जयपुर, जयपुर में मेन एंड मिसकैरिज 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है। कि महिलाओं के बार-बार गर्भपात के लिए पुरुष जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट में बताया गया है,कि गर्भपात से जुड़े लगभग 50 फ़ीसदी मामलों में पुरुषों के शुक्राणुओं के डीएनए बार-बार बदल रहे हैं। जिनके कारण गर्भपात बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों की भाषा में इसे स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन कहते हैं।
30 से कम आयु वाले 36 फ़ीसदी, 39 वर्ष तक की आयु में लगभग 40 फ़ीसदी, 40 से 49 आयू वर्ग में 42 फ़ीसदी तथा 50 वर्ष से अधिक आयु में 47।70 फ़ीसदी लोगों के डीएनए में बदलाव देखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हर 6 गर्भपात में से एक गर्भपात कमजोर शुक्राणुओं के कारण हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार ऑफिस में काम का दबाव, आर्थिक समस्याएं और अनियमित दिनचर्या तथा चिंता के कारण पुरुषों में नपुंसकता बढ़ रही है।
2 साल पहले इंपीरियल कॉलेज लंदन में एक शोध हुआ था। उसमें भी इसी तरह के संकेत प्राप्त हुए थे। क्लीनिकल केमिस्ट्री रिपोर्ट के अनुसार शोध में 50 महिलाओं के पुरुष साथियों को शामिल किया गया था। उन पुरुषों के स्पर्म डीएनए काफी कमजोर पाए गए थे। उनके वीर्य में मॉलिक्यूल भी मिले, जो डीएनए को लगातार क्षतिग्रस्त कर रहे थे।
स्टडी की मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर चेना जयसेना के अनुसार नपुंसकता से बचने के लिए स्ट्रेस कम करना होगा। जीवन शैली को सुधार कर आराम और व्यायाम की ओर ध्यान देना पड़ेगा।महिला पुरुषों को धूम्रपान से दूर रहने और पर्याप्त पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी गई है।इससे नपुंसकता को दूर करने में मदद मिलती है। विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान से गर्भपात की आशंका 50 फ़ीसदी तक बढ़ जाती है।