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29 साल पुराने कस्टोडियल डेथ केस में पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को उम्रकैद

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जामनगर (ईएमएस)| जामनगर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने जामजोधपुर के 29 साल पुराने कस्टोडियल डेथ केस में निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट और पुलिस कांस्टेबल प्रवीणसिंह झाला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है| 1990 की साल में जामजोधपुर में पुलिस हिरासत में एक शख्स की मौत हो गई| परिवार ने लगाया था कि पुलिस कस्टडी में बुरी मारपीट की वजह से मौत हुई| इस मामले के अन्य आरोपियों को अलग अलग सजा सुनाई गई है|

जामनगर की एडिशनल कोर्ट के न्यायधीश डीएम व्यास ने 29 वर्ष पुराने कस्टोडियल डेथ केस पर फैसला सुनाया| बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजव भट्ट समेत 7 पुलिसकर्मी इस मामले में आरोपी बनाया गया था| कोर्ट ने संजीव भट्ट और कांस्टेबल प्रवीणसिंह झाला को हत्या के लिए दोषी करार दिया है| संजीव भट्ट और प्रवीण झाला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है| जबकि तत्कालीन पीएसआई शैलेष पंड्या और दीपक शाह को दो वर्ष की सजा हुए दोनों को जमानत दे दी है| इसके अलावा तीन पुलिस कांस्टेबल प्रवीणसिंह जाडेजा, अनोपसिंह जेठवा और केशूभा जाडेजा को भी दो-दो वर्ष की सजा का आदेश दिया है| दोषियों को दफा 302, 303, 506, 34 और 114 के तहत सजा सुनाई गई है| इस मामले में 32 गवाहों की जांच की गई और 1000 दस्तावेजी प्रमाण अदालत में पेश किए गए| पुलिस ने 5000 पन्नों की चार्ज सीट अदालत में पेश की थी|
दरअसल 1990 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा पूरे भारत मे निकली थी| उसी दौरान दंगे भड़कने के आसार को देखकर जामनगर जिले में कर्फ्यू लगाया गया था| संजीव भट्ट उस समय जामनगर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तौर कार्यरत थे| भट्ट ने 30 अक्टूबर 1990 को जामखंभालिया से 133 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें प्रभुदास माधवजी वैष्नानी भी थे| प्रभुदास को कस्टडी में ही संजीव भट्ट समेत 7 लोगों ने टॉर्चर किया, बाद में अस्पताल में प्रभुदास की मौत हो गई| मृतक प्रभुदास वैष्नानी के भाई अमृत वैष्नानी की शिकायत के आधार पर उस समय संजीव भट्ट समेत 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था| लेकिन केस आगे नहीं बढ़ रहा था| बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह केस जामनगर डिस्ट्रिक एंड सेशन कोर्ट तक आया और आज संजीव भट्ट और उनके साथी कॉन्स्टेबल प्रवीण सिंह झाला को आजीवन कारावास की सजा हुई|

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