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PI-PSI की केबिन में अब CCTV कैमरे के साथ ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

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पुलिस स्टेशन हाईटेक CCTV से सुसज्जित होंगे, और 18 महीने की रिकॉर्डिंग को भी सुरक्षित रखना होगा।

लॉकअप, एंट्री-एग्जिट, PI-PSI चेंबर सहित सभी जगहों पर निगरानी रखी जाएगी।

12 दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा था कि पुलिस स्टेशन के सभी एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स, लॉकअप, कॉरिडोर, लॉबी, रिसेप्शन एरिया, सब-इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर के कमरे, पुलिस स्टेशन के बाहर और वॉशरूम के बाहर भी CCTV कैमरे लगाए जाने चाहिए। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इन CCTV कैमरों की रिकॉर्डिंग को 18 महीने यानी डेढ़ साल तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए। गुजरात में फिलहाल 650 पुलिस स्टेशन मौजूद हैं। ऐसे में राज्य भर के पुलिस स्टेशनों में चल रही सभी गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के बाद सभी पुलिस स्टेशनों में हाईटेक CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं।

पुलिस द्वारा पीड़ितों की शिकायतें न लेने और इसके अलावा कस्टोडियल डेथ (हिरासत में मौत) की भी कई शिकायतें सामने आई थीं। ऐसे मामलों में पुलिस स्टेशनों में CCTV न होने के कारण कस्टोडियल डेथ की जानकारी नहीं मिल पाती थी। लेकिन अब CCTV कैमरे लगे होने के कारण यह पता लगाया जा सकेगा कि आरोपी की मौत किस तरह से हुई। इसके अलावा पुलिस स्टेशन में चल रही सभी गतिविधियों पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।

सूरत के 40 पुलिस स्टेशनों और SOG-PCB कार्यालय में 670 कैमरे लगाए गए हैं।

सूरत शहर के पुलिस कमिश्नर अनुपमसिंह गेहलोत ने बताया कि सूरत शहर के सभी 40 पुलिस स्टेशनों तथा SOG और PCB कार्यालयों में CCTV कैमरे लगाए गए हैं। प्रत्येक पुलिस स्टेशन में औसतन 19 से 20 CCTV कैमरे लगाए गए हैं। सभी कैमरे HD गुणवत्ता वाले हैं। कुल मिलाकर 440 डोम कैमरे और 194 बुलेट कैमरे समेत कुल 670 कैमरे लगाए गए हैं। PSO (पुलिस स्टेशन ऑफिसर) और पुलिस इंस्पेक्टर के कक्षों में आम लोगों का अधिक संपर्क रहता है, इसलिए वहां ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले CCTV कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकि किसी भी शिकायत के मामले में ऑडियो और वीडियो आधारित साक्ष्य मिल सकें। पुलिस स्टेशनों के प्रवेश द्वार और बाहर निकलने वाले रास्तों पर भी कैमरे लगाए गए हैं। कई बार लॉकअप में कस्टोडियल टॉर्चर के आरोप लगते हैं, इसलिए लॉकअप के अंदर भी CCTV कैमरे लगाए गए हैं, जिससे ऐसी शिकायतों के समय CCTV फुटेज ठोस सबूत के रूप में पेश किए जा सकें।

हाईकोर्ट ने बल्गेरियन युवती दुष्कर्म मामले में भी CCTV रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है।

बल्गेरियन युवती दुष्कर्म मामले में जब युवती ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, तब उसने वस्‍त्रापुर महिला पुलिस स्टेशन के 10 अप्रैल से 20 अप्रैल तक के CCTV फुटेज को सुरक्षित रखने की मांग की थी। इसके लिए परमवीर सिंह के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का हवाला दिया गया था, जिसके अनुसार पुलिस थानों के CCTV फुटेज को एक वर्ष तक सुरक्षित रखना अनिवार्य है।

हाईकोर्ट ने भी पीड़िता के पक्ष में निर्णय देते हुए सरकार को महिला पुलिस स्टेशन के CCTV फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। हालांकि, सरकार ने कोर्ट में बताया कि जब पीड़िता महिला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने गई थी, तब उसने CCTV फुटेज सुरक्षित रखने की कोई अर्जी नहीं दी थी। इसके अलावा वस्‍त्रापुर महिला पुलिस स्टेशन में CCTV स्टोरेज की क्षमता केवल एक महीने की है, और एक महीने बाद पुराना रिकॉर्ड अपने आप ओवरराइट होकर नया रिकॉर्डिंग होने लगता है।

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