साइबर ठगों ने खुद को एजेंसी अधिकारी बताकर सूरत के एक बुजुर्ग को वीडियो कॉल के जरिए धमकाया और उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” में लेने की बात कहकर डराया। इसके बाद 16 लाख रुपये की ठगी की गई। इस मामले में भावनगर के एक बास्केटबॉल खिलाड़ी समेत तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
आरोपियों ने बुजुर्ग को धमकाया कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स केस में आ गया है, और अगर उन्होंने पैसा नहीं दिया तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। डर के मारे बुजुर्ग ने आरोपियों के बताए अकाउंट में 16 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।पुलिस जांच में सामने आया कि यह एक संगठित साइबर क्राइम रैकेट था, जिसमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर आम लोगों को फंसाया जाता था। टेक्नोलॉजी के युग में लोग विभिन्न डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हैं। ऐसे में साइबर क्राइम से जुड़ी घटनाओं में भी लगातार वृद्धि हो रही है। इस साइबर क्राइम के तहत अपराधी विभिन्न आपराधिक गतिविधियों जैसे कि डिजिटल फ्रॉड और ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिए आम नागरिकों से लाखों रुपये ठग लेते हैं। ऐसा ही एक मामला सूरत से सामने आया है, जिसमें एक वृद्ध को दिल्ली पुलिस का फर्जी अधिकारी बनकर वीडियो कॉल की गई। मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया गया। डर के मारे वृद्ध से 16 लाख रुपये से अधिक की ऑनलाइन ट्रांसफर करवा ली गई। इस मामले में पुलिस ने अब भावनगर के एक अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
जानिए क्या है मामला
मिली जानकारी के अनुसार, सूरत में रहने वाले एक वृद्ध को वीडियो कॉल करके खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताकर डराया गया। उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ 2.50 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है। इसके बाद उन्हें दो दिन तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा गया। इस दौरान उनकी बैंक में जमा फिक्स्ड डिपॉजिट (एफ.डी.) तुड़वाकर 16 लाख 65 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करवा लिए गए। पूरी घटना के बारे में वृद्ध ने अपनी बेटी को बताया, जिसके बाद उन्होंने साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करवाई।पुलिस ने बैंक डिटेल के आधार पर जांच की तो भावनगर निवासी 22 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी परमवीर सिंह, 38 वर्षीय राजू परमार और कृष्णा कुमार को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के बैंक अकाउंट की जांच करने पर सामने आया कि उनके खिलाफ देश के 18 राज्यों में साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज हैं।
आरोपियों की कार्यप्रणाली (Modus Operandi)
आरोपी खुद को साइबर क्राइम अधिकारी, CBI अधिकारी, कस्टम अधिकारी या पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को वीडियो या ऑडियो कॉल करते थे। कॉल के दौरान वे यह कहते कि आपने कोई पार्सल विदेश भेजा है या विदेश से आया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई प्रतिबंधित वस्तु पाई गई है।ऐसे मामलों में वे पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर उपस्थित रहने के लिए मजबूर करते और उसे उसके ही घर में “डिजिटल अरेस्ट” कर देते थे। इसके बाद वे मामले को सुलझाने और केस बंद करवाने के नाम पर पैसे की मांग करते थे। ऐसे मामलों में पीड़ित लोग डर के कारण मामले को जल्दी खत्म करने का प्रयास करते हैं और आरोपियों को पैसे दे देते हैं।
