आगरा में वायु प्रदूषण
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दिवाली से पहले आगरा की हवा खराब हो गई। बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने शाम को हवा की गुणवत्ता बताने वाले एयर क्वालिटी इंडेक्स को जारी किया, जिसमें आगरा का एक्यूआई 229 दर्ज किया गया। यह खराब श्रेणी में हैं जो अस्थमा और फेंफड़ों के रोगियों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। बोर्ड की रिपोर्ट में आगरा में बेहद सूक्ष्म धूल कण पीएम 2.5 की मात्रा बुधवार को सामान्य से 6 गुना से ज्यादा निकली। देश में आगरा 15वां और उत्तर प्रदेश में 7वां सबसे प्रदूषित शहर रहा। बीते साल 27 अक्तूबर को एक्यूआई 294 पर था, जो बाद में तेजी से बढ़ा था। पर्यावरण विशेषज्ञ दिवाली से पहले प्रदूषण में और इजाफा होने की आशंका जता रहे हैं।
शहर में इन इलाकों में ऐसी रही हवा
जगह एक्यूआई
संजय प्लेस 207
मनोहरपुर 219
शाहजहां पार्क 232
शास्त्रीपुरम 239
सेक्टर-3 आवास विकास 256
आगरा की सड़कों पर उड़ती धूल
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सांसों में ऐसे घुला हुआ है जहर
प्रदूषण तत्व न्यूनतम सामान्य अधिकतम
पीएम 2.5 कण 114 256 374
पीएम 10 कण 125 194 323
कार्बन मोनोऑक्साइड 22 29 53
नाइट्रोजन डाईऑक्साइड 17 33 54
प्रदूषण में ताज का हाल
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सांसों में जहर की ये है वजह
आईआईटी कानपुर के प्रो. मुकेश शर्मा ने ताजनगरी में प्रदूषण के कारणों पर स्टडी की थी, जिसकी फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी को सौंपी गई है। इस स्टडी में सड़कों पर धूल से 63 फीसदी, वाहनों से 11 फीसदी, उद्योगों से 11 फीसदी, कचरा जलाने से 3 फीसदी और होटलों से 5 फीसदी प्रदूषण माना है। सर्दियों और गर्मियों में प्रदूषण के कारणों की अलग-अलग वजहें बताई गई हैं। इन दिनों प्रदूषण के लिए सड़कों की खोदाई, निर्माण के दौरान पर्दे न लगाने, छिड़काव न होने, ट्रैफिक जाम और कचरा जलाने को जिम्मेदार माना गया है।
आगरा में छाई धुंध का फाइल फोटो
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200 से 300 के बीच एक्यूआई तो ये उपाय करने होंगे
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण स्तर बढ़ने पर एक्यूआई के लिए कैटेगरी तय की है, जिसके आधार पर एक्शन प्लान तैयार किया गया है। 200 से 300 के बीच प्रदूषण स्तर रहने पर प्रशासनिक मशीनरी के लिए गाइड लाइन तय की गई है। हर विभाग को जिम्मेदारी दी गई है ताकि प्रदूषण पर प्रभावी अंकुश लगे। इनमें आरटीओ, रोडवेज, नगर निगम, प्राधिकरण, नेशनल हाईवे, जलकल विभाग आदि की जवाबदेही तय की गई है।
– सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाए
– डीजल जनरेटरों का उपयोग बंद किया जाए
– पार्किंग फीस में तीन से चार गुना की बढ़ोतरी की जाए
– सिटी बस सेवा में फ्रीक्वेंसी बढ़ाई जाए
– धूल वाली सड़कों पर मशीन से धूल हटाई जाए
– कोयला और लकड़ी जलाने पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए
आगरा किले के सामने कचरे से निकलता धुआं
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हर रोज भेजनी होती है रिपोर्ट
वायु प्रदूषण बढ़ने पर एक्यूआई पर आधारित गाइडलाइन तय की गई है, जिसके आधार पर विभागों को अपने स्तर पर कार्रवाई करनी है। ऑनलाइन इसकी फीडिंग कर रिपोर्ट भी हर दिन भेजनी है। पर्यावरण अभियंता को इसका नोडल अधिकारी बनाया गया है। – विश्वनाथ शर्मा, प्रभारी क्षेत्रीय अधिकारी, उ.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
सड़कों पर पानी का छिड़काव हो
दिवाली से पहले जिस तरह से दो दिन में प्रदूषण बढ़ा है, उसे देखते हुए जरूरी है कि सड़कों पर पानी का छिड़काव, धूल हटाने के लिए मैकेनिकल स्वीपिंग शुरू की जाए। ट्रैफिक जाम रोकने के उपाय हों। वाहनों और खोदाई के कारण धूल ज्यादा है, जो परेशानी बढ़ा रही है। – उमेश शर्मा, सदस्य, टीटीजेड अथॉरिटी
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