सूरत में तक्षशिला और अहमदाबाद के श्रेय अस्पताल अग्निकांड जैसी घटनाओं के बाद सरकार और प्रशासन फायर सेफ्टी को लेकर गंभीर नहीं है| इस मुद्दे पर गुजरात हाईकोर्ट ने फिर एक बार सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को एनओसी विहीन स्कूल और अस्पतालों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही के आदेश दिए हैं| यह पहली बार नहीं है जब हाईकोर्ट ने फायर सेफ्टी के मुद्दे पर सरकार को फटकार लगाई है| इससे पहले भी गुजरात हाईकोर्ट फायर सेफ्टी के मुद्दे पर राज्य सरकार को फटकार लगा चुकी है| तब सरकार ने हलफनामा दाखिल कर फायर सेफ्टी एनओसी विहीन इकाइयों के खिलाफ कार्यवाही करने का हाईकोर्ट को आश्वासन दिया था| लेकिन इस दिशा में उचित कार्यवाही नहीं होने पर हाईकोर्ट ने फिर एक बार सख्ती दिखाते हुए सरकार को फायर एनओसी विहीन स्कूलों और अस्पतालों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही के आदेश दिए हैं| हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य में एनओसी के बगैर स्कूल फिजिकल फंक्शन के लिए ऑपरेट नहीं की जा सकेंगे| सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से गांधीनगर, वडोदरा और राजकोट इत्यादि शहर में फायर सेफ्टी विहीन इकाइयों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की दलील की जा रही है| परंतु यह कार्यवाही केवल कागजों पर ही दिखाई दे रही है| हाईकोर्ट ने सवाल किया कि फायर सेफ्टी विहीन स्कूल और अस्पतालों में कब कार्यवाही की जाएगी? अगर स्कूल में आग लग जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन अस्पतालों के फायर एनओसी नहीं है, वहां केवल ओपीडी जारी रखी जाए, जबकि ऑपरेशन समेत इंडोर पेशन्ट सेवा तुरंत बंद कराई जाए| हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद अब फायर एनओसी विहीन स्कूल और अस्पतालों की मुश्किलें बढ़ना तय है| मौजूदा स्थिति के मुताबिक 71 अस्पताल और 229 स्कूलों के पास फायर सेफ्टी की वेलिड एनओसी नहीं है और हाईकोर्ट के आदेश के बाद इनके खिलाफ कार्यवाही होना तय है|
सूरत के उधना ज़ोन (A+B) में तो बड़े पैमाने पर अवैध रूप से और मंजूरी लेने के बाद भी किसी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध नही होती,सुरत मनपा के कमिश्नर के पास समय के आभाव होने से ज्यदातर कार्यपालक उधना ज़ोन ऐ खुद ही अपने आप में कमिश्नर की तरह कार्यकरते हुये नजर आ रहे हैं किस तरह की मंजूरी देते हैं की अपने आप में खुद ही एक कोर्ट की तरह कार्य करते नजर आ रहे हैं,
अगर सिर्फ किसी एक क्षेत्र में ही जाँच किया जाये तो गुजरात हाईकोर्ट के किसी भी आदेशानुसार का पालन किसी भी विभाग में नही किया जा रहा हैं, सूत्रों के अनुसार सुरत मनपा के कार्यपालक यह भी कहते नजर आये कि नगरसेवक,विधायक नेता के लिए सिर्फ काम करते हैं जो चुन कर भेजा है जो किसी प्रकार की शिकायत हो तो कोर्ट में जा सकते हूँ.
सुरत के महानगर पालिका के क्षेत्रों में लगभग 600 BUC की बिना चल रहे है, और लगभग 2000 से ज्यादातर लोगों ने अपने बिल्डर्स बेच कर चले गई हैं जिसमें अभी तक किसी प्रकार को कोई कार्यवाही नही किया गया ज्यादातर सुरत महानगर पालिका में सामेल नई क्षेत्रों का समावेश होता है