सूरत में पुलिस द्वारा शिकायत न लेने पर युवक नरदीपसिंह ने अदालत का रुख किया था और वहीं जाकर शिकायत दर्ज करवाई थी। अदालत ने इस मामले की जांच एसीपी जे.टी. सोनारा को सौंपी थी। हालांकि, अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों और पक्षकारों की दलीलों के आधार पर न्यायाधीश ने कहा कि “एसीपी सोनारा की जांच पूरी तरह पक्षपाती थी और इसमें आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया गया था।”
सूरत में वर्ष 2021 के कोरोना काल के दौरान कापोदरा क्षेत्र में पुलिस द्वारा कुछ युवकों पर किए गए लाठीचार्ज की घटना में आज बड़ा न्यायिक मोड़ आया है। जांच में पक्षपात दिखाने वाले एसीपी जे.टी. सोनारा के खिलाफ अब आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश सूरत की अदालत ने दिया है। शिकायतकर्ता युवक नरदीपसिंह चेलुभा को पुलिस ने पीटा था, जिसके बाद उसने पुलिस के गलत रवैये के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी। कोरोना के दौरान लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में कापोदरा इलाके में पुलिस ने सड़क पर जमा युवकों पर लाठियां चलाई थीं।
उसी समय नरदीपसिंह चेलुभा नामक युवक ने मौके पर पहुंचकर पुलिस को टोका था कि “गरीब लोगों को क्यों परेशान कर रहे हो?” इतना कहने पर मौजूद पुलिसकर्मी भड़क गए थे और नरदीपसिंह को पकड़कर थाने ले गए थे। थाने में उसकी पिटाई की गई, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं और उसे तुरंत इलाज कराना पड़ा। बाद में नरदीपसिंह ने इस संबंध में पुलिसकर्मी दिलीप राठौड़, संजय करजाणिया, जय हरदीपसिंह और अन्य अज्ञात के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की,
लेकिन थाने में उसकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। अदालत ने स्पष्ट कहा कि “इस प्रकार की पक्षपातपूर्ण जांच पुलिस तंत्र की न्याय के प्रति जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है।” एसीपी के रवैये के कारण आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हो सकी—यह अदालत का निष्कर्ष रहा। IPC की धारा 166A(B) के तहत यदि कोई सरकारी कर्मचारी जानबूझकर अपनी ड्यूटी में लापरवाही करता है या जांच में भेदभाव करता है, तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का प्रावधान है।
