सूरत में एक कुख्यात गैंग का पर्दाफाश हुआ है जो हनीट्रैप के जरिए लोगों को फँसाकर नकली पुलिस रेड की साजिश रचता था। इस गैंग में महिलाएं पहले शिकार को फँसाती थीं और जैसे ही वो उनके झाँसे में आ जाता, वे कोडवर्ड “पेपर पहुँच गया है” बोलती थीं। इसके तुरंत बाद गैंग के पुरुष सदस्य खुद को पुलिस या पत्रकार बताकर फ्लैट में घुस जाते थे और तोड़फोड़ करते हुए शिकार को डराने लगते थे।इस गैंग ने एक रत्नकलाकार को भी अपना निशाना बनाया था। आरोपी महिलाओं ने उसे पहले हनीट्रैप में फँसाया और फिर नकली रेड के जरिए उससे पैसे वसूलने की योजना बनाई। पुलिस ने इस गैंग को पकड़ लिया है और पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में हनीट्रैप, ब्लैकमेलिंग और नकली पुलिस बनकर लूट की साजिश का संगठित रूप सामने आया है, जिसे ‘मશરૂ गैंग’ के नाम से जाना जाता है। सूरत शहर में निर्दोष लोगों को हनीट्रैप में फँसाकर लाखों रुपये ऐंठने वाले एक संगठित गिरोह, जिसे “मशरू गैंग” के नाम से जाना जाता है, को सूरत शहर की SOG पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गैंग महिलाओं का इस्तेमाल कर लोगों को जाल में फँसाता था और फिर खुद को पुलिस बताकर रेड डालता था। बलात्कार के केस में फँसाने की धमकी देकर यह गैंग लोगों से भारी फिरौती की माँग करता था। हाल ही में एक हीरा कारखाने में काम करने वाले युवक को भी इसी कुख्यात मशरू गैंग ने हनीट्रैप में फँसाया था।

महिलाओं और कोडवर्ड का नेटवर्क
इस गैंग की कार्यप्रणाली (modus operandi) बेहद सुनियोजित और संगठित थी। अमित मशरू और उसका भाई सुमित मशरू इस गिरोह का संचालन करते थे। वे अलग-अलग महिलाओं को अपनी गैंग में शामिल करते थे। ये महिलाएं पहले से संपर्क में आए पुरुषों से दोस्ती करती थीं और उन्हें अपने प्रति आकर्षित करती थीं। व्हाट्सऐप मैसेज और वीडियो कॉल के जरिए यह महिलाएं पुरुषों को एकांत में, पहले से तय किए गए घर या फ्लैट में बुलाती थीं।
गिरोह के पुरुष सदस्य पुलिस बनकर डालते थे नकली रेड
जब पीड़ित पुरुष अकेला होता था, तब पहले से तय प्लान के अनुसार गैंग के पुरुष सदस्य बाहर से आते और खुद को नकली पुलिस या पत्रकार बताकर फ्लैट में घुसते थे। फिर वे पीड़ित को हनीट्रैप में फँसाने की धमकी देते, बलात्कार या समाज में बदनामी के डर का हवाला देकर उसे डराते, और इस डर के सहारे बड़ी रकम वसूलते थे।
“पेपर पहुँच गया है” था कोडवर्ड
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि जब महिला द्वारा हनीट्रैप सफलतापूर्वक सेट हो जाता था, तब गैंग के पुरुष सदस्य कोडवर्ड भाषा में “पेपर पहुँच गया है” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे। यह कोडवर्ड उनके अपराधों को गुप्त रखने और तेजी से क्रियान्वयन में मदद करता था।पीड़ित व्यक्ति बदनामी के डर से आमतौर पर पुलिस में शिकायत नहीं करता था, जिससे इस गैंग को बार-बार नए शिकार मिलते रहते थे। फिलहाल, पुलिस ने गैंग के प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ जारी है। संभावना जताई जा रही है कि इस गैंग के अन्य पीड़ित भी सामने आ सकते हैं।
हीरा कारखाने में काम करने वाला युवक हनीट्रैप का शिकार बना था
