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मेक इन इंडिया: अब लखनऊ में बनेंगे विमान और पनडुब्बियों से लेकर स्पेस लॉंच व्हीकल के पुर्जे, राजनाथ ने किया संयंत्र का उद्घाटन

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अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ
Published by: अनुराग सक्सेना
Updated Sun, 14 Nov 2021 02:05 AM IST

सार

पीटीसी की सहायक कंपनी एरोलॉय टेक्नोलॉजी अब विमान के इंजन, हेलीकॉप्टर इंजन, हवाई जहाजों के लिए संरचनात्मक भागों, ड्रोन और यूएवी, पनडुब्बियों, अल्ट्रा-लाइट, आर्टिलरी गन, स्पेस लॉन्च व्हीकल और स्ट्रैटेजी सिस्टम के लिए यहां पुर्जों का निर्माण करेगी। इन्हें अब तक देश में आयात किया जा रहा था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
– फोटो : एएनआई

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पीटीसी इंडस्ट्रीज ने यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, लखनऊ में पहले परिचालन संयंत्र के उद्घाटन के साथ रक्षा और एयरोस्पेस संबंधी विनिर्माण में एक बड़ी छलांग लगाई है। पीटीसी की सहायक कंपनी एरोलॉय टेक्नोलॉजी अब विमान के इंजन, हेलीकॉप्टर इंजन, हवाई जहाजों के लिए संरचनात्मक भागों, ड्रोन और यूएवी, पनडुब्बियों, अल्ट्रा-लाइट, आर्टिलरी गन, स्पेस लॉन्च व्हीकल और स्ट्रैटेजी सिस्टम के लिए यहां पुर्जों का निर्माण करेगी। इन्हें अब तक देश में आयात किया जा रहा था।

इस नए संयंत्र का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 13 नवंबर किया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने शत-प्रतिशत स्वदेशीकरण के लिए रक्षा मंत्रालय से पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया। रक्षा मंत्री ने एयरोस्पेस संबंधी प्रयोगों के लिए टाइटेनियम और अन्य विदेशी मिश्र धातुओं में प्रमुख कच्चे माल के उत्पादन के लिए एक एकीकृत धातु निर्माण सुविधा की आधारशिला भी रखी।

यह संयंत्र उन सभी प्लेटफार्मों के लिए आयात पर देश की निर्भरता को काफी कम कर देगा, जिनके लिए टाइटेनियम और निकेल मिश्रित धातु की आवश्यकता होती है। पीटीसी भारत में मुख्य विनिर्माण प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे को लाया है। इस नई सुविधा में 50 करोड़ से अधिक का निवेश किया गया है। पीटीसी स्वदेशी रूप से भारत में पुर्जों के निर्माण के लिए एक अत्याधुनिक क्षमता का प्लांट स्थापित करने के लिए 250 करोड़ रुपये का पहले ही निवेश कर चुका है।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने रक्षा प्लेटफार्मों में भारत को आत्मानिभर बनने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश के भीतर अपनी जरूरतों के लिए निर्माण करने, दुनिया को निर्यात करने और इस क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार सृजन और बेहतर आजीविका को सक्षम करने के लिए क्षमताओं का निर्माण करना है।

प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक मजबूत रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना कर रहा है। पीटीसी इंडस्ट्रीज के सीएमडी सचिन अग्रवाल ने बताया कि अपनी स्थापना के बाद से पीटीसी नवाचार और प्रौद्योगिकी के मामले में सबसे आगे रहा है। देश में पहली बार इसने टाइटेनियम सुपर निकल मिश्रण और अन्य विदेशी सामग्रियों में धातु, धातु के घटकों और विधियों के निर्माण के लिए एक स्वदेशी क्षमता विकसित की है। उद्घाटन के मौके पर लॉकहीड मार्टिन, बीएई सिस्टम, सफरान, हनीवेलस, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, ब्रह्मोस और कई अन्य डीपीएसयू व डीआरडीओ जैसे संगठनों के साथ ही देश-विदेश के लोग मौजूद थे।

विस्तार

पीटीसी इंडस्ट्रीज ने यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, लखनऊ में पहले परिचालन संयंत्र के उद्घाटन के साथ रक्षा और एयरोस्पेस संबंधी विनिर्माण में एक बड़ी छलांग लगाई है। पीटीसी की सहायक कंपनी एरोलॉय टेक्नोलॉजी अब विमान के इंजन, हेलीकॉप्टर इंजन, हवाई जहाजों के लिए संरचनात्मक भागों, ड्रोन और यूएवी, पनडुब्बियों, अल्ट्रा-लाइट, आर्टिलरी गन, स्पेस लॉन्च व्हीकल और स्ट्रैटेजी सिस्टम के लिए यहां पुर्जों का निर्माण करेगी। इन्हें अब तक देश में आयात किया जा रहा था।

इस नए संयंत्र का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 13 नवंबर किया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने शत-प्रतिशत स्वदेशीकरण के लिए रक्षा मंत्रालय से पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया। रक्षा मंत्री ने एयरोस्पेस संबंधी प्रयोगों के लिए टाइटेनियम और अन्य विदेशी मिश्र धातुओं में प्रमुख कच्चे माल के उत्पादन के लिए एक एकीकृत धातु निर्माण सुविधा की आधारशिला भी रखी।

यह संयंत्र उन सभी प्लेटफार्मों के लिए आयात पर देश की निर्भरता को काफी कम कर देगा, जिनके लिए टाइटेनियम और निकेल मिश्रित धातु की आवश्यकता होती है। पीटीसी भारत में मुख्य विनिर्माण प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे को लाया है। इस नई सुविधा में 50 करोड़ से अधिक का निवेश किया गया है। पीटीसी स्वदेशी रूप से भारत में पुर्जों के निर्माण के लिए एक अत्याधुनिक क्षमता का प्लांट स्थापित करने के लिए 250 करोड़ रुपये का पहले ही निवेश कर चुका है।

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