सूरत में इस्कॉन मंदिर द्वारा आयोजित 38वीं भव्य जगन्नाथ रथयात्रा संपन्न हुई, भगवान जगन्नाथ जब रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले, तब हजारों श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए रेलवे स्टेशन क्षेत्र में एकत्रित हुए थे। महापौर द्वारा पूजा विधि के बाद भगवान के भव्य रथ को रवाना किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम के दर्शन किए और रथ को रस्सियों से खींचते हुए आगे बढ़ाया। स्टेशन क्षेत्र से इस्कॉन मंदिर तक लगभग 13 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में लाखों लोग सड़क के दोनों ओर भगवान के दर्शन के लिए मौजूद रहे। कड़े पुलिस बंदोबस्त के बीच, “जय श्री जगन्नाथ” के उद्घोष के साथ यात्रा शांतिपूर्वक पूर्ण हुई।



शहर में सात विभिन्न स्थानों से भव्य रथयात्रा का शुभारंभ हुआ। इस यात्रा की शुरुआत से पहले भगवान जगन्नाथ को पारंपरिक रथ पर विराजमान कराने से पहले, उन्हें मर्सिडीज और ऑडी जैसी सात लग्जरी कारों के काफिले में ले जाया गया, जिससे एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। यह भव्य काफिला इस्कॉन मंदिर से रथयात्रा स्थल तक रवाना हुआ।रथयात्रा मार्ग पर जगह-जगह श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। हजारों की संख्या में भक्तगण इस अनोखे दृश्य को देखने इस्कॉन मंदिर में उमड़ पड़े थे। जब यह काफिला रेलवे स्टेशन पहुंचा, तब भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम को पारंपरिक रथ पर विराजमान कर नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया। यह दृश्य देखने के लिए लोग अत्यंत उत्साहित थे।
यह भव्य रथयात्रा भक्तिमय वातावरण के बीच निकली। इस्कॉन मंदिर जहांगीरपुरा से लग्जरी कारों का काफिला रवाना हुआ था, जो रेलवे स्टेशन पहुंचा और वहां से मुख्य रथयात्रा की शुरुआत हुई। दोपहर ढाई बजे आरती के साथ यात्रा आरंभ हुई, जिसमें लगभग 12 किलोमीटर की दूरी तय की गई और लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।इस अनूठी पहल ने भगवान जगन्नाथ की पारंपरिक रथयात्रा में आधुनिकता का स्पर्श जोड़ा, जिससे भक्तों में भारी उत्साह देखने को मिला। प्रशासन और विभिन्न संस्थाओं ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की थीं।
वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार, रथयात्रा लाल दरवाजा क्षेत्र से भी निकली। जहांगीरपुरा इस्कॉन मंदिर से यात्रा दोपहर 3 बजे शुरू हुई और रिंग रोड, अठवालाइंस, रांदेर रोड, मोराबागल होकर पुनः मंदिर पहुंची। वहीं, महिधरपुरा स्थित घोड़िया बावाजी मंदिर से निकली पारंपरिक रथयात्रा लाल दरवाजा क्षेत्र में घूमी और वापस लौटी। पांडेसरा और सचिन क्षेत्रों में पुरी की परंपरा अनुसार रथयात्रा का आयोजन किया गया। वराछा इस्कॉन मंदिर द्वारा रथयात्रा दोपहर दो बजे मिनी बाजार वराछा से शुरू होकर हीराबाग, कापोद्रा, मोटा वराछा, सरथाणा होकर वापस लौटी।रथ पर भगवान को स्नान करवाकर विधिपूर्वक स्थापित किया गया था। भगवान की सुंदर प्रतिमा को देखकर हर कोई आनंदित हो गया। इस्कॉन मंदिर के संत-महंतों और हजारों भक्तों ने भजन-कीर्तन के साथ इस भव्य यात्रा का आयोजन किया।