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कोविड-19 के दौर में प्रकाशस्तंभ की तरह है बुद्ध का संदेश -भारत को ‘धम्म’ की उत्पत्ति की भूमि होने पर गर्व:राष्ट्रपति कोविंद

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नई दिल्ली(एजेंसी)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, आज जब कोरोना महामारी ने दुनियाभर में इंसानों और अर्थव्यवस्थाओं को उजाड़ दिया है तो बुद्ध का संदेश एक प्रकाशस्तंभ की तरह है। उन्होंने खुशी पाने के लिए लोगों को लालच, नफरत, हिंसा, ईर्ष्या तथा कई अन्य दोष खत्म करने की सलाह दी। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम में कहा, दुनिया परेशानियों से घिरी दिखाई देती है। उन्होंने कहा, राजाओं और धनी लोगों के तनावग्रस्त होने की कई कहानियां हैं, जिन्होंने जीवन की क्रूरताओं से बचने के लिए बुद्ध की शरण ली। राष्ट्रपति ने कहा कि बुद्ध का जीवन पहले की धारणाओं को चुनौती देता है क्योंकि वह इस दोषपूर्ण दुनिया के बीच पीड़ा से मुक्ति पाने में विश्वास करते थे।
उन्होंने कहा कि भारत को ‘‘धम्म’’ की उत्पत्ति की भूमि होने पर गर्व है। राष्ट्रपति ने ‘धम्म चक्र’ दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, भारत में हम बौद्ध धर्म को परम सत्य की नवीन अभिव्यक्ति के रूप में देखते हैं। कोविंद ने कहा कि भगवान बुद्ध का ज्ञान और उनके उपदेश बौद्धिक उदारतावाद और आध्यात्मिक विविधता के सम्मान की भारत की परंपरा की तर्ज पर हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में दो असाधारण भारतीयों महात्मा गांधी और बाबासाहेब आंबेडकर ने बुद्ध के शब्दों में प्रेरणा को पाया और देश के भाग्य को बदलने निकल पड़े। राष्ट्रपति ने कहा, इस साल दुनिया को काफी कुछ भुगतना पड़ा है और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह पवित्र दिन आशा की एक नयी किरण लाएगा तथा खुशी की झलक देगा। इसके साथ ही मैं कामना करता हूं यह दिन हर किसी के दिल में ज्ञान का दीपक जलाए।

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