 नाम काटे गए। इन नामों का सत्यापन कराने के लिए राजनीतिक दलों को सूची उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जबकि पहले हर चुनाव में यह सूची उपलब्ध कराई जाती थी। इस धमकी के बाद आयोग ने समाजवादी पार्टी सहित अन्य दलों को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया हैकि जोड़े गए और काटे गए नामों की सूची सभी जिला निर्वाचन अधिकारी उपलब्ध कराएंगे।
आखिर क्यों गुस्सा थे सपाई
समाजवादी पार्टी का कहना है कि विभिन्न बूथों पर सर्वे किया तो पता चला कि सपा के परंपरागत वोट बैंक में शामिल जातियों के मतदाताओँ का नाम कट गया है। एक के बाद एक जिले से यह सूचना प्रदेश मुख्यालय पहुंची तो यहां हलचल मच गई। सपा के प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग को पत्र सौंपा। इसके बाद भी सूची नहीं उपलब्ध कराई गई तो सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद मोर्चा संभाला। फिलहाल आयोग की ओर से सूची उपलब्ध कराने के आदेश से सपाइयों में खुशी हैं। वे मतदाता पुनरीक्षण अभियान के दौरान नए सिरे से कटे नामों को जोड़वा सकेंगे। साथ ही जोड़े गए नामों पर आपत्ति कर सकेंगे।