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संकट: दो हजार करोड़ के प्रकाशन उद्योग से नहीं हटा ग्रहण, कोरोना महामारी व महंगाई से लगा तगड़ा झटका

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आशुतोष भारद्वाज, अमर उजाला नेटवर्क, मेरठ
Published by: Dimple Sirohi
Updated Thu, 18 Nov 2021 12:08 PM IST

सार

मेरठ के प्रकाशन उद्योग की धमक देश भर में रही है। लेकिन कोरोना काल के बाद से प्रकाशन उद्योग संकट से जूझ रहा है। स्कूल खुलने के बावजूद प्रकाशकों के पास ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। कैसे कोरोना महामारी के बाद महंगाई की मार झेल रहा है प्रकाशन उद्योग पढ़ें यह रिपोर्ट :-

प्रकाशन उद्योग
– फोटो : अमर उजाला

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मेरठ में करीब दो हजार करोड़ के प्रकाशन उद्योग से संकट के बादल नहीं छंटे हैं। स्कूल खुलने के बाद प्रकाशकों ने आगामी सत्र के लिए प्रकाशन की तैयारी शुरू की है। कारोबारियों को एनसीईआरटी से आर्डर मिलने का इंतजार है। 

मेरठ के प्रकाशन उद्योग की धमक देश भर में रही है। कोरोना संक्रमण की वजह से वर्ष 2021-22 के सत्र के लिए आर्डर नहीं मिलने से संकट बढ़ा है। ऑनलाइन क्लास होने के कारण बड़ी संख्या में बच्चों ने किताबें नहीं खरीदी। 

ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बड़ी संख्या में स्कूल बंद हैं। जिसके चलते डिमांड पूरी तरह खत्म हो गई है। मार्केट में फंसा मुद्रकों और प्रकाशकों का 2020-21 सत्र में बेची गई किताबों का पैसा भी अभी तक मार्केट में फंसा है। 
यह हैं पब्लिशिंग उद्योग की समस्याएं
-वर्ष 2022-23 को सेशन के लिए स्पष्ट गाइडलाइन नहीं हैं।
-अक्तूबर में एनसीईआरटी आर्डर देती है जो अब तक नहीं मिला है।
-पब्लिशर्स के गोदामों में हैं करोड़ों का स्टॉक। कच्चे माल की कीमतों में हुआ इजाफा।
-बाजार में रेट पूरी तरह है अस्थिर। 

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एक नजर में मेरठ का प्रकाशन उद्योग
कुल कारोबार :
करीब  2 हजार करोड़
पेपर इंडस्ट्री :1 हजार करोड़
पब्लिशर्स : 200 करोड़
प्रिंटर्स : 150 करोड़
कन्टेंट डेवलेपर, बाइंडर्स, कंप्यूटर डिजाइनर, प्लेट मेकर, नेगेटिव मेकर, डिस्ट्रिब्यूटर, रिटेलर, कर्मचारी, एजेंट : 150 करोड़
जीएसटी : 250 करोड़ 
पब्लिशर्स : 250
प्रिंटर्स : 60
पेपर सप्लायर्स : 65
डिजायर्न व अन्य : 1500
इंडस्ट्री से जुड़े परिवार : 2.5 लाख

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शिक्षा को लेकर सरकार हुई उदासीन
एक तरफ बच्चों की पढ़ाई दो वर्ष से प्रभावित है। इसके साथ ही 2 हजार करोड़ के उद्योग पर ग्रहण लग गया है। 2.5 लाख परिवारों के लिए रोजी रोटी का संकट है। एनसीईआरटी ने भी अभी तक आर्डर नहीं दिया है। स्कूल भी नए सेशन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैं। नए सेशन के लिए सिर्फ 10 प्रतिशत काम हुआ है।  -पंकज जैन, अध्यक्ष, पब्लिशर्स एसोसिएशन।

महंगाई से प्रभावित हुआ पेपर उद्योग
पेपर की डिमांड सिर्फ 15 प्रतिशत तक सीमित रह गई है। प्रति किलो कागज को 45 रुपये था अब 60 रुपये हो गया है। कच्चे माल के साथ शिपिंग कोस्ट भी काफी बढ़ गई है। 2022-23 के सेशन को लेकर सरकार कुछ स्पष्ट नहीं कर रही है।  – संजय जैन, अध्यक्ष, मेरठ पेपर विक्रेता संघ।

बैंक लिमिट पर ब्याज माफ करे सरकार
दो वर्ष में 18 प्रिंटर्स ने अपने कारोबार बंद कर दिया है। मशीनें भी बेच दी हैं। सरकार को आगे आकर उद्योग को बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए। बैंक लिमिट पर ब्याज प्राथमिकता के तौर पर माफ किया जाना चाहिए। -आशु रस्तौगी, अध्यक्ष, मेरठ प्रिंटर्स एसोसिएशन।

विस्तार

मेरठ में करीब दो हजार करोड़ के प्रकाशन उद्योग से संकट के बादल नहीं छंटे हैं। स्कूल खुलने के बाद प्रकाशकों ने आगामी सत्र के लिए प्रकाशन की तैयारी शुरू की है। कारोबारियों को एनसीईआरटी से आर्डर मिलने का इंतजार है। 

मेरठ के प्रकाशन उद्योग की धमक देश भर में रही है। कोरोना संक्रमण की वजह से वर्ष 2021-22 के सत्र के लिए आर्डर नहीं मिलने से संकट बढ़ा है। ऑनलाइन क्लास होने के कारण बड़ी संख्या में बच्चों ने किताबें नहीं खरीदी। 

ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बड़ी संख्या में स्कूल बंद हैं। जिसके चलते डिमांड पूरी तरह खत्म हो गई है। मार्केट में फंसा मुद्रकों और प्रकाशकों का 2020-21 सत्र में बेची गई किताबों का पैसा भी अभी तक मार्केट में फंसा है। 

यह हैं पब्लिशिंग उद्योग की समस्याएं

-वर्ष 2022-23 को सेशन के लिए स्पष्ट गाइडलाइन नहीं हैं।

-अक्तूबर में एनसीईआरटी आर्डर देती है जो अब तक नहीं मिला है।

-पब्लिशर्स के गोदामों में हैं करोड़ों का स्टॉक। कच्चे माल की कीमतों में हुआ इजाफा।

-बाजार में रेट पूरी तरह है अस्थिर। 

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