हाल ही में सूरत के कतारगाम क्षेत्र में एक हीरा कारखाने में काम करने वाले 44 वर्षीय युवक को हनीट्रैप में फँसाया गया था। अस्मिता बाबू भरड़वा नाम की युवती, जो उसी कंपनी में काम करती थी, उसने युवक को फोन पर मीठी बातें कर अपने जाल में फँसाया। 16 जुलाई 2025 को अस्मिता ने युवक को कतारगाम के लिम्बाइया फलिया के पास बुलाया और स्वस्तिक फ्लैट अपार्टमेंट के एक फ्लैट में ले गई, जहाँ दो अन्य महिलाएँ पहले से मौजूद थीं।
20 लाख की फिरौती माँगी
फ्लैट के एक कमरे में जब अस्मिता और युवक अकेले थे, तभी तीन लोग वहाँ घुस आए और खुद को पुलिस बताने लगे। उन्होंने फर्जी आईडी कार्ड भी दिखाए और अपने नाम सुमित मशरू, अल्पेश पटेल और राजू बताए। इन नकली पुलिसवालों ने युवक और अस्मिता दोनों को हथकड़ी पहना दी और धमकी दी कि वे उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाएँगे और मीडिया को भी बुलाएँगे। उन्होंने दोनों के फोटो खींचे और फिर सुमित ने बलात्कार का केस दर्ज न कराने के बदले 20 लाख रुपये की फिरौती माँगी। युवक ने 1.5 लाख रुपये की व्यवस्था कर पाने की बात कही, तो सुमित ने 5 लाख की व्यवस्था करने का कहा।
दोस्त और भाई पैसा लेकर नहीं पहुँचे तो मारपीट कर भागे
युवक ने अपने एक दोस्त को फोन कर पैसों का इंतजाम करने को कहा और उसे आधे घंटे बाद किरण अस्पताल के गेट के पास बुलाया। लेकिन जब उसका दोस्त और भाई पैसा लेकर समय पर नहीं पहुँचे, तो सुमित गुस्से में आ गया और युवक के साथ मारपीट कर वहाँ से फरार हो गया। इस घटना के बाद युवक ने कतारगाम पुलिस में अस्मिता, सुमित मशरू, अमित मशरू, अल्पेश पटेल, राजू और दो अन्य महिलाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत के आधार पर देर रात SOG पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपी और जब्त सामग्री
पुलिस ने अमित उर्फ भरत मनसुखभाई मशरू (उम्र 33), सुमित मनसुख मशरू (उम्र 36) और अस्मिता उर्फ पूजा (पिता बालुभाई भरड़वा की बेटी और सचिन हर्षद ठक्कर की पत्नी) को गिरफ्तार किया। इनके पास से मोबाइल फोन, नकली पुलिस की हथकड़ी और फर्जी पुलिस आई-कार्ड बरामद हुए हैं, जिनकी जांच में सामने आया कि ये सभी नकली थे।
आरोपियों का लंबा आपराधिक इतिहास
अमित उर्फ भरत मनसुखभाई मशरू का आपराधिक इतिहास लंबा है। उसके खिलाफ उमरा, पूणा और कतारगाम थानों में विभिन्न केस दर्ज हैं। हाल ही में कतारगाम थाने में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 308(6), 204, 61(2)(ए), 115(2), 3(5) के तहत केस दर्ज किया गया था। सुमित मनसुख मशरू (ठक्कर) भी आपराधिक रिकॉर्ड रखता है, और उसके खिलाफ उमरा व कतारगाम पुलिस थानों में केस दर्ज हैं। इन सभी आरोपियों ने मिलकर एक संगठित गिरोह बना रखा था, जो निर्दोष लोगों को हनीट्रैप में फँसाकर खुद को पुलिस बताकर, गंभीर केसों में फँसाने की धमकी देकर मोटी रकम वसूलता था।
हनीट्रैप कांड का बड़ा खुलासा
फर्जी पुलिस आई-कार्ड मिलने और इनके आपराधिक नेटवर्क का खुलासा होने के बाद पुलिस ने इस केस में संगठित अपराध (Organized Crime) और फर्जी दस्तावेजों की गंभीर धाराएँ जोड़ने की कार्रवाई शुरू की है, जिनमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।इस गिरफ्तारी से सूरत शहर में सक्रिय हनीट्रैप गिरोह का बड़ा भंडाफोड़ हुआ है।