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सूरत म्युनिसिपल कमिश्नर और अधिकारियों को हाईकोर्ट की नोटिस, बिना नोटिस के ही डिमोलिशन?

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सूरत के उधना ज़ोन-ए के वडोद इलाके में वर्षों से रह रहे परिवार को घर से बाहर निकालकर, सामान फेंककर घर का डिमोलिशन कर दिया गया। इस कार्रवाई में एक सात साल का बच्चा, जो बोल और सुन नहीं सकता और न ही खुद से खा सकता है, परिवार के साथ सड़कों पर भटकने को मजबूर हो गया। सूरत नगर निगम के अधिकारियों द्वारा बिना किसी नोटिस के घर तोड़ दिए जाने की शिकायत साधनाबेन बड़गुजर ने हाईकोर्ट में की। इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद, न्यायमूर्ति मौना भट्ट ने सूरत म्युनिसिपल कमिश्नर और निगम के अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही, अगली सुनवाई के लिए 19 नवंबर की तारीख तय की है।

घटनाक्रम

सूरत के वडोद क्षेत्र स्थित सत्यनारायणनगर में एक महिला का लाखों रुपये का मकान, जिसमें 96% अपंगता वाला एक बच्चा और उसके परिवारजन रहते थे, बिना किसी कानूनी नोटिस या अग्रिम सूचना के सूरत म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अधिकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया। महिला ने इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले की सुनवाई में जस्टिस मोना भट्ट ने सूरत म्युनिसिपल कमिश्नर, उधना दक्षिण जोन के कार्यपालक इंजीनियर एस.डी.प्रजापति, नायब इंजीनियर पी.बी.भैया, सहायक इंजीनियर चंद्रेश पटेल, फेनील मेहता और मयूर पटेल के खिलाफ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। सत्यनारायण नगर सोसाइटी के प्लॉट नंबर 16 और 17 पर पक्के घर बनाकर रहने वाली साधनाबेन ईश्वरभाई बडगुजेरे ने अपने वकील निमिष एम. कापडिया के माध्यम से हाईकोर्ट में विशेष सिविल एप्लीकेशन दाखिल किया। उन्होंने हाईकोर्ट में यह याचिका पेश की कि वह वडोदरा के सत्यनारायण सोसाइटी में अपने पति और एक दिव्यांग बच्चे सहित दो बच्चों के साथ रहती थीं। वर्ष 2021 में उन्होंने दोनों प्लॉट खरीदे थे और उनका नाम एस.एम.सी. के टैक्स बिल में दर्ज कराया था। उन्होंने पानी कनेक्शन की फ्री भुगतान की और बिजली कनेक्शन भी लिया था। एक साल पहले, लगभग 634 स्क्वायर फीट के क्षेत्र में 9.5 लाख रुपये खर्च करके घर की नवीनीकरण भी करवाई थी, जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 30 लाख रुपये है।

बिना किसी नोटिस के, अक्टूबर 2023 में उधना जोन के अधिकारी ने परिवार को घर से बाहर निकाल दिया और उनका सामान फेंकते हुए घर का डिमोलिशन कर दिया। इस कारण, महिला ने पुलिस शिकायत और विभिन्न सक्षम अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उन्होंने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की। उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि उनका घर फिर से बनवाया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, उन्होंने सभी जिम्मेदार अधिकारियों से 45 लाख रुपये का मुआवजा भी मांगा है।

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