न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Published by: गीतार्जुन गौतम
Updated Fri, 03 Dec 2021 12:09 PM IST
सार
बुनकर आज काम बंद करके अगहनी जुमे की नमाज पढ़ेंगे। इस दौरान वह किसान और बुनकरों की समृद्धि के लिए दुआएं करेंगे। ये परंपरा लगभग 450 साल पुरानी है, जब देश में सूखा पड़ा था।
सांकेतिक तस्वीर – फोटो : अमर उजला
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बुनकर बिरादराना की ओर से पढ़ी जाने वाली अगहनी जुमे की नमाज आज शुक्रवार को चौकाघाट मछली मंडी के स्थित ईदगाह में पढ़ी जाएगी। बुनकर बिरादराना तंजीम बावनी के सद्र हाजी मुख्तार महतो और बाइसी के सद्र सरदार एकरामुद्दीन साहब ने बताया कि अगहनी जुमे की नमाज की ये परंपरा लगभग 450 साल पुरानी है। जब देश में सूखा पड़ा था। जिसकी वजह से किसान परेशान थे, बारिश न होने से किसान खेती नही कर पा रहे थे।
बुनकरों के बुने कपडे़ बिक नहीं रहे थे, हर तरफ भुखमरी का आलम था। तब बुनकरों ने कारोबार को बंद करके अगहन के महीने में जुमे के दिन ईदगाह में इकठ्ठा होकर नमाज अदा कर अल्लाह ताला के बारगाह में दुआएं मांगी गई। इसके बाद अल्लाह के रहमो करम से बारिश हुई और देश में खुशहाली आई।
बुनकरों के कारोबार भी चलने लगे तब से इस परंपरा को बनारस में मनाई जाने लगी। शुक्रवार को बनारस के सभी बुनकर अपना काम बंद कर इस परंपरा को निभाने के लिए चौकाघाट एकत्र होंगे। इसके लिए क्षेत्र के पार्षद रमजान अली ने बुनकरों से अपील भी की है।
विस्तार
बुनकर बिरादराना की ओर से पढ़ी जाने वाली अगहनी जुमे की नमाज आज शुक्रवार को चौकाघाट मछली मंडी के स्थित ईदगाह में पढ़ी जाएगी। बुनकर बिरादराना तंजीम बावनी के सद्र हाजी मुख्तार महतो और बाइसी के सद्र सरदार एकरामुद्दीन साहब ने बताया कि अगहनी जुमे की नमाज की ये परंपरा लगभग 450 साल पुरानी है। जब देश में सूखा पड़ा था। जिसकी वजह से किसान परेशान थे, बारिश न होने से किसान खेती नही कर पा रहे थे।
बुनकरों के बुने कपडे़ बिक नहीं रहे थे, हर तरफ भुखमरी का आलम था। तब बुनकरों ने कारोबार को बंद करके अगहन के महीने में जुमे के दिन ईदगाह में इकठ्ठा होकर नमाज अदा कर अल्लाह ताला के बारगाह में दुआएं मांगी गई। इसके बाद अल्लाह के रहमो करम से बारिश हुई और देश में खुशहाली आई।
बुनकरों के कारोबार भी चलने लगे तब से इस परंपरा को बनारस में मनाई जाने लगी। शुक्रवार को बनारस के सभी बुनकर अपना काम बंद कर इस परंपरा को निभाने के लिए चौकाघाट एकत्र होंगे। इसके लिए क्षेत्र के पार्षद रमजान अली ने बुनकरों से अपील भी की है